वाराणसी के शास्त्री घाट पर यूपी पुलिस के नाम पर बनीं छठ की बेदियां, आकर्षण का केंद्र बनी परंपरा
Chhath Puja 2025: वाराणसी के शास्त्री घाट पर छठ पूजा की तैयारी जोरों पर है. इस बार श्रद्धालुओं ने उत्तर प्रदेश पुलिस के नाम पर बेदियां बनाकर श्रद्धा और सम्मान का अनोखा उदाहरण पेश किया.

लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज नहाय-खाय से हो रही है. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और देश के कई हिस्सों में चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है.
सूर्य उपासना के इस पर्व में व्रती नदी या तालाब के किनारे बेदी बनाकर पूजा-अर्चना करते हैं. इसी परंपरा के तहत वाराणसी के शास्त्री घाट पर इस बार बेदियों का एक अनोखा नजारा देखने को मिला है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के नाम पर बनाई गई बेदियां
वरुण पुल के पा शास्त्री घाट के पास हर साल हजारों श्रद्धालुओं के लिए पूजा का प्रमुख स्थल बनता है. इस वर्ष यहां लोगों ने अपनी पूजन बेदियों को विशेष नामों से सजाया है. इनमें सबसे अधिक ध्यान आकर्षित कर रही हैं वे बेदियां, जिन पर उत्तर प्रदेश पुलिस का नाम अंकित किया गया है. श्रद्धालुओं ने इन बेदियों पर पुलिस विभाग और अपने परिवार से जुड़े नाम भी लिखवाए हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहल श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है. कुछ लोगों ने बताया कि पुलिसकर्मी समाज की सेवा में दिन-रात तत्पर रहते हैं, इसलिए उन्हें इस तरह याद करना भी एक प्रकार की श्रद्धांजलि और आभार है.
घाटों पर उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
बनारस के घाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है. शास्त्री घाट से लेकर वरुणा नदी तट तक लोगों ने पूजा की तैयारी शुरू कर दी है. महिलाएं पारंपरिक परिधान में गंगाजल से स्नान कर सूर्य देव की आराधना करती नजर आईं.
छठ की तैयारियों में जुटा प्रशासन
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा और सफाई की विशेष व्यवस्था की है. घाटों पर प्रकाश, बैरिकेडिंग और गोताखोरों की तैनाती की गई है ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना न हो. प्रशासन का कहना है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रहने की संभावना है.
छठ के पहले दिन नहाय-खाय के साथ त्योहार का शुभारंभ हो चुका है. आने वाले दिनों में खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के साथ यह पर्व पूर्ण होगा. वाराणसी का शास्त्री घाट इस बार न केवल श्रद्धा का केंद्र बना है बल्कि पुलिस के नाम पर बनी इन बेदियों ने लोगों की आस्था और सृजनशीलता दोनों को एक साथ उजागर किया है.
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