साहित्यकारों ने किया कमाल! अब भारतीय संविधान को पढ़ा ही नहीं गाया भी जा सकेगा, जबलपुर की भी बड़ी भूमिका
Indian Constitution: देश भर के 142 साहित्यकारों ने भारत के संविधान के कठिन अनुच्छेदों को रोला और दोहा में पिरोया है. इसमें एमपी जबलपुर के 10 साहित्यकारों भी शामिल थे.

Madhya Pradesh News: रामचरितमानस की तरह अब भारत के संविधान को भी रोला और दोहा के छंद रूप में गाया जा सकेगा. देश के 142 साहित्यकारों ने मिलकर भारत के संविधान के कठिन अनुच्छेदों को सरल भाषा में छंदबद्ध कर दिया है.
साहित्यकारों की इस अनोखी पहल को "गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में भी दर्ज किया गया है. छंदबद्ध-भारत का संविधान पुस्तक का लेखन मुख्य रूप से रायपुर के रचनाकार ओमकार साहू ने किया है.
इसमें देश भर के 142 तक साहित्यकारों ने अलग-अलग अनुच्छेदों को रोला और दोहा में पिरोया है. इस काम में मध्य प्रदेश के 10 साहित्यकारों की टीम में जबलपुर के सात छंद साधक शामिल थे. जबलपुर के साहित्यकारों में संजीव वर्मा, अनुराधा पारे, सुनीता परसाई,आशा जैन,भारती पाराशर, अनुराधा गर्ग और कृष्णा राजपूत ने अपना योगदान दिया है.
आम जनता के लिए संविधान समझना हुआ आसान
पुस्तक प्रकाशन के बाद अब भारतीय संविधान को आम जनता के लिए समझना और भी ज्यादा आसान हो गया है. साहित्यकार संजीव वर्मा सलिल ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि भारतीय संविधान को छंदबद्ध करने के पीछे सबसे बड़ा मकसद संविधान को आम जनता तक पहुंचाना है. इसकी भाषा को आसान बनाना है, ताकि आम जनता, छात्र, रिसर्चर और प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ताओं के लिए यह मददगार साबित हो सके.
उन्होंने कहा कि रोला और दोहा के माध्यम से साधारण व्यक्ति भी कानूनी ज्ञान को आसानी से समझ सके. लेखिका अनुराधा गर्ग ने बताया कि छंदबद्ध-भारत का संविधान में संविधान की मूल भावना का सम्मान करते हुए 2,110 दोहा, 422 रोल और 24 छंद गीत शामिल किए गए हैं. इसे राम चरित मानस की तरह तैयार किया गया है, ताकि संविधान के अलग-अलग अनुच्छेद पढ़ने और याद करने में आसानी हो.
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