Bihar Election Prediction: नतीजे से पहले ग्रहों ने दे दिए संकेत, बिहार में फिर बदलेगा सत्ता संतुलन?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का अंतिम चरण खत्म हो चुका है. अब प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद है और सभी एग्जिट पोल का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन ग्रहों की स्थिति पहले से संकेत दे रही है कि इस बार भी सत्ता का समीकरण बेहद दिलचस्प रहेगा.

बिहार की सियासत हमेशा से गठबंधनों, समीकरणों और अप्रत्याशित परिणामों का खेल रही है. 2025 के विधानसभा चुनाव में भी यही स्थिति दिखाई दे रही है, बस फर्क इतना है कि इस बार इसे ग्रहों की चाल भी नई दिशा दे रही है.
उच्चस्थ गुरु कर्क राशि में, शनि मीन में वक्री, और राहु-केतु की कुम्भ-सिंह धुरी सत्ता-संतुलन और गठबंधन राजनीति का नया अध्याय लिख रही है. मेदिनी ज्योतिष के अनुसार जब गुरु और शनि केन्द्र से दृष्टि डालें तो राज्य परिवर्तन या सत्ता पुनर्गठन निश्चित होता है. इसका सीधा अर्थ है कि 2025 में बिहार में किसी एक दल की लहर नहीं, बल्कि साझा गठबंधन का गणित तय करेगा कि सिंहासन किसके पास जाएगा.
गुरु का कर्क में उच्चस्थ होना
11 नवंबर 2025 को गुरु 0°55′ कर्क राशि में पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में है. यह स्थिति समर्थन विस्तार और जनमत समेकन (Public Opinion Consolidation) का सूचक है. बृहत्संहिता के अनुसार जब गुरु उच्चस्थ होकर चंद्र राशि से केन्द्र में आता है, तब शासक दलों के लिए सहयोग बढ़ता है, लेकिन निर्णायक बहुमत दुर्लभ होता है. यानी सत्ता मिल सकती है, पर अकेले नहीं गठबंधन के सहारे.
शनि मीन राशि में, नीति और अनुशासन से सफलता
शनि मीन राशि में प्रथम अंश पर वक्री गति में है. यह संयोजन राजनीति में आत्ममंथन और समीक्षा का समय दर्शाता है. इसका असर उन दलों पर अधिक पड़ता है जिनकी राजनीति अनुशासन और संगठन पर टिकी है. शनि का यह प्रभाव संकेत देता है कि उम्मीदवार चयन, टिकट वितरण और सहयोगियों के साथ तालमेल ही सफलता की कुंजी बनेगा.
राहु कुंभ तो केतु सिंह राशि में गठबंधन और नेतृत्व की रस्साकशी!
राहु कुंभ और केतु सिंह की धुरी गठबंधन और नेतृत्व के बीच खिंचाव लाती है. कुंभ जनसमूह, नेटवर्क और तकनीकी कौशल का प्रतीक है, जबकि सिंह नेतृत्व, प्रतिष्ठा और केंद्रीकृत शक्ति का. यही वजह है कि इस चुनाव में नेटवर्क-आधारित रणनीति और संवाद-कौशल निर्णायक भूमिका निभाएँगे.
दलवार ग्रह-प्रभाव
- भाजपा (6 अप्रैल 1980): मेष लग्न की इस कुंडली पर वर्तमान गुरु उच्च होकर लग्नेश को बल दे रहा है. राहु कुंभ में 11वें भाव के समान प्रभाव से जनता से जुड़ाव बढ़ेगा. शनि मीन में रहकर संगठन की आंतरिक संरचना को कसता है. इसका मतलब है कि भाजपा को सत्ता तक पहुंचने की सबसे अधिक संभावनाएं हैं, लेकिन पूर्ण बहुमत कठिन दिखता है.
- राष्ट्रीय जनता दल (5 जुलाई 1997): वृष लग्न और वृश्चिक चंद्र वाली कुंडली में राहु का दशम भाव से प्रभाव प्रचार को मजबूत करता है, लेकिन केतु का चौथे भाव से प्रभाव स्थानीय गुटबाजी और अंदरूनी असंतोष का संकेत देता है. गुरु का उच्चस्थ होना जनाधार बनाए रखेगा, मगर सीटों की संख्या घट सकती है.
- जनता दल (यू) – 30 अक्टूबर 2003: तुला लग्न की कुंडली पर शनि मीन से पंचम दृष्टि डालता है, जिससे निर्णय क्षमता और रणनीतिक कुशलता बढ़ाती है. गुरु का उच्च स्थान इस दल को मध्यस्थ या किंगमेकर की भूमिका में ला सकता है. नीतीश कुमार की व्यक्तिगत कुंडली में भी यह योग सत्ता-संतुलन बनाए रखने की संभावना दिखाता है.
बिहार में एकतरफा बहुमत की संभावना बहुत कम!
बृहत पराशर होरा शास्त्र में कहा गया है गुरुश्च शनि योगे राज्यं परावर्तते. अर्थात जब गुरु और शनि एक साथ केन्द्र या त्रिकोण से दृष्टि डालें, तो राज्य की दिशा बदल जाती है. वही स्थिति इस समय सक्रिय है इसलिए बिहार में एकतरफा बहुमत की जगह साझा सत्ता या पुनर्गठित गठबंधन का योग बन रहा है.
2025 का चुनाव पूरी तरह संवेदनशील गठबंधन राजनीति की दिशा में जा रहा है. ग्रह स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि जनता का रुझान किसी एक दल की ओर नहीं, बल्कि साझा नेतृत्व की ओर झुकेगा. भाजपा-नीत गठबंधन सत्ता के प्रमुख दावेदार के रूप में उभर सकता है.
आरजेडी को बड़ी टक्कर के बावजूद संगठनात्मक चुनौती झेलनी पड़ सकती है. जदयू फिर से सत्ता-समीकरण की कुंजी साबित हो सकता है. गुरु के उच्च होने से यह चुनाव परिवार, भावनाओं और कल्याणकारी वादों के मुद्दों पर घूमेगा, जबकि शनि का अनुशासन हर पार्टी की परीक्षा लेगा.
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