छगन भुजबल को मंत्री बनाने पर उद्धव गुट का तंज, इतिहास बताकर कहा- '...तो शिंदे को इस्तीफा देना चाहिए'
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि क्या अब एकनाथ शिंदे खुद छगन भुजबल की बगल में बैठेंगे? एकनाथ शिंदे ने कभी यह प्रण लिया था कि उन्हें मंत्रिमंडल में भुजबल की 'मांडी' नहीं चाहिए.

Uddhav Thackeray Chhagan Bhujbal: महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुती सरकार में NCP नेता छगन भुजबल के मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ ही राज्य की राजनीति में घमसान मच गया है . उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) आक्रामक हो गई और अब शिंदे की शिवसेना से सवाल पूछ रही है .
शिवसेना UBT के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में लिखा गया, ''हिंदूहृदयसम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को गिरफ्तार करने वाले छगन भुजबल के साथ घनिष्ठता दिखाने पर उस वक्त एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से सवाल पूछे थे—कि भुजबल की बगल में बैठते वक्त उन्हें पीड़ा क्यों नहीं होती? उन्हें शर्म क्यों नहीं आती? लेकिन अब वही छगन भुजबल महायुती सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं. ऐसे में अब एकनाथ शिंदे के जीवन की सबसे कठिन घड़ी आ गई है.''
क्या अब शिंदे खुद भुजबल की बगल में बैठेंगे- सामना
‘सामना’ के जरिए सवाल पूछा गया है कि क्या अब शिंदे खुद भुजबल की बगल में बैठेंगे? एकनाथ शिंदे ने कभी यह प्रण लिया था कि उन्हें मंत्रिमंडल में भुजबल की “मांडी” (जांघ से जांघ सटाकर बैठना) नहीं चाहिए. लेकिन अब जब भुजबल की मंत्रिमंडल में एंट्री हो चुकी है, तो इससे न सिर्फ भुजबल की वापसी हुई है, बल्कि शिंदे और फडणवीस जैसे कई नेताओं की ‘शोकांतिका’ भी लिखी गई है. क्योंकि फडणवीस और शिंदे दोनों का छगन भुजबल से पुराना बैर रहा है. अब उन्हें अपनी “मांडी” खुजाने के बजाय भुजबल की “मांडी” खुजानी पड़ेगी.
सामना में लिखा गया है कि शिंदे और उनके समर्थकों ने जब शिवसेना छोड़ी और अमित शाह का नेतृत्व स्वीकार किया, तो उनका एक बड़ा तर्क यही था कि वे छगन भुजबल जैसे नेता के साथ नहीं बैठ सकते, जो कभी शिवसेना प्रमुख को गिरफ्तार कराने वाले थे. उन्होंने तब कहा था कि ऐसे लोगों की परछाईं में भी खड़ा नहीं रह सकते. लेकिन अब अमित शाह और फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को ऐसी परिस्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है कि यदि उनके मन में वाकई शिवसेना प्रमुख के लिए श्रद्धा है, तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए. नहीं तो मंत्रिमंडल में भुजबल की “मांडी” के बाल नोचते हुए दिन बिताने चाहिए.
'भुजबल का फूलों का गुलदस्ता देकर सत्कार भी किया'
सामना में कहा, ''भुजबल के शपथग्रहण समारोह में शिंदे और उनके सहयोगी न केवल उपस्थित रहे, बल्कि उन्होंने शिवसेना प्रमुख को गिरफ्तार करने वाले भुजबल का फूलों का गुलदस्ता देकर सत्कार भी किया. भुजबल का मंत्रिमंडल में प्रवेश शिंदे और उनके समर्थकों के लिए एक स्पष्ट संकेत है. छगन भुजबल के कई घोटालों को लेकर खुद देवेंद्र फडणवीस ने समय-समय पर आवाज उठाई थी. उन्होंने यहां तक कहा था कि अजित पवार को भी जेल में भुजबल के पास की कोठरी में चक्की पीसने भेजेंगे.''
उन्होंने कहा, ''ऐसे भुजबल और अजित पवार की जगह जेल में है, और ऐसे लोगों के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अब बगल में बैठते हैं-इसे क्या कहा जाए? यही कारण था कि फडणवीस पहले कहा करते थे कि ठाकरे सरकार गिराएंगे और भुजबल -अजित पवार को चक्की पिसवाने भेजेंगे. फडणवीस यह भी बार-बार दोहराते थे कि भुजबल निर्दोष नहीं हुए हैं, बल्कि सिर्फ जमानत पर बाहर हैं.''
एकनाथ शिंदे गुट का पलटवार
सामना ने कहा, ''मगर अब हालात ये हैं कि छगन भुजबल और अजित पवार, दोनों नेता अपने ऐतिहासिक ‘मांडी’ के साथ फडणवीस के मंत्रिमंडल में मौजूद हैं. और बीजेपी के लोग उनकी मांडी पर ‘देवेंद्र रत्न’ तेल लगाकर भ्रष्टाचार की नींव को और मजबूत कर रहे हैं.''
सामना संपादकीय पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे के जीवन के अंतिम समय में छगन भुजबल और बालासाहेब के संबंध मधुर हो गए थे . छगन भुजबल ने उद्धव ठाकरे के सीएम रहते उनके मंत्रिमंडल में काम किया तब संजय राउत ने टिप्पणी क्यों नहीं की?
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