Mau News: यूपी के मऊ में शिक्षक भर्ती घोटाला, 42 फर्जी शिक्षक समेत 72 नामजद और 14 अज्ञात पर मुकदमा
Mau News: यूपी के मऊ में शिक्षक भर्ती में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है जहां 42 फर्जी शिक्षकों समेत 72 नामजद और 14 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

यूपी के मऊ जिले में समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित अंबेडकर विद्यालयों में फर्जी शिक्षकों की नियुक्तियों का मामला सामने आने के बाद जिले में हड़कंप मच गया है. जिला समाज कल्याण अधिकारी विकास ने 19 अंबेडकर स्कूलों में फर्जी दस्तावेज़ के सहारे वर्षों से नौकरी कर रहे 42 शिक्षकों समेत कुल 72 और 14 अज्ञात लोगों के खिलाफ शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है.
आरोपियों में सिर्फ शिक्षक ही नहीं, बल्कि 20 स्कूल प्रबंधक, 3 तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी, 3 पर्यवेक्षक और शिक्षा विभाग के 3 तत्कालीन अधिकारी भी शामिल हैं.यह फर्जीवाड़ा 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी प्रकाश बिंदु की जांच में उजागर हुआ था. कार्रवाई आश्वासन समिति की शिकायत पर नियम 51 (संसदीय/विधायी प्रक्रिया) के तहत की गई, जिससे पूरे जिले में सनसनी फैल गई है.
मोहम्मदाबाद में तैनात शिक्षक पर ये आरोप
शिक्षक रामप्रसाद, जो सहायक अध्यापक के पद पर प्रबुद्ध अंबेडकर यांत्रिक प्राथमिक विद्यालय, मोहम्मदाबाद गोहना में तैनात हैं. इनका नाम एफआईआर में 22वें क्रम पर दर्ज है. रामप्रसाद विद्यालय में लगभग छह बच्चों को पढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं. उनकी मासिक वेतन लगभग ₹70,000 के आसपास है.
रामप्रसाद पर आरोप है कि उन्होंने कूटरचित अभिलेखों के आधार पर इस विद्यालय में नौकरी प्राप्त की. इस संबंध में उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है. हालांकि, उनका कहना है कि उनके सभी अभिलेख वैध हैं. वे बताते हैं कि वर्ष 2018 में जब उनके दस्तावेजों को लेकर जांच कराई गई थी, तब उन्होंने जन सूचना के तहत रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें उनके पक्ष में जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई थी.
समाज कल्याण अधिकारी ने क्या जानकारी दी?
समाज कल्याण अधिकारी रश्मि मिश्रा ने बताया कि जिले के 19 विद्यालयों में की गई जांच में 42 शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्त पाए गए, जिनके खिलाफ शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
यह कार्रवाई माननीय विधायक श्रीमती सुषमा पटेल द्वारा की गई शिकायत के बाद नियम-51 के अंतर्गत की गई विभागीय जांच के आधार पर की गई. जांच के दौरान कई दस्तावेज संदिग्ध पाए गए, जिन्हें बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) कार्यालय से प्रमाणित नहीं किया गया था.
शासन के निर्देश पर दर्ज हुई एफआईआर
समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि 'बीएसए की जांच में यह प्रमाणित हुआ कि कई प्रमाणपत्र जिनके आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई, वे संबंधित संस्थानों द्वारा निर्गत नहीं किए गए थे. ऐसे में यह स्पष्ट फर्जीवाड़ा है. शासन के निर्देश पर हमने प्राथमिकी दर्ज कराई है.'
एफआईआर में 42 फर्जी शिक्षकों के साथ-साथ उस समय के 20 विद्यालय प्रबंधकों, तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारियों, शिक्षा विभाग के एडीओ और सुपरवाइजर समेत कुल 72 नामजद और 14 अज्ञात व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है.
समाज कल्याण विभाग की अधिकारी ने झाड़ा पल्ला
रश्मि मिश्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि 'इन विद्यालयों में नियुक्ति की प्रक्रिया समाज कल्याण विभाग सीधे नहीं करता. चूंकि ये अनुदानित विद्यालय हैं, इसलिए नियुक्ति का कार्य प्रबंधक द्वारा किया जाता है. विभाग की भूमिका केवल शासनादेश के अनुसार अनुमोदन की होती है.'
प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. यह मुकदमा थाना कोतवाली मऊ में दर्ज कराया गया है और जांच आगे जारी है
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