UP AQI Today: नोएडा में सांस लेना दूभर, AQI पहुंचा 534! दमघोंटू हवा से हालात बेहद खतरनाक
Air Pollution in UP: उत्तर प्रदेश में दिल्ली से सटे जिलों में हवा मे प्रदूषण का स्तर लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ हैं. हालात अब बेहद ख़राब हो गए हैं. हवा इतनी प्रदूषित है कि साँस लेना मुश्किल है.

उत्तर प्रदेश में सर्दी के साथ प्रदूषण का स्तर लगातार बिगड़ता जा रहा है, हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अब हवा में जहर घुला महसूस होने लगा है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हवा विशेष रूप से चिंता बढ़ाने वाली है. रविवार रात 11 बजे तक ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे का AQI 534 रिकॉर्ड किया गया, जो गंभीर (Severe+) श्रेणी में आता है. दिल्ली से सटे जिलों में हवा सांस लेने के लायक नहीं बची है.
गंभीर श्रेणी में आने वाली हवा स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है. इस स्तर पर हवा सांस लेने योग्य नहीं रहती और सामान्य लोगों को भी गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव महसूस होने लगते हैं. जिसे देखते हुए दिल्ली–एनसीआर में GRAP-4 लागू कर दिया है.
गंभीर श्रेणी में पहुंची यहां की हवा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक सोमवार सुबह छह बजे गाजियाबाद के लोनी इलाके में सबसे अधिक 458 एक्यूआई दर्ज किया गया वहीं इंदिरापुरम में 439 और वसुंधरा इलाके में 419 एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया. जबकि नोएडा के सेक्टर-116 में एक्यूआई 410, सेक्टर-125 में 431, ग्रेटर नोएडा में 444, हापुड़ में 431 रहा. इसके अलावा मेरठ के पल्लवपुरम में 369, मुजफ्फरनगर में 317, बागपत में 344 बुलंदशहर में 366 एक्यूआई दर्ज किया गया जो बेहद खराब श्रेणी की हवा है.
दिल्ली एनसीआईर में ग्रेप-4 लागू
लगातार बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली–एनसीआर में GRAP-4 लागू कर दिया है. इसके तहत निर्माण गतिविधियाँ बंद, स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की सलाह, ट्रकों की एंट्री पर रोक और औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती जैसे प्रावधान लागू होने चाहिए. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि GRAP-4 की पाबंदियाँ काफी हद तक बेअसर साबित हो रही हैं.
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली में निर्माण कार्य, खुली धूल, कचरा और डीज़ल वाहनों की आवाजाही पर निगरानी अब भी कमजोर है. प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियाँ, स्थानीय प्रशासन और प्राधिकरण तीनों ही इस खतरे को रोकने में असफल नजर आ रहे हैं.
डिलिवरी सेवाओं के डीज़ल वाहनों पर लगेगी रोक
गौरतलब है कि इस बीच वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने जनवरी माह से एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है. डिलीवरी सेवाओं में डीज़ल वाहनों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाएगा. अब ई-कॉमर्स और अन्य सप्लाई सेवाओं में केवल CNG और इलेक्ट्रिक वाहन ही अनुमति पाएंगे.
सरकार का दावा है कि इससे प्रदूषण स्तर में कमी आएगी, क्योंकि दिल्ली–एनसीआर में डीज़ल डिलीवरी वाहनों की संख्या लाखों में है और ये प्रदूषण के एक बड़े स्रोत माने जाते हैं.
जानकारी के अनुसार प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर ने लोगों की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं। आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी, बच्चों और बुजुर्गों में खांसी-बुखार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों ने लोगों को घर से कम निकलने, मास्क पहनने और एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करने की सलाह दी है.
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