उत्तराखंड में खत्म हो जाएगा मदरसा और वक्फ बोर्ड? चेयरमैन ने खुद उठाए सवाल, सीएम धामी से की ये मांग
शादाब शम्स ने कहा कि मदरसा बोर्ड को समाप्त करना और मदरसों की जगह बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रदान करना बेहद जरूरी है.
Uttarakhand News: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने एक बार फिर अपने साहसिक विचारों के लिए सुर्खियों में जगह बनाई है. उन्होंने राज्य सरकार से मदरसा बोर्ड और वक्फ बोर्ड को आने वाले वक्त में समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने जा रहा है, जिसके बाद इन संस्थानों की प्रासंगिकता खत्म हो जाएगी. शम्स ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार प्रदेश में समान नागरिक कानून को लागू करने की दिशा में जो कदम उठा रही है, वह सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होगा.
शम्स ने कहा कि मदरसा बोर्ड को समाप्त करना और मदरसों की जगह बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रदान करना बेहद जरूरी है. उनका मानना है कि मदरसे बच्चों को आधुनिक शिक्षा से दूर रखते हैं, जिससे उनके विकास में बाधा उत्पन्न होती है. शम्स ने यह मांग तब उठाई है जब राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) पहले ही देशभर के राज्यों से मदरसा बोर्ड और मदरसों को समाप्त करने की सिफारिश कर चुका है.
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मदरसा बोर्ड समाप्त करने की सिफारिश
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूंगो की ओर से सभी राज्यों को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं. चिट्ठी में कहा गया कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे गुणवत्तापूर्ण और समग्र शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. वही उत्तराखंड में आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने भी इस सिफारिश का समर्थन करते हुए कहा कि “मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को एक ऐसी शिक्षा प्रदान की जा रही है, जो उनके संवैधानिक अधिकारों के विपरीत है.” खन्ना ने जोर देते हुए कहा कि सभी बच्चों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना बेहद जरूरी है ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.
NCPCR ने अपनी सिफारिश में यह भी कहा कि सभी मदरसों को बंद कर दिया जाना चाहिए और बच्चों को औपचारिक स्कूलों में दाखिल कराया जाना चाहिए ताकि वे शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सभी आवश्यक प्रावधानों का लाभ उठा सकें.
वक्फ बोर्ड की भूमिका पर सवाल
शादाब शम्स ने कहा कि वक्फ बोर्ड का मूल उद्देश्य मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन और संरक्षण करना है. लेकिन जब प्रदेश में UCC लागू हो जाएगा, तब वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाओं की कोई प्रासंगिकता नहीं रहेगी. उन्होंने कहा, "जब हर नागरिक को एक समान कानून के तहत लाया जाएगा, तो वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाओं की जरूरत नहीं रहेगी."
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में UCC लागू करने की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है. UCC का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करना है, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति से संबंधित हों.
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
शादाब शम्स के इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है. जहां कुछ लोगों ने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है, वहीं कुछ ने इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर हमला बताया है. कुछ संगठनों का मानना है कि वक्फ बोर्ड और मदरसों का अस्तित्व मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है, और इन्हें समाप्त करना उनके अधिकारों के खिलाफ है.
हालांकि, शम्स ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि UCC लागू होने के बाद सभी नागरिकों को एक समान कानून का पालन करना होगा, जिससे धर्म और जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जा सकेगा.
शादाब शम्स द्वारा मदरसा बोर्ड और वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की मांग ने राज्य में एक नई बहस को जन्म दिया है. अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेती है और UCC लागू होने के बाद राज्य की राजनीतिक और सामाजिक संरचना पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा. उनका मानना है कि UCC के बाद वक्फ बोर्ड जैसे संस्थानों की जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि हर नागरिक समान कानून के दायरे में आ जाएगा
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने अपने बयान में एक महत्वपूर्ण और साहसिक विचार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि देश में सभी धर्मों के लिए एक समान कानून होना चाहिए, ताकि धार्मिक उन्माद और विवादों की कोई गुंजाइश न बचे. उनका मानना है कि जिस प्रकार से कानून गिरजाघरों, गुरुद्वारों, बौद्ध मठों और मंदिरों के लिए बनाए जाते हैं, वैसे ही मस्जिदों और मदरसों के लिए भी लागू होने चाहिए.
शम्स का यह बयान यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के संदर्भ में है, जिसमें सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करने की बात कही गई है. उन्होंने इस विचार पर जोर देते हुए कहा कि एक समान कानून से सभी धर्मों को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है, जिससे हमारे देश के विकास का सपना साकार हो सकेगा. शम्स के अनुसार, जब सभी धर्मों के लोग एक ही कानून का पालन करेंगे, तो समाज में एकता और समरसता बढ़ेगी, और धार्मिक विवादों की संभावना कम हो जाएगी.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तराखंड में UCC लागू करने की तैयारी चल रही है. शम्स का यह विचार देश में समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो कि एक विकसित और सशक्त भारत के निर्माण में सहायक साबित होगा.