बिहार में नई सरकार: शपथ तो होगी, पर कांटे भरी राह, जानें ज्योतिषीय संकेत!
Bihar Oath Ceremony: बिहार सरकार 20 नवंबर को शपथ लेगी, लेकिन मकर लग्न का शपथ-मुहूर्त नई सत्ता के लिए साफ संकेत दे रहा है कि सरकार स्थिर रहेगी, पर पांच साल की राह आसान नहीं होगी.

Bihar Oath Ceremony: पटना का गांधी मैदान एक बार फिर सत्ता की पटकथा लिखने जा रहा है. मंच तैयार है, कुर्सियां लगी हैं, और 20 नवंबर की सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ दोहराई जाएगी. नीतीश कुमार का दसवीं बार सत्ता संभालना लगभग तय है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी पूरे समारोह को केंद्र की ताक़त से भर देगी. गुरुवार को बिहार की नई सरकार जन्म लेगी लेकिन शपथ ग्रहण के समय की मुहूर्त कुंडली एक साफ चेतावनी दे रही है सरकार चलेगी, पर चैन से नहीं.
मकर लग्न: स्थिरता का वादा, संघर्ष का बोझ
शपथ का समय मकर लग्न का है. ज्योतिष में यह लग्न सत्ता को गिरने नहीं देता, लेकिन उसके हर कदम पर वजन रख देता है. यह शुरुआत को मजबूत बनाता है, पर शुरुआत आसान नहीं रहने देता. बिहार की राजनीति की आदत भी कुछ ऐसी ही रही है सरकार बनती है, लेकिन पहले दिन से फैसलों और दबावों का तूफ़ान साथ चलता है. यह मुहूर्त बताता है कि नई सरकार भी इसी धारा में चलने वाली है.
समर्थन से संघर्ष तक
शपथ ग्रहण के समय आकाश में चार ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध और मंगल एक साथ 11वें भाव में विराजमान हैं. यह वह भाव है जहां जनता, गठबंधन और सत्ता एक ही कमरे में खड़े रहते हैं. वृश्चिक राशि में ग्रहों की भीड़ शक्ति भी देती है और असंतोष भी जगाती है. इसका मतलब साफ़ है कि नई सरकार को समर्थन तो मिलेगा, लेकिन उस समर्थन की कीमत लगातार मांगों, शर्तों और बातचीत के रूप में चुकानी पड़ेगी. विभाग-वितरण को लेकर NDA के भीतर चल रही रस्साकशी इस कुंडली का सबसे पहला प्रमाण है.
गठबंधन साथ रहेगा, लेकिन सहज नहीं
सातवें भाव में बैठे वक्री गुरु साझेदारी को टिकाते हैं, पर सुचारू नहीं रहने देते. यह वही स्थिति है जहां हर दल को साथ भी रहना है, और अपनी जगह भी बड़ी रखनी है. बिहार की राजनीति में यह संघर्ष कभी खुलकर दिखता है, कभी मुस्कान के पीछे छिपा रहता है. कुंडली की यह स्थिति बताती है कि साझेदारी चलेगी, पर हर कदम पर खिंचतान के साथ.
कानून-व्यवस्था सबसे बड़ा सिरदर्द!
तीसरे घर में बैठा शनि साफ़ तौर पर बता रहा है कि नई सरकार के लिए सबसे बड़ा सवाल प्रशासन और कानून-व्यवस्था होगा. बिहार में चुनाव के दौरान भी यही मुद्दे सबसे ज़ोर से उठे थे और विपक्ष इन पर लगातार हमला करने की तैयारी में है. मीन राशि में शनि बैठकर कह रहा है जहां प्रशासन कमजोर दिखा, वहीं राजनीति का तीर लगेगा. नई सरकार को हर घटना पर तेज़ी से प्रतिक्रिया देनी होगी.
कार्यकाल के बीच अचानक बड़ा मोड़ तय
कुंडली का सबसे संवेदनशील संकेत आठवें भाव से आता है. इस भाव में केतु बैठा है. राजनीति में यह स्थिति किसी भी समय अचानक बदलाव ला सकती है. कभी बड़ा Reshuffle, कभी प्रमुख चेहरे का हटना, कभी कोई विवादित फैसला जो राज्य की राजनीति को दिशा बदल दे. बिहार का इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां सत्ता बीच कार्यकाल में भी करवट लेती रही है. केतु बस इतना कह रहा है कि यह कहानी इस बार भी आसान नहीं रहने वाली.
नीति और छवि दोनों दिल्ली से प्रभावित होंगी
दसवें भाव में बैठे शुक्र का अर्थ है कि सरकार की सार्वजनिक छवि और निर्णय लेने की शैली पर केंद्र की छाया गहरी रहेगी. प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी सिर्फ़ शपथ तक सीमित नहीं है, आने वाले समय में दिल्ली का राजनीतिक दबाव और सहयोग दोनों बिहार के प्रशासन पर असर डालेंगे. यह मुहूर्त बताता है कि राज्य को अपने कई फैसले सार्वजनिक संदेश और राजनीतिक Optics को ध्यान में रखकर लेने होंगे.
सरकार स्थिर रहेगी लेकिन पांच साल की यात्रा बिना आराम के
सभी संकेतों को एक साथ पढ़ने पर तस्वीर स्पष्ट हो जाती है कि नई सरकार गिरने वाली नहीं, लेकिन शांत भी नहीं रहने वाली. गठबंधन साथ रहेगा, पर अपनी-अपनी रेखाओं में खिंचेगा. जनता समर्थन देगी, पर उसका मूड पलटने में देर नहीं लगेगी. प्रशासन पर दबाव रहेगा, और कार्यकाल के बीच एक बड़ा मोड़ राजनीति की धारा बदल सकता है.
20 नवंबर को जब गांधी मैदान में शपथ की आवाज गूंजेगी, तब असली यात्रा उसी क्षण शुरू होगी. यह यात्रा स्थिर तो होगी, पर हर दिन नए संघर्ष और नई राजनीतिक कीमत के साथ.
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