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Maharashtra Corona News: तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले, फिर भी टेस्ट कराने से परहेज कर रहे लोग, आखिर क्यों?
Maharashtra: ई वार्ड के चिकित्सा अधिकारी डॉ. शैलेंद्र गुजर ने कहा कि अब कोरोना एंडेमिक की तरह बन गया है, इसलिए लोग इसके लक्षणों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
![Maharashtra Corona News: तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले, फिर भी टेस्ट कराने से परहेज कर रहे लोग, आखिर क्यों? Corona cases are increasing rapidly in Maharashtra, yet people are avoiding getting tested, why? Maharashtra Corona News: तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले, फिर भी टेस्ट कराने से परहेज कर रहे लोग, आखिर क्यों?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/07/fdb77e13dc3677a26fa9052e1d7f071a_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Maharashtra Coronavirus News: महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोरोना (Coronavirus) के मामले एक बार फिर से रफ्तार पकड़ने लगे हैं. पिछले दो हफ्तों में कोरोना के मामलों में आई तेजी ने शहर के लोगों को कोरोना का टेस्ट कराने के लिए प्रेरित किया है. परीक्षण में तेजी लाने के लिए नागरिक प्रमुख आईएस चहल के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद बीएमसी (BMC) अधिकारियों ने पिछले सप्ताह एक दिन में 8 हजार से 9 हजार टेस्ट किये जिसकी वजह से रविवार को टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (TPR) 11 प्रतिशत पहुंच गया. टेस्टिंग में 961 नए कोरोना पॉजिटिव केसों का पता चला. फरवरी में जब कोरोना के दैनिक मामले 700 से नीचे चले गए थे तब एक दिन में 35 हजार से अधिक टेस्ट किये गए. मुंबई में कोरोना की तीसरी लहर के पीक पर पहुंचने के दौरान दैनिक परीक्षण 60 हजार से ऊपर थे. अब ज्यादातर परीक्षण हवाई यात्रियों और सर्जरी से पहले के रोगियों के किए जा रहे हैं. जबकि चहल ने अधिकारियों को हर दिन लगभग 30 हजार टेस्ट करने को कहा था.
अच्छी टेस्टिंग के लिए क्या हैं WTO के मानक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WTO) के दिशानिर्देशों के अनुसार टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (टीपीआर) यदि 5 से कम है तो यह पर्याप्त टेस्टिंग दर्शाता है. अभी के लिए आईसीएमआर ने केवल सिम्टोमेटिक लोगों का टेस्ट करने की सिफारिश की है. ई वार्ड के चिकित्सा अधिकारी डॉ. शैलेंद्र गुजर ने कहा कि पहले कई सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश करने से पहले परीक्षण अनिवार्य थे, लेकिन अब ऐसी कोई बाध्यता नहीं है. इसलिए हम केवल क्लीनिक में आने वाले लोगों का ही टेस्ट कर सकते हैं.
टेस्टिंग में क्यों रुचि नहीं ले रहे लोग
उन्होंने कहा कि अब कोरोना एक एंडेमिक की तरह बन चुका है इसलिए इसके लक्षणों को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है. ए वार्ड के चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्राजक्ता अंबेडकर ने कहा कि पहले हम प्रमुख रेलवे स्टेशनों, बाजारों, समुद्र तटों पर लोगों का टेस्ट कर रहे थे, लेकिन अब लोग हमसे रैंडम टेस्टिंग के नियम दिखाने के लिए कहते हैं. उन्होंने कहा कि बिल्डिंगों में रह रहे लोग तो अपना टेस्ट खुद ही कर ले रहे हैं और 96 प्रतिशत कोरोना के मामले इन्हीं बिल्डिंगों में रह रहे लोगों के आ रहे हैं. वहीं मलिन बस्तियों में रह रहे सिम्टोमेटिक लोग जब क्लीनिक पर आते हैं तो वे टेस्ट कराने से इंकार कर देते हैं. उन्हें लगता है कि पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें 7 दिन के लिए क्वारंटीन रहना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि लेकिन अब हमने सभी अस्पतालों को श्वांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों का अनिवार्य रूप से परीक्षण करने का निर्देश दिया है.
हमें सतर्क रहने की जरूरत
उन्होंने आगे कहा कि ज्यादातर मामलों में कोविड लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जबकि कुछ लोगों में हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. डॉ. ने कहा कि हम नहीं जानते कि यह भविष्य में किस तरह से बदलेगा. वायरस तुलनात्मक रूप से नया है और इसके बारे में ज्यादा स्टडी नहीं हुई है. इसलिए हमें सतर्क रहने की जरूरत है.
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