UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में यूसीसी विधेयक पेश, AIMPLB ने दी पहली प्रतिक्रिया, फरंगी महली ने पूछा ये सवाल
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा समान नागरिक संहिता उत्तराखंड विधेयक 2024 पेश करने पर चहुंओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अब इस पर AIMPLB ने भी अपना पक्ष रखा है.

Uniform Civil Code: उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा समान नागरिक संहिता उत्तराखंड विधेयक 2024 पेश करने पर चहुंओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बाद अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी टिप्पणी की है. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सरकार से सवाल पूछे हैं. उन्होंने पूछा कि क्या इससे सब कुछ एक समान हो जाएगा?
समाचार एजेंसी पीटीआई से मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा 'क्या यूसीसी आने पर जितने भी कानून हैं उनमें समानता आ जाएगी? नहीं, बिल्कुल समानता नहीं होगी. जब आपने कुछ समुदायों को छूट दे दी है तो समानता कैसे हो सकती है?हमारी कानूनी समिति मसौदे का अध्ययन करेगी और उसके अनुसार निर्णय लेगी.'
1400 साल से हम दे रहे हिस्सा- एसटी हसन
वहीं एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम ने इस विधेयक पर कहा- 'मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि उनका उद्देश्य क्या है क्योंकि अगर वे यूसीसी लागू कर रहे हैं तो उत्तराखंड सरकार ने आदिवासियों, दलितों को इस अधिनियम से छूट क्यों दी? इस कानून के तहत अगर आदिवासी और दलित शामिल नहीं हैं तो समानता कैसे आएगी? यूसीसी लागू करके वे उन्हें उनके सामाजिक अधिकार, कानूनी अधिकार और अन्य धार्मिक अधिकारों से वंचित करना चाहते हैं. हम यूसीसी बिल का विरोध करते हैं.'
इसी मामले पर सपा सांसद एसटी हसन ने कहा, 'मुसलमानों को क़ुरान पाक ने जो हिदायतें दी हैं अगर इसके ख़िलाफ कोई कानून बनता है, जैसे-हम 1400 साल से पैतृक संपत्ति में बेटी को हिस्सा दे रहे हैं, तो अगर इसके विरुद्ध काई क़ानून बनता है तो हम उसे मानने को तैयार नहीं हैं. अगर हमारी शरियत के क़ाननू से दूसरों को कोई परेशानी नहीं है तो इन्हें क्यों है? ये कब तक हिंदू-मुसलमान करके ध्रुवीकरण करते रहेंगे.
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