बाबा सिद्दीकी हत्याकांड के आरोपी शूटर गुरमेल सिंह का कबूलनामा, 'मुझे गलती का...'
Baba Siddique Murder Case: बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपी ने पुलिस के सामने अपने गुनाह कबूल कर लिए हैं. उसने कहा कि वो ऐसा इसलिए कर रहा है, क्योंकि उसे अपनी गलती का पछतावा है.

Baba Siddique Murder Case: एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने विशेष मकोका कोर्ट में चार्जशीट फाइल की थी. इस चार्जशीट में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं. इस हत्याकांड की जांच करते हुए मुंबई क्राइम ब्रांच ने 26 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आरोपी गुरमेल सिंह ने पुलिस के सामने अपने गुनाहों को कबूल कर लिया है. उसने कहा कि वो ऐसा इसलिए कर रहा है, क्योंकि उसे अपनी गलती का पछतावा है.
गिरफ्तार आरोपी ने कहा, मेरा नाम गुरमेल बलजीत सिंह उर्फ गुरी है. मैं कैथल हरियाणा का रहने वाला हूं. मैं 2021-22 में एक मर्डर केस में कैथल जेल में बंद था. इसी दौरान मेरी पहचान मोहम्मद जीशान अख्तर, आशीष, धौला, गुरिया के साथ हुई. तब मुझे पता चला कि मोहम्मद जिशान अख्तर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए काम करता है. जेल में भी जीशान ने मुझे इंस्टाग्राम आईडी लिखकर दी थी और जेल से निकलने के बाद उसपर मैसेज करने के लिए कहा था.
बिश्नोई गैंग से कैसे हुई जान पहचान?
इसके बाद जब मैं 2022 में जेल से बाहर आया तो जीशान के पास मैसेज किया और कुछ समय बाद उसका मैसेज आया कि वो भी जेल से छूठ गया गया है. इसके कुछ दिन बाद जीशान कोर्ट केस की तारीख पर कैथल आया था, तो वो और उसका दोस्त अमित नाथी मुझे मिलने मेरे गांव आए. इसी दौरान अमित नाथी ने कैथल में जीशान को एक रुम रेंट पर रहने के लिए दिलवाया था. जिसमें उसके साथ मैं भी रहता था.
इस दौरान जीशान ने मुझे 351... से शुरु होने वाला एक विदेशी नंबर अपने व्हॉटस्अॅप पर दिखाया जिससे उसकी अनमोल बिश्नोई से बात होती थी. इसके बाद मैं जीशान और अमित उसी नंबर से अनमोल बिश्नोई से बात करते थे. इसी बीच जीशान का एक दोस्त आकाश चौहान जेल में बंद होने के बावजूद व्हॉटसअॅप और इंस्टाग्राम पर आपस में बात करते थे. ऐसे में जीशान ने मेरी पहचान आकाश चौहान से कराई थी. उस समय जीशान, अमित नाथी और आकाश चौहान के बीच मुंबई में एक बड़ा काम करने की बात चल रही थी.
अगस्त में बताया गया काम
इसके बाद अगस्त 2024 में अनमोल बिश्नोई और आकाश चौहान के कहने पर जीशान ने मुझे बताया कि मुंबई में एक बड़ा काम है, तो तुम मुंबई चले जाओ वहां तुम्हें लड़के मिलेंगे. वो तुम्हें बताएंगे कि क्या काम है? इस काम के लिए तुम्हें 50 हजार रुपये मिलेंगे और फिर तुम्हें विदेश भेज दिया जाएगा. इस वजह से अगस्त के आखिरी हफ्ते में दिल्ली पहुंचा और वहां से मुंबई आ गया.
इसके बाद मैंने जीशान को मुंबई आने की जानकारी दी, तब मुझे उसने शिव कुमार गौतम उर्फ शिवा और धर्मराज कश्यप की फोटो मेरे मोबाइल पर भेजी. इसके बाद मैं दादर स्टेशन पर उनसे मिला और उनके साथ कुर्ला वाले रूम पर गया. वहां शिव कुमार गौतम ने मुझे उसके मोबाइल में दो लोगों की फोटो दिखाकर कहा कि यह बाबा सिद्दीकी और जीशान सिद्दीकी हैं और इनमें से किसी एक का हमें मर्डर करना है.
अनमोल बिश्नोई से स्नैपचैट पर होती थी बात
मुंबई में आने के बाद अनमोल बिश्नोई, जीशान अख्तर और शुभम लोणकर से हम तीनों की स्नैपचैट पर जो बातें होती थी, उसके मुताबिक हमने बाबा सिद्दीकी के घर और जीशान सिद्दीकी के ऑफिस की रेकी करनी शुरू की. हम उनके ऑपिस और घर के बाहर घुमते थे कि वो कब-कब आते जाते हैं. इस काम के लिए लगने वाले पैसे हरीश कश्यप के बैंक खाते में आता था, जिसे शिवकुमार एटीयम से निकालता था.
जंगल में की गन प्रैक्टिस
इस बीच शिव कुमार और धर्मराज पूना गए और वहां से हम तीनों का फर्जी आधार कार्ड आया. इसके बाद शिव कुमार इस मर्डर के लिए दो पिस्टल और बुलेटस् लेकर आया. साथ ही पूना से हरिश कश्यप एक आपाचे बाइक लेकर मुंबई आया. इस बीच स्नैपचैट पर शुभम लोणकर ने हमें मर्डर से पहले खोपोली रेलवे स्टेशन के आसपास जंगलों में गन चलाकर प्रैक्टिस करने के लिए कहा था.
हमले से पहले करते थे रेकी
हमारे प्लान के मुताबिक मैं, धर्मराज और शिव कुमार हर दिन शाम को बैग में गन लेकर ऑटो रिक्शा से बांद्रा जाते थे. वहां जीशान सिद्दीकी के ऑफिस के बाहर टहल कर बाबा सिद्दीकी और उसके बेटे पर नजर रखते थे. ऑफिस के बाहर बाबा सिद्दीकी की कार खड़ी होती थी उससे हमें कार का नंबर पता लग गया था. हम बाबा सिद्दीकी के बांद्रा वाले घर के बाहर भी उनका इंतजार करते थे. हम फायरिंग करने के लिए सही समय देख रहे थे. इस दौरान अनमोल बिश्नोई, शुभम लोणकर, जीशान हमारा हौंसला बढ़ाते रहते थे.
हमले वाले क्या-क्या हुआ?
इसके बाद दशहरे के दिन शाम के समय मैं, धर्मराज कश्यप और शिव कुमार गन बैग में लेकर कुर्ला से निकले और खेरवाडी जंक्शन पहुंचे. वहां से जीशान सिद्दीकी के ऑफिस के बाहर दोनों का इंतजार कर रहे थे, तभी पता चला कि दोनों ऑफिस में है. उस दिन दशहरा होने की वजह से भीड़ खूब थी और लोग रास्ते पर पटाखे जला रहे थे. इसी दौरान जीशान सिद्दीकी गाड़ी से चला गया.
उसके बाद रात नौ बजे बाबा सिद्दीकी ऑफिस से निकलकर गाड़ी में बैठने के लिए पैदल जा रहे थे, तभी मैं, धर्मराज और शिव कुमार ने बाबा सिद्दीकी के पास गए और शिव कुमार और धर्मराज ने उनपर फायर कर दिया. इसके बाद पेपर स्प्रे इस्तेमाल किया. गोली लगने से बाबा सिद्दीकी जख्मी होकर जमीन पर गिर गए यह मैंने देखा. तब हम तीनों गन और बैग लेकर वहां से भाग गए. कुछ दूर जाते ही पुलिस ने मुझे और धर्मराज कश्यप को पकड़ लिया.
Source: IOCL






















