Padma Awards 2023: पद्मश्री पाने वाले लक्ष्मण ने जल संरक्षण और शिक्षा के लिए वर्षों से जगाई अलख, बदल गई हजारों की 'डगर'
Rajasthan News: लक्ष्मण सिंह ने अपने गांव लापोड़िया को बदलने के लिए काम शुरू कर दिया था. 18 साल की उम्र में ही वो गांव में पानी की भारी किल्लत को दूर करने में लग गए थे.
जयपुर: राजस्थान जयपुर जिले के दूदू ब्लॉक के लापोड़िया गांव निवासी लक्ष्मण सिंह (LAKSHMAN SINGH LAPORIYA) को पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की गई है. उन्हें उनके सामाजिक कार्य के लिए अवार्ड दिया जाएगाय वैसे लक्ष्मण सिंह राजस्थान में कोई नया नाम नहीं है.इनके नाम को लोग सम्मान से लेते हैं.लापोडि़या गांव निवासी लक्ष्मण सिंह को पिछले 11 अक्टूबर को दिल्ली में लोकनायक जयप्रकाश अवार्ड से सम्मानित किया गया.पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था.लक्ष्मण सिंह ने अपने जल संरक्षण के कार्यों की बदौलत लगभग 50 से अधिक गांवों की तकदीर और तस्वीर बदल दी है.इन्हें देश में जल संरक्षण के क्षेत्र में जाना जाता है. जयपुर से भले 80 किमी की दूरी इनका गांव है लेकिन इन्हें पूरे राजस्थान में जाना और पहचाना जाता है.जल संरक्षण और शिक्षा के लिए वर्षों से अलख जगाये रखी जिससे हजारों लोगों के जिंदगी की डगर बदल गई.
18 साल की उम्र में शुरू की सेवा
लापोड़िया गांव को लोग तब अच्छे से नहीं जानते थे जब लक्ष्मण सिंह 18 साल के थे. जल संकट और शिक्षा का अभाव था. उस दौरान लापोड़िया में लोग परेशान हुआ करते थे.लेकिन अपने 18 साल की उम्र में ही लक्ष्मण सिंह ने ठान लिया था कि उन्हें कुछ बड़ा करना है. भले ही उम्र छोटी थी लेकिन लक्ष्य बड़ा और कठिन था. 40 साल पहले अपने गांव की सूरत बदलने की कोशिश जब शुरू की थी.लक्ष्मण सिंह की उम्र अब 68 वर्ष है.लापोड़िया गांव की तस्वीर भी बदली और पढ़ाई की व्यवस्था भी. खुद लक्ष्मण सिंह ने पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई लापोड़िया में ही की है.उसके आगे की पढ़ाई के लिए गांव में लिए स्कूल नहीं था.जानकारी के अनुसार आगे की पढ़ाई के लिए लक्ष्मण सिंह अपने ननिहाल जयपुर आ गए.यहां रहकर पढ़ाई की लेकिन लापोड़िया के लिए काम करने की इच्छा नहीं खत्म हुई उसे ज़िंदा रखा.
अपने गांव से ही की शुरुआत
पढ़ाई के दौरान ही लक्ष्मण सिंह ने अपने गांव लापोड़िया को बदलने के लिए काम शुरू कर दिया था. 18 साल की उम्र में ही वो गांव में पानी की भारी किल्लत को दूर करने में लग गए थे.लोग पीने का पानी भरने के लिए कुओं में नीचे तक उतरते जाते थे, तब उन्हें पानी मिलता था.इसका असर मानव जीवन के साथ खेती पर भी खूब पड़ने लगा था.इसका बड़ा नुसकान लोगों को उठाना पड़ता था.इसलिए लोग लापोड़िया को छोड़कर शहर की तरफ रुख करना शुरू किया था. लक्ष्मण सिंह ने अपने गांव के पुराने तालाब को ठीक करने की शुरुआत की.उन्होंने खुद श्रमदान किया और तालाब की मरम्मत का काम शुरू किया. इतना ही नहीं उन्होंने काम को और तेज करने के लिए ‘ग्राम विकास नवयुवक मंडल लापोड़िया’भी बनाया.तालाबों को ठीक करने के बाद लक्ष्मण सिंह ने अपनी संस्था के लोगों को दूसरे गांवों में भी लोगों को तालाब बनाने के लिए प्रेरित करने भेजा.कई गांव में स्कूल खुलवाया.आज वर्षों की मेहनत का फल लक्ष्मण सिंह को पद्मश्री के रूप में मिला है.
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