ब्रेन कंट्रोल टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग में जुटा Apple, अब सिर्फ सोच से कंट्रोल होगा iPhone!
Apple और अन्य कंपनियां ऐसी ब्रेन कंट्रोल टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं, जिससे सोचते ही डिवाइस अपने आप कंट्रोल हो जाएगा.

तकनीक की दुनिया में हर दिन कुछ नया देखने को मिल रहा है, लेकिन अब जो आने वाला है, वो आपके सोचने के तरीके को ही बदल देगा. अब मोबाइल फोन को कंट्रोल करने के लिए न तो हाथों की जरूरत पड़ेगी और न ही आवाज़ की. जल्द ही वो समय आ सकता है जब आप सिर्फ अपने दिमाग में कुछ सोचेंगे और आपका iPhone खुद-ब-खुद वो काम कर देगा.
जी हां, Apple ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है जो इंसान के सोचने भर से फोन को कंट्रोल करने की ताकत दे सकती है. इस तकनीक को "ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस" यानी BCI कहा जाता है. इसका मतलब है कि आपका दिमाग सीधे आपके डिवाइस से बातचीत करेगा, बिना किसी टच या कमांड के.
क्या है BCI टेक्नोलॉजी?
BCI एक ऐसी प्रणाली है जो इंसानी दिमाग और किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बीच सीधा कनेक्शन बनाती है. मतलब, अब मोबाइल ऑपरेट करने के लिए न टाइप करना होगा, न टैप करना और न ही स्क्रीन पर स्क्रॉल करना. सोचते ही डिवाइस आपकी बात समझ जाएगा और उसी हिसाब से काम करेगा.
Apple ने इस दिशा में बड़ी पहल करते हुए न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी Synchron के साथ हाथ मिलाया है. यह कंपनी पहले से ही BCI डिवाइसेज पर काम कर रही है. खास बात यह है कि Synchron का जो डिवाइस है, वो सर्जरी से इंसानी नसों में फिट किया जाता है और दिमाग के मोटर हिस्से से जुड़कर सिग्नल पढ़ता है.
किनके लिए है ये टेक्नोलॉजी?
सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को हो सकता है जो किसी बीमारी या हादसे की वजह से बोलने या हाथ-पैर चलाने में असमर्थ हैं. ये टेक्नोलॉजी उनके लिए एक नया दरवाजा खोल सकती है, जिससे वो अपने विचार दूसरों तक पहुंचा पाएंगे.
अमेरिकी संस्था FDA (Food and Drug Administration) ने भी Synchron के डिवाइस को “ब्रेकथ्रू” का दर्जा दिया है. यानी इसमें वो क्षमता है जो भविष्य में लाखों लोगों की जिंदगी आसान बना सकती है.
अकेला नहीं है Apple
जहां Apple इस नई तकनीक को iPhone में लाने की तैयारी में है, वहीं दुनिया के सबसे चर्चित अरबपति *एलन मस्क* की कंपनी Neuralink भी इसी रास्ते पर आगे बढ़ रही है. Neuralink ऐसे ब्रेन इम्प्लांट्स पर काम कर रही है जो न्यूरल सिग्नल्स को पढ़कर इंसानी इरादों को समझ सकते हैं.
हाल ही में Neuralink ने अपने तीसरे पेशेंट के दिमाग में चिप लगाने में सफलता हासिल की है. इसका मकसद भी वही है, सोच से डिवाइस को ऑपरेट करना.
कब तक आ सकती है ये टेक्नोलॉजी?
ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि Apple इस साल के अंत तक इस टेक्नोलॉजी को अपने डेवलपर्स के बीच ट्रायल के लिए ला सकता है. यानी आने वाले समय में यह टेक्नोलॉजी iPhone का हिस्सा बन सकती है.
भविष्य की झलक
सोचिए, जब आप बिना कुछ बोले या किए सिर्फ दिमाग से मैसेज भेज पाएंगे, कोई ऐप खोल सकेंगे, या फोटो क्लिक कर पाएंगे. यह किसी साइंस फिक्शन फिल्म का सीन नहीं, बल्कि अगला तकनीकी रियलिटी हो सकता है.
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