अतीक अहमद का रिकॉर्ड टूटा, संजीव चतुर्वेदी केस में15वें जज ने भी खुद को सुनवाई से किया अलग
Dehradun News: इस केस की सुनवाई में अब न्याय मूर्ति रविंद्र मैथानी ने भी खुद को अलग कर लिया है. इस तरह अब तक कुल 15 जज इस मामले की सुनवाई से दूरी बना चुके हैं.ये भी एक रिकॉर्ड बन चुका है.

उत्तराखंड कैडर के भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के केस के मामले में अब 15वें जज ने भी खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है. जिसके बाद माफिया अतीक अहमद का रिकॉर्ड टूट गया है. देश में अभी तक केवल अतीक अहमद के मामले में 11 जजों ने खुद को उसके मामलों से अलग किया था. अब संजीव चतुर्वेदी के मामले 15 जज खुद को अलग कर चुके है, यह भी एक बड़ा रिकॉर्ड बन गया है.
इस केस की सुनवाई में अब न्याय मूर्ति रविंद्र मैथानी ने भी खुद को अलग कर लिया है. इस तरह अब तक कुल 15 जज इस मामले की सुनवाई से दूरी बना चुके हैं.
जस्टिस मैथानी ने बेंच से खुद को किया अलग
26 सितंबर को जारी आदेश में न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी ने कहा कि मामला उस बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जिसमें मैं सदस्य नहीं हूं. हालांकि उन्होंने आदेश में खुद को अलग करने का कोई कारण नहीं बताया है. इससे पहले जून 2025 में नैनीताल की ACJM जस्टिस नेहा कुशवाहा ने भी इसी केस में खुद को अलग कर लिया था.
यह मामला केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण यानी (CAT) के सदस्यों और रजिस्ट्री अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका से जुड़ा है. चतुर्वेदी का आरोप है कि कोर्ट द्वारा दिए गए स्थगन आदेश की जानबूझकर अवहेलना की गई और उनके खिलाफ गलत बयान दिए गए. इसको लेकर उन्होंने अदालत में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी.
2013 से अब तक 15 जज हटे
संजीव चतुर्वेदी के मामलों में जजों का हटना कोई नई बात नहीं है. 2013 से अब तक कुल 15 जज इस केस से खुद को अलग कर चुके हैं, इसमें सुप्रीम कोर्ट के दो जज, हाईकोर्ट के तीन जज, निचली अदालतों के दो जज और CAT के आठ जज शामिल हैं.
बता दें कि साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस रंजन गोगोई ने संजीव की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका से खुद को अलग कर लिया था. इसके बाद 2016 में जस्टिस यू. यू. ललित ने भी यही कदम उठाया. 2018 में शिमला कोर्ट के जज ने मानहानि मामले से दूरी बनाई, जिसमें हिमाचल के मुख्य सचिव ने संजीव पर केस किया था. 2019 में CAT के अध्यक्ष जस्टिस नरसिम्हन रेड्डी ने अनचाहे घटनाक्रम का हवाला देते हुए मामले से हाथ खींच लिया था. फरवरी 2025 में CAT के जज हरविंदर कौर ओबराय और बी. आनंद ने भी बिना कारण बताए खुद को अलग कर लिया था. इसके बाद जून 2025 में नैनीताल की ACJM जस्टिस नेहा कुशवाहा ने भी केस की सुनवाई से हटने का फैसला किया था.
उठने लगे सवाल
अब न्यायमूर्ति रविंद्र मैथानी का नाम इस लंबी सूची में जुड़ गया है. लगातार जजों का इस केस से दूरी बनाना कई सवाल खड़े करता है और यह मामला एक बार फिर से चर्चा में आ गया है.
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