रेगिस्तान में फलती-फूलती अनार की खेती पर वायरस का हमला, हजारों किसानों की रोजी-रोटी पर संकट
Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान में अनार की खेती पर वायरस के बढ़ते प्रकोप से किसानों की चिंता बढ़ गई है. मौसम में बदलाव, गलत खेती पद्धति और वैज्ञानिक चेतावनी के बीच हजारों हेक्टेयर फसल संकट में है.

पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर जालोर और नागौर क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में अनार की खेती किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरी है. सीमित पानी में तैयार होने वाली यह फसल रेगिस्तान में भी बंपर उत्पादन देती है. किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में अनार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन इस सीजन में अनार की फसल पर एक ऐसे वायरस ने हमला किया है, जिसने किसानों की उम्मीदों को गहरा झटका दिया है.
कई खेतों में पौधे सूखने लगे हैं, फल पर दाग दिख रहे हैं और उत्पादन घटने लगा है. किसानों का कहना है- “एक अनार सौ बीमार” कहावत तो सुनी थी, लेकिन इस बार अनार ही बीमारी का शिकार हो गया है.
20-25 हजार हेक्टेयर में वायरस का असर, वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा
जोधपुर काजरी के कृषि एवं मृदा वैज्ञानिक डॉ. मीणा ने बताया कि 20 से 25 हजार हेक्टेयर भूमि में सर्वे किया गया है, जहां इस समय अनार की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. सर्वे में यह सामने आया है कि- कई क्षेत्रों में अनार के पौधों में वायरल इन्फेक्शन तेजी से फैल रहा है. पौधे का रंग बदल रहा है, पत्ते मुड़ रहे हैं और फल का आकार छोटा पड़ने लगा है.
वायरस के कारण कई किसानों की पूरी बागवानी नष्ट होने की कगार पर है. साथ ही डॉ. मीणा ने बताया कि यह वायरस जलवायु परिवर्तन, बढ़ती गर्मी और असमय बदलते मौसम की वजह से और ज्यादा सक्रिय हो गया है.
गलत खेती पद्धति भी बन रही नुकसान की बड़ी वजह
किसान खुद भी गलती कर रहे- ‘जल्दी फसल लेने’ का लालच भारी पड़ रहा. वैज्ञानिकों का कहना है कि नुकसान की एक बड़ी वजह किसानों का गलत तरीका भी है. कई किसान- जल्द उत्पादन लेने के लिए पौधे पर अतिरिक्त उर्वरक डालते हैं, कई बार अनुचित दवाइयों का छिड़काव कर देते हैं, मिट्टी परीक्षण कराए बिना खाद प्रबंधन कर देते हैं. इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और वायरस तेजी से हमला कर देता है.
डॉ. मीणा ने किसानों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अनार की खेती तभी लाभकारी है जब किसान वैज्ञानिक पद्धति का पालन करें. समय-समय पर विभाग द्वारा जारी फोरकास्टिंग एडवाइजरी के अनुसार छिड़काव अनिवार्य है. खेतों में संतुलित पोषण, स्वच्छ सिंचाई और पौधों का निरीक्षण बेहद जरूरी है. मिट्टी परीक्षण के बिना खाद डालना फसल को नुकसान पहुंचा सकता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यदि किसान दिशा-निर्देशों का सही पालन करें तो वायरस के खतरे को काफी कम किया जा सकता है.
सेहत का अमृत अनार, लेकिन खेतों में बीमारी का कहर
अनार को दुनिया का सबसे लाभकारी फल माना जाता है. इसमें मौजूद- विटामिन C, विटामिन K, फाइबर और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, शरीर की गंदगी साफ कर Immune System को मजबूत बनाते हैं. रोजाना एक अनार खाने से स्किन ग्लो बढ़ता है, दिल मजबूत होता है, बच्चों और बड़ों, दोनों के लिए फायदेमंद रहता है. लेकिन आज वही अनार किसानों की चिंता बन गया है. किसानों की आंखों में चिंता- “पूरे साल की मेहनत दांव पर है” पौधे सूख रहे हैं, फल गिर रहे हैं, वायरस का असर नियंत्रित नहीं हो रहा.
किसानों ने सरकार और कृषि विभाग से जल्द राहत की मांग की है, ताकि उनकी मेहनत बेकार न जाए. यदि किसान और कृषि विभाग मिलकर काम करें तो इस संकट से बड़ी मात्रा में फसल को बचाया जा सकता है.
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Source: IOCL
























