महाराष्ट्र: छगन भुजबल से नाराज हुए अजित पवार? इस वजह से हो रही चर्चा
Maharashtra Politics: मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि उन्होंने आरक्षण संघर्ष के मुद्दे पर अपनी स्पष्ट भूमिका पहले ही अजित पवार को बता दी थी. साथ ही उन्होंने कहा कि अजित पवार ने मुझे कुछ नहीं कहा.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में मंत्री छगन भुजबल की भूमिका को लेकर पार्टी प्रमुख अजित पवार की नाराजगी की चर्चा लगातार राजनीतिक हलकों में होती रहती है. इसी बीच, मंगलवार (8 अक्टूबर) रात अजित पवार की मौजूदगी में मुंबई के होटल में एक बैठक हुई. इस बैठक में अजित पवार और छगन भुजबल के बीच नाराजगी देखने को मिली. बताया जाता है कि अजित पवार ने एनसीपी विधायकों और पदाधिकारियों की बैठक में अपनी नाराजगी भी व्यक्त की थी.
मगर इस नाराजगी के बारे में बात करते हुए मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि उन्होंने आरक्षण संघर्ष के मुद्दे पर अपनी स्पष्ट भूमिका पहले ही अजित पवार को बता दी थी. साथ ही उन्होंने कहा "अजित पवार ने मुझे कुछ नहीं कहा. अगर उन्हें कुछ कहना होता, तो वे मुझसे सीधे कहते."
मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल से जुड़े सवाल पर भुजबल ने तीखा हमला करते हुए कहा, "आप लोग उसके पीछे क्यों पड़े हैं? उसे कोई काम-धंधा है क्या? उसे कुछ पढ़ाई-लिखाई है क्या? उसे कुछ पता भी है?"
'मुझे सियासत में हुए 57 साल'
भुजबल ने आगे कहा, "मुझे बालासाहेब ठाकरे ने नेता बनाया था. मुझे राजनीति में 57 साल हो गए हैं. मैं मुंबई का दो बार मेयर रहा हूं. मंडल आयोग की वजह से कांग्रेस में गया था. उसे पता है कि राजनीति में कौन कब आया था? 1991 में मैं कैबिनेट मंत्री बना था, जो आज मंत्री हैं, तब वे कोई नहीं थे."
'मनोज जरांग शराबियों का नेता'
जरांगे पाटिल के 'अजित पवार ने सांप पाले हैं' वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भुजबल ने पलटवार करते हुए कहा, "वह शराबियों और रेत कारोबारियों का नेता है. वह लड़ाई-झगड़े कराने की राजनीति करता है. देश का माहौल बिगाड़ने का कारण वही बना है. उसमें समझदारी नहीं है. आप उससे संस्कारों की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?"
भुजबल ने आगे कहा, "मेरी भूमिका को दिल से सभी का समर्थन है. मराठा समाज को EWS (आर्थिक दुर्बल घटक) का आरक्षण देने के बाद सारे मुद्दे खत्म हो गए थे. लेकिन अब फिर यह सब राजनीति के लिए हो रहा है."
लाडकी बहिन योजना पर दिया बयान
अंत में भुजबल ने राज्य की आर्थिक स्थिति पर कहा, "सरकार को किसानों के लिए 31,500 करोड़ रुपये का पैकेज देना पड़ा है. पिछले साल से 'लाडकी बहन योजना' पर 40-45 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. जब आर्थिक दबाव कम होगा, तब ‘आनंदाचा शिधा’ (खुशी का राशन) फिर से शुरू करेंगे."
Source: IOCL
























