Aligarh News: अलीगढ़ के मूर्ति व्यापारियों पर नेपाल में तख्तापलट का असर, लाखों का हुआ नुकसान
UP News: नेपाल हिंसा का असर अलीगढ़ के मूर्ति व्यापार पर भी पड़ा है, यहां के व्यापारी और कारीगर गहरे संकट से जूझ रहे हैं. कई मालवाहक वाहन सीमा पार नहीं कर पा रहे हैं.

नेपाल में पिछले कुछ समय से भड़की हिंसा ने वहां की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को हिला दिया है. इसका असर अब भारत के कई शहरों में भी दिखाई देने लगा है. खासकर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में, जहां मूर्तियों का बड़ा कारोबार होता है, वहां के व्यापारी और कारीगर गहरे संकट से जूझ रहे हैं. यहां मूर्तियों का भी बड़ा व्यापार है. गौतम बुद्ध और पशुपतिनाथ जैसी धार्मिक मूर्तियों के निर्माण में यहां के कारीगरों की महारथ है. यही वजह है कि नेपाल में इन मूर्तियों की भारी मांग रहती है.
नेपाल में फैली हिंसा और अस्थिर माहौल ने इस कारोबार पर अचानक ब्रेक लगा दिया है. जिन ट्रकों में लाखों रुपये की मूर्तियां लदी थीं, वे अब रास्तों में ही फंसी खड़ी हैं. कई मालवाहक वाहन सीमा पार नहीं कर पा रहे, तो कई व्यापारी अपने तैयार माल को गोदामों में ही बंद करके बैठ गए हैं. इसका सीधा असर उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है.
लाखों का माल फंसा, पेमेंट भी अटका
मेटल एसोशिएशन के सेकेट्री कपिल वार्ष्णेय का कहना है कि नेपाल से जुड़े ऑर्डर पूरे न हो पाने की वजह से उनका भुगतान भी अटक गया है. जिन ग्राहकों ने एडवांस दिया था, उन्होंने अब बुकिंग कैंसिल करना शुरू कर दिया है. वहीं, जिनका माल रास्ते में फंसा है, उनका कहना है कि न जाने कब तक ट्रक वहां खड़े रहेंगे और उनका नुकसान बढ़ता जाएगा.
व्यापारियों को मूर्तियों के टूट-फूट का भी डर बना हुआ है, क्योंकि महीनों तक गाड़ियों में पड़ा सामान सुरक्षित नहीं रह सकता है. उनका कहना है कि यह पहला मौका नहीं है, जब राजनीतिक हालातों ने उनके कारोबार को प्रभावित किया हो. पहले भी विदेशों में हालात बिगड़ने से उनका निर्यात ठप पड़ा था, लेकिन इस बार हालात अधिक गंभीर हैं.
कारीगरों की मेहनत पर संकट
अलीगढ़ में मूर्तियों का निर्माण करने वाले कारीगरों की स्थिति भी बेहद खराब हो गई है. ये कारीगर महीनों तक मेहनत करके एक-एक मूर्ति गढ़ते हैं. उनकी कला केवल धंधा नहीं, बल्कि परंपरा और संस्कृति का हिस्सा भी है. जब तैयार माल बाजार तक नहीं पहुंच पाता, तो उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है.
कारीगरों का कहना है कि उन्होंने इस सीजन में भारी मात्रा में मूर्तियां बनाई थीं. उन्हें उम्मीद थी कि नेपाल में त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के दौरान उनकी मांग बढ़ेगी. मगर हालात ने सब कुछ बिगाड़ दिया. अब वे न तो मजदूरी पा रहे हैं और न ही भविष्य को लेकर कोई उम्मीद दिख रही है. व्यापारियों ने केंद्र और राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि उनके कारोबार को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.
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