AI की बाढ़! 2024–25 में जनरेटिव AI ने कैसे बदल दिया टेक वर्ल्ड? यहां जानिए पूरी रिपोर्ट
Artificial Intelligence: 2024–25 वह दौर रहा, जब जनरेटिव AI ने सिर्फ तकनीक को नहीं, बल्कि दुनिया भर में काम करने, सीखने और क्रिएट करने के तरीकों को पूरी तरह बदलकर रख दिया.

Artificial Intelligence: 2024–25 वह दौर रहा, जब जनरेटिव AI ने सिर्फ तकनीक को नहीं, बल्कि दुनिया भर में काम करने, सीखने और क्रिएट करने के तरीकों को पूरी तरह बदलकर रख दिया. AI का असर इतना तेज़ और व्यापक रहा कि इसे टेक क्रांति की दूसरी लहर कहा जाने लगा.
कामकाज में AI का कब्ज़ा
इन दो वर्षों में ऑफिस कल्चर में सबसे बड़ा बदलाव यही रहा कि AI हर स्तर पर शामिल हो गया. कंपनियों ने ईमेल ड्राफ्टिंग, रिपोर्ट जनरेशन, कोड लिखने, मीटिंग नोट्स तैयार करने और कस्टमर सपोर्ट जैसे कामों का बड़ा हिस्सा AI को सौंप दिया.
Copilot, Gemini, Claude और ChatGPT जैसे टूल अब हर इंडस्ट्री के लिए डिजिटल असिस्टेंट बन गए. इससे कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ी और काम का समय कम हुआ. AI ने वर्कफ़्लो को इतना आसान बना दिया कि छोटी कंपनियां भी बिना बड़े खर्च के प्रोफेशनल क्वालिटी आउटपुट देने लगीं.
क्रिएटिव वर्ल्ड में बूम
2024–25 में जनरेटिव AI का सबसे बड़ा असर क्रिएटिव इंडस्ट्री में देखने को मिला. फिल्ममेकर अब AI की मदद से मिनटों में विजुअल इफेक्ट्स तैयार करने लगे. AI-पावर्ड टूल्स सिर्फ स्क्रिप्ट ही नहीं लिखते, बल्कि बैकग्राउंड म्यूज़िक, कैरेक्टर डिज़ाइन और एनीमेशन तक तैयार कर रहे हैं. गेमिंग इंडस्ट्री में AI-जनरेटेड वर्ल्ड और NPCs (Non-Player Characters) ने गेम्स को पहले से ज्यादा रियल और डायनामिक बना दिया. कंटेंट क्रिएटर्स के लिए AI एक सुपरपावर बन गया है वीडियो एडिटिंग, थंबनेल, वॉयसओवर और आइडियाज़ सब कुछ अब एक क्लिक में संभव है.
हेल्थ, एजुकेशन और साइंस
AI डॉक्टरों का नया साथी बन गया है. 2024–25 में AI-ड्रिवेन डायग्नोसिस, मेडिकल रिपोर्ट एनालिसिस और ट्रीटमेंट प्लानिंग को मुख्यधारा में जगह मिली. एजुकेशन में पर्सनलाइज्ड लर्निंग मॉडल्स ने हर स्टूडेंट को उसकी क्षमता के अनुसार पढ़ाने की नई दिशा दिखाई. साइंस और रिसर्च में जनरेटिव AI ने नई दवाओं के डिजाइन से लेकर स्पेस सिमुलेशन तक में अभूतपूर्व गति दी.
साइबर सुरक्षा में दोहरी चुनौती
GenAI के बढ़ने के साथ साइबर क्राइम भी और खतरनाक हुआ. फेक ऑडियो, डीपफेक वीडियो और AI-संचालित हैकिंग के खतरे बढ़े. लेकिन दूसरी तरफ, AI खुद साइबर सुरक्षा का सबसे बड़ा हथियार बन गया. रियल-टाइम थ्रेट डिटेक्शन और प्रिडिक्टिव सिक्योरिटी सिस्टम्स ने सुरक्षा को और मज़बूत किया.
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Source: IOCL





















