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जज्बे को सलाम, जिनकी कोशिशों से बची कोचिंग स्टूडेंट्स की जान, कोटा कलेक्टर ने की मुलाकात

Kota News: कोटा कलेक्टर ने शहर में संचालित कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को तनाव से बाहर निकालते हुए उनमें सकारात्मकता लाने वाले कोचिंग फैकल्टी, मेंटोर्स, हॉस्टल संचालकों से मिले.

Rajasthan News: राजस्थान के कोटा में सुसाइड को कम करने और कोचिंग स्टूडेंट को डिप्रेशन से बाहर लाने के लिए कोटा जिला प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है. इस कड़ी में जो लोग भागीदार बन रहे हैं, उनसे नियमित बातचीत कर उनकी हौंसला अफजाई भी की जा रही है. ऐसे में जिला कलेक्टर ने कोटा शहर में संचालित कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को तनाव से बाहर निकालते हुए उनमें सकारात्मकता लाने वाले कोचिंग फैकल्टी, मेंटोर्स, हॉस्टल संचालकों, वार्डन और पुलिसकर्मियों को सराहा है. 

कलेक्टर ने इसी जज्बे को आगे भी कायम रखते हुए कोचिंग स्टूडेंट्स को सकारात्मक माहौल देने की अपील की है. जिला प्रशासन द्वारा शहर में देशभर से आने वाले कोचिंग स्टूडेंट्स को सकारात्मक और सहयोगात्मक माहौल देने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में कोचिंग फैकल्टी, मेंटोर्स, हॉस्टल संचालकों, वार्डन, काउंसलिंग से जुड़े लोगों से जिला कलेक्टर ने बात की.

इसके साथ ही ये जाना कि कैसे बच्चे के तनाव में होने की जानकारी मिलने पर समय रहते काउंसलिंग की जाए तो उसे तनाव से बाहर निकाला जा सकता है. जिला कलेक्टर से संवाद के दौरान फैकल्टी, मेंटोर्स और हॉस्टल संचालकों ने अपने अनुभव बताए कि कैसे उन्होंने बच्चे के मन में चल रहे भावों को पहचाना और उन्हें सही गाइडेंस देकर तनाव से बाहर निकालने में मदद की. जिला कलेक्टर ने उन सभी लोगों की सराहना की जिन्होंने अपने विशेष प्रयासों से उन बच्चों की जान बचाने में मदद की.
   
जिला प्रशासन को आया पिता का मेल
कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों को लेकर कोटा जिला प्रशासन की सजगता का एक उदाहरण 2 मई को नजर आया, जब एक बच्ची के पिता ने रात 9 बजे जिला कलेक्टर को ई-मेल के माध्यम से बच्ची के डिप्रेशन में रहने के बारे में जानकारी दी. जिला प्रशासन ने तुरंत बच्ची से बात की और बच्ची के हॉस्टल जाकर उसकी काउंसलिंग करवाई. इसके बाद बच्ची के माता-पिता को कोटा बुलाया गया.

इसी तरह की एक घटना 2 मई को सुबह हुई थी, जब जिला कलेक्टर के ई-मेल पर एक बच्चे ने अपने डिप्रेशन में होने की जानकारी दी. ई-मेल मिलते ही बच्चे के बारे में पता किया गया, तो उसके सीकर में होने की जानकारी मिली. जिस पर कोटा कलेक्टर ने सीकर कलेक्टर से बात कर वहां उस बच्चे की काउंसलिंग करवाई और उसके माता-पिता को सूचना दी. 

बच्चे के इस हरकत से समझ आया डिप्रेशन 
संवाद के दौरान एक हॉस्टल संचालक ने बताया कि हॉस्टल के खाने को घटिया बताते हुए गुस्सा करने वाले एक बच्चे की गतिविधियों पर लगातार ध्यान रखते हुए उसके तनाव में होने का पता चला. इसके बाद बच्चे की काउंसलिंग करवाई गई. कुन्हाड़ी थाना में कार्यरत सिपाही महेन्द्र सिंह ने बताया कि बच्चे के हॉस्टल या कोचिंग संस्थान में नहीं पहुंचने की खबर मिलते ही तुरंत मोबाईल लोकेशन ट्रेस करते हुए सर्विलांस के माध्यम से बच्चे को ढूंढा जाता है.

21 फरवरी को हुई एक घटना का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि एक बच्चे की मिसिंग शिकायत मिलने के बाद रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फूटेज खंगाले गए और उस बच्चे के अयोध्या की ट्रेन में बैठने, जौनपुर फिर कोलकाता फिर जलपाईगुड़ी जाने की पूरी गतिविधि को ट्रेस करते हुए उसे जलपाईगुडी में उसके रिश्तेदार को सूचना देकर उनके हवाले किया गया.  

कोचिंग संस्थानों को दिए गए ये निर्देश
एक कोचिंग संस्थान में सीनियर फैकल्टी पर कार्यरत दिनेश सिंह ने बताया कि उनके संस्थान में 'अपना बेटा' प्रोग्राम चलाकर 15-15 बच्चों की जिम्मेदारी फैकल्टी को दी गई है. ताकि उनसे लगातार संवाद कायम रखा जा सके. जिला कलेक्टर ने कोचिंग संस्थानों को भी निर्देश दिए कि उनकी फैकल्टी भी सप्ताह में एक बार हॉस्टल जाकर देखें कि वहां बच्चे कैसे रह रहे हैं और वो किसी तरह के तनाव में तो नहीं है.

जिला कलेक्टर ने सभी हॉस्टल संचालकों, फैकल्टी, मेंटोर्स और अन्य लोगों से अपील की कि वो बच्चे के व्यवहार में आए परिवर्तन पर ध्यान देते हुए संबंधित कोचिंग संस्थान को इसकी जानकारी दें, ताकि बच्चे की काउंसलिंग हो सके और उसके मन को समझा जा सके. जिला प्रशासन की नोडल कॉर्डिनेटर सुनीता डागा ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा दी जा रही गेट कीपर ट्रेनिंग का सकारात्मक असर नजर आया है और बच्चों की काउंसलिंग होने से उनमें तनाव कम करने में मदद मिली है.

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