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UP Election Result 2022: क्या कुंडा में कम हो गया है राजा भैया का जलवा? यूपी चुनाव से मिला ये संकेत
UP Election: प्रतापगढ़ के कुंडा में राजा भैया का तिलिस्म अब टूटता जा रहा है. यूपी चुनाव में लगातार सातवीं बार उन्होंने जीत तो दर्ज कर ली लेकिन इस बार सपा ने बहुत हद तक उनके किले में सेंध लगा दी है.
Election Result 2022: यूपी के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में क्या राजा भैया (Raja Bhaiya) का तिलिस्म अब टूटता जा रहा है, या कहें कि इस क्षेत्र में उनका प्रभाव कम होता जा रहा है. यूपी चुनाव के नतीजे तो कुछ ऐसा ही बयान कर रहे हैं. कुंडा के बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया ने 2022 में लगातार सातवीं बार जीत दर्ज की, लेकिन हर बार की तरह वो अपने विरोधी को बड़े मार्जिन से हरा नहीं सके. चुनाव से पहले उन्होंने दावा किया था कि वो डेढ़ लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल करेंगे, लेकिन उन्हें 30,315 वोटों के अंतर से ही जीत हासिल हुई. दूसरे नंबर पर सपा के गुलशन यादव (Gulshan Yadav) रहे.
कुंडा में हल्का पड़ा राजा भैया का तिलिस्म
राजा भैया ने पहली बार 1993 में कुंडा से चुनाव लड़ा था और वो सबसे कम उम्र के विधायक बने. तभी से वो लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, जब मायावती से राजनीतिक अदावत के चलते उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा. इस दौरान राजनीतिक रूप से सपा के तत्कालीन मुखिया मुलायम का सहारा मिला और उन्हें तमाम मुकदमों और दुश्वारियों से निजात मिली. इतना ही नहीं राजा भैया को मुलायम सिंह यादव के मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण स्थान भी दिया गया.
सपा प्रत्याशी गुलशन यादव से मिली टक्कर
साल 2007, 2012 में बड़ी जीत हासिल करने के बाद 2017 में समाजवादी पार्टी के सहयोग से उन्होंने 1,03,000 मतों से अधिक की लीड लेकर भी जीत हासिल की, लेकिन सपा के खिलाफ जाकर राज्यसभा के चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान करने की वजह से उन्हें अखिलेश की नाराजगी भी मोल ले ली. जिसके बाद अखिलेश ने इन चुनावों में उनको समर्थन नहीं दिया और राजा भैया के करीबी रहे गुलशन यादव को सपा के टिकट से मैदान में उतार दिया. अखिलेश ने गुलशन के समर्थन में सभा भी की और राजा भैया पर हमला बोलते हुए कहा कि इस बार कुंडा की जनता कुंडी लगा देगी.
जीत का अंतर बेहद कम रहा
लेकिन ऐसा कुछ हुआ तो नहीं अलबत्ता राजा भैया व उनके समर्थकों के इस बार डेढ़ लाख के पार का नारा लगाना शुरू कर दिया. लेकिन वो इसमें फेल हो गए. गुलशन यादव ने अपनी सभाओं में जमकर राजा भैया पर हमला बोला और नतीजा ये हुआ कि लोग दबी जुबान राजा भैया का विरोध करते दिखाई दिए. इसका नतीजा भी देखने को मिला और इस बार वो 1 लाख के आंकड़े को भी छू नहीं पाए. राजा भैया को 99,612 वोट मिले और दूसरे नंबर पर रहे गुलशन यादव को 69,297 वोट मिले.
राजा भैया के खिलाफ उठने लगी आवाज
1993 के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब राजा भैया के खिलाफ इतने बड़े स्तर पर मतदान हुआ. इस चुनाव से पहले किसी भी दल के प्रत्याशी कुंडा में वोट पाना तो दूर अपना चुनाव कार्यालय तक नहीं खोल पाते थे. इस चुनाव के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या आने वाले समय में राजा भैया अपने गढ़ को अभेद्य बनाने में कामयाब हो पाते हैं या फिर उनके विरोध में मुखर होते लोग उनके किले को ढहा देंगे.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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