अलीगढ़ CMO कार्यालय में पोस्टर तोड़े जाने से भ्रष्टाचार पर सवाल, अधिकारियों की चुप्पी पर नाराजगी
Aligarh News: ये पोस्टर सीएमओ कार्यालय की दीवारों, गलियारों और कुछ महत्वपूर्ण विभागों के कमरों में लगाए गए थे. इन पर भ्रष्टाचार सम्बन्धित शिकायतों के नम्बर लिखे थे. लेकिन किसी ने फाड़ दिए.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित सीएमओ कार्यालय में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां भ्रष्टाचार मुक्त भारत और पारदर्शी प्रशसन के पोस्टर शरारती तत्वों ने फाड़ दिए. जिसको लेकर जिम्मेदारों पर सवाल उठ रहे हैं. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. लेकिन किसी भी कर्मचारी पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
ये पोस्टर सीएमओ कार्यालय की दीवारों, गलियारों और कुछ महत्वपूर्ण विभागों के कमरों में लगाए गए थे. इन पर साफ-साफ लिखा था. यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी आपसे रिश्वत की मांग करता है या भ्रष्टाचार फैलाता है तो नीचे दिए गए नंबर पर शिकायत दर्ज कराएं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि पोस्टर लगाए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर उन्हें फाड़ दिया गया. सूत्रों के मुताबिक, इन्हें उन्हीं लोगों ने हटाया, जिन पर भ्रष्टाचार फैलाने और अवैध कार्यों को संरक्षण देने के आरोप पहले से लगते रहे हैं.
भ्रष्टाचारियों के निशाने पर ईमानदारी का संदेश
जानकारी के मुताबिक, सीएमओ कार्यालय के भीतर कई वर्षों से एक संगठित भ्रष्टाचार तंत्र सक्रिय है. कहा जा रहा है कि यहां फाइलों को आगे बढ़ाने, अस्पतालों के पंजीकरण करवाने, फर्जी हॉस्पिटलों को चलाने, मेडिकल जांचों में अनियमितता और फंड पास कराने जैसे कार्यों में मोटी रकम ली जाती है. ऐसे में जब “भ्रष्टाचार मुक्त कार्यालय” का संदेश दीवारों पर चस्पा किया गया, तो यह कई कर्मचारियों को नागवार गुजरा. कुछ कर्मचारियों ने तो अंदर ही अंदर यह तक कह दिया कि यह पोस्टर लगाना तो जैसे हमारे काम पर चोट करना है. और देखते ही देखते, पोस्टर फाड़ दिए गए.
अब सवाल यह उठता है कि जब पोस्टर सीएमओ कार्यालय के अंदर लगे थे, तो उन्हें फाड़ने वालों की पहचान करना मुश्किल क्यों है?
कैमरों में कैद हैं भ्रष्टाचारियों के चेहरे
कार्यालय के कुछ कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि सितंबर माह के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाए तो पोस्टर फाड़ने वालों के चेहरे साफ-साफ नजर आएंगे. लेकिन अब तक किसी अधिकारी ने फुटेज खंगालने की पहल नहीं की. यह भी बताया जा रहा है कि कार्यालय के भीतर तैनात कुछ वरिष्ठ बाबुओं और क्लर्कों पर पहले से ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग चुके हैं, मगर वे अब भी बेखौफ होकर अपनी कुर्सियों पर जमे हुए हैं.
शहर विधायिका तक कर चुकी हैं शिकायत
सीएमओ कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार की शिकायत कोई नई नहीं है. बताया जाता है कि इस दफ्तर में भ्रष्टाचार की कई शिकायतें न केवल आम नागरिकों बल्कि जनप्रतिनिधियों तक ने की हैं. सूत्रों के अनुसार, अलीगढ़ की शहर विधायिका भी इस कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार की शिकायत लिखित रूप में कर चुकी हैं, लेकिन अब तक किसी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई. विधायिका ने पिछले महीनों में साफ कहा था कि स्वास्थ्य विभाग की छवि को सबसे ज्यादा नुकसान इसी कार्यालय से पहुंच रहा है. उन्होंने जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग भी की थी, लेकिन शिकायतें फाइलों में दबकर रह गईं.
जनता में गुस्सा, जिम्मेदारों में चुप्पी
सीएमओ कार्यालय की इस घटना के बाद शहरवासियों में भी रोष देखने को मिल रहा है. सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुए कहा कि जब भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा देने वाले पोस्टर तक सरकारी दफ्तर में सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा? कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सीएमओ कार्यालय की जांच कराने की मांग की है.
Source: IOCL






















