UP News: पान मसाला और खैनी पर टैक्स डाउन, सिगरेट ने पकड़ी रफ्तार, जानें कौन से सेक्टर संभाल रहे राजस्व
UP Tax Collection: राज्यकर विभाग के रिपोर्ट अनुसार, पान मसाला, खैनी से टैक्स कलेक्शन में गिरावट आई, जबकि सिगरेट से बढ़ोतरी हुई. जानिए कौन से सेक्टर कमजोर पड़े, किन क्षेत्रों ने राजस्व को मजबूती दी.

यूपी में राज्यकर विभाग की नए रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि वित्त साल 2024-25 में तंबाकू उत्पादों से जुड़ी कर आय में मिलाजुला रुझान देखने को मिला. पान मसाला, खैनी और तंबाकू श्रेणी में जहां लगभग 60 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई, वहीं इसी अवधि में सिगरेट से कर संग्रह में करीब 55 करोड़ रुपये की वृद्धि ने ध्यान खींचा. यह बदलाव बताता है कि उपभोग पैटर्न में बड़ा परिवर्तन आया है और सरकार की सख्ती का प्रभाव अलग-अलग उत्पादों पर अलग रूप में दिख रहा है.
राज्यकर विभाग के आंकड़ों के अनुसार तंबाकू उत्पादों से साल 2023-24 में 601.53 करोड़ रुपये का कर संग्रह हुआ था, जो 2024-25 में घटकर 541.51 करोड़ रुपये रह गया. इसमें करीब 9.98 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है जिसे विशेषज्ञ पान मसाला और चबाने वाले तंबाकू पर सख्त निगरानी और कार्रवाई का असर मान रहे हैं. इसके विपरीत सिगरेट ने तंबाकू श्रेणी के भीतर अलग ट्रेंड दिखाया है. साल 2023-24 में सिगरेट से 435.34 करोड़ रुपये का कर मिला था, जो 2024-25 में बढ़कर 490.42 करोड़ रुपये हो गया. यह 12.65 प्रतिशत की बढ़ोतरी है, लेकिन इस बढ़ोतरी के बावजूद कुल तंबाकू वर्ग की गिरावट की भरपाई नहीं हो सकी.
इन सेक्टरों में भी कम कलेक्शन
मोबाइल उपकरण, खाद, कंस्ट्रकशन मटेरियल और दूरसंचार जैसे कई प्रमुख क्षेत्रों में गिरावट ने भी टोटल कलेक्शन पर दबाव बनाया है. इन सेक्टरों की धीमी रफ्तार भी बाजार की अनिश्चितता को दिखाया रहा है. हालांकि वाहन, दैनिक उपयोग की वस्तुएं, विद्युत उपकरण, रत्न-आभूषण, बीमा-बैंकिंग और खाद्य तेल जैसे क्षेत्रों में मजबूती ने राजस्व को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अमर उजाला की रिपोर्ट यह भी बताती है कि उपभोक्ता प्राथमिकताओं और बाजार मांग में बदलाव के कारण कई सेक्टर दोहरी चाल दिखा रहे हैं. ऐसे में गिरावट वाले क्षेत्रों में नीतिगत सुधार और प्रोत्साहन की आवश्यकता स्पष्ट रूप से सामने आती है.
वाहनों और विद्युत उपकरणों के सेक्टर में बढ़ोतरी
रिपोर्ट में बढ़ोतरी दिखाने वाले क्षेत्रों में चार पहिया वाहन 5686.26 करोड़ से बढ़कर 5895.26 करोड़ रुपये पर पहुंच गए, जिसमें 3.68 प्रतिशत का इजाफा रहा. दो पहिया वाहनों में 6.44 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई और आंकड़ा 2058.17 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. दैनिक उपभोग की वस्तुएं 2921.61 करोड़ से 3080.36 करोड़ रुपये पर पहुंचीं और इसमें 5.43 प्रतिशत वृद्धि हुई.
विद्युत उपकरणों में 6.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इलेक्ट्रॉनिक सामान 1097.27 करोड़ से बढ़कर 1239.96 करोड़ रुपये पर पहुंचा और इसमें 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई. रत्न और आभूषण क्षेत्र ने 30.82 प्रतिशत की तेज छलांग के साथ 558.97 करोड़ रुपये का आंकड़ा छुआ. बीमा और बैंकिंग ने 12.28 प्रतिशत, जबकि खाद्य तेल ने 12.08 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. शीतल पेय श्रेणी में 1.81 प्रतिशत की मामूली बढ़त रही, जिससे संकेत मिलता है कि FMCG और उपभोक्ता आधारित उद्योग इस वर्ष राजस्व संतुलन के महत्वपूर्ण आधार बने हुए हैं.
Source: IOCL























