मध्य प्रदेश: धान के खेतों से होकर निकालनी पड़ी शव यात्रा, श्मशान घाट के रास्ते में नहीं बनी सड़क
Balaghat News: बालाघाट जिले के आमगांव में श्मशान घाट का रास्ता कब्जे और सड़क निर्माण न होने से अवरुद्ध है. शव यात्रा को धान के खेतों और कीचड़ से होकर गुजरने पर विवाद हुआ.

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले स्थित आमगांव में एक शव यात्रा को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए धान के खेतों से होकर गुजरना पड़ा. खेतों में घुटनों तक कीचड़ और फसल लगी हुई थी, जिसके बीच से होकर अंतिम यात्रा निकालना परिजनों के लिए मजबूरी बन गया. यह दृश्य न केवल परिजनों को व्यथित कर गया, बल्कि कैमरे में कैद होकर सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो गया.
दरअसल, आमगांव में ताराचंद नाम के व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. जब परिजन शव को श्मशान घाट ले जाने निकले, तो सामने यह समस्या खड़ी हो गई कि श्मशान घाट जाने वाला मुख्य रास्ता कब्जे में है और सड़क का निर्माण अब तक नहीं हुआ. लिहाजा शव यात्रा को खेतों से होकर गुजारना पड़ा. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है, बल्कि हर बार अंतिम संस्कार के समय यही स्थिति बनती है.
किसानों ने रास्ते पर कब्जा शुरू की खेती
गांव वालों का आरोप है कि सरकारी दस्तावेजों में श्मशान घाट तक जाने वाला रास्ता दर्ज है, लेकिन आज तक वहां सड़क नहीं बन पाई. इसी बीच गांव के कुछ लोगों ने उस रास्ते पर कब्जा कर खेती शुरू कर दी. इस विवाद के चलते कुछ समय पहले तो एक शव यात्रा को रोका भी गया था, जिसके बाद भारी हंगामा हुआ और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा.
गांव में दो तरह के श्मशान घाट हैं. एक ओर गांव का बड़ा वर्ग नदी किनारे अंतिम संस्कार करता है, जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोग अलग श्मशान घाट का उपयोग करते हैं. अब खेतों पर कब्जा होने और रास्ता अवरुद्ध होने से इन समुदायों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
कागजों में रास्ता है दर्ज- जमीन मालिक
जमीन मालिक का दावा है कि जिस जमीन से होकर रास्ता गुजरता है, वह उनकी खरीदी हुई संपत्ति है और रास्ता कहीं और से निकाला जाना चाहिए. वहीं ग्राम पंचायत का कहना है कि कागजों में रास्ता दर्ज है, लेकिन बजट की कमी के कारण सड़क का निर्माण नहीं हो पा रहा. पंचायत ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही बैठक बुलाकर इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा.
यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीणों की वर्षों से चली आ रही पीड़ा को भी सामने लाती है. शव यात्रा का खेतों और कीचड़ से होकर गुजरना एक गंभीर सवाल खड़ा करता है कि आखिर कब तक गांववाले इस दुश्वारी का सामना करेंगे.
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Source: IOCL






















