'कमजोर वर्ग की आवास योजनाओं पर दें खास ध्यान', कलेक्टर्स-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में बोले CM मोहन यादव
MP News: मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने रोजगार, उद्योग एवं निवेश संवर्धन सत्र को संबोधित करते हुए जिलों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रयास करने के निर्देश दिए हैं.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में कलेक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि जिले की औद्योगिक और आर्थिक संभावनाओं का गहराई से अध्ययन कर ठोस कार्ययोजना बनाएं. ऐसे प्रयास हों कि जिले में उद्योगों के साथ रोजगार के अवसर सृजित हों, जिससे जिले आत्मनिर्भर बन सकें.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल करें और स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित किया जाए जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले. उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा को भी रोजगार से जोड़ने की बात कही जिससे युवाओं के लिए व्यापक अवसर उपलब्ध हों.
कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में क्या बोले मोहन यादव?
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को प्राथमिकता देने पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने से ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए द्वार खुलेंगे. मुख्यमंत्री डॉ. यादव कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में 'रोजगार, उद्योग एवं निवेश संवर्धन' सत्र को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि ग्वालियर की जेसी मिल, रतलाम की सज्जन मिल और उज्जैन की विनोद मिल से संबंधित समस्याओं का समाधान जिस तत्परता से किया गया है उसी तरह अन्य जिलों में बंद औद्योगिक इकाइयों का भी शीघ्र निराकरण किया जाए. मुरैना जिले की कैलारस स्थित शुगर मिल से जुड़े मामले के समाधान को भी प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए का समाधान भी प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए गए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के औद्योगिक विजन को जमीनी स्तर पर साकार करने में कलेक्टर्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. जिलों की सक्रियता और विभागों के समन्वित प्रयास ही मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर, नवोन्मेषी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाएंगे.
अनुपयोगी भूमि को लेकर मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध अनुपयोगी भूमि का उपयोग कर लैंड बैंक विकसित किए जाएं. जिलों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और स्व-सहायता समूहों को एमएसएमई सेक्टर से जोड़ने की दिशा में प्रभावी पहल की जाए जिससे स्थानीय उत्पादन और विपणन गतिविधियों में वृद्धि हो.
औद्योगिक विकास एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव राघवेंद्र कुमार सिंह, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग तथा एमएसएमई विभाग के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से प्रेजेंटेशन दिया गया. राज्य सरकार के वर्ष 2047 तक मध्यप्रदेश को विकसित, औद्योगिक और रोजगार-समृद्ध प्रदेश के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य को विस्तार से प्रस्तुत किया गया.
जिला निवेश सुविधा केंद्र को सक्रिय बनाया जाए- मोहन यादव
कलेक्टर्स को निर्देश दिए गए कि जिला निवेश सुविधा केंद्र (IFC) को सक्रिय और परिणामोन्मुख बनाया जाए. औद्योगिक भूमि की पहचान कर अतिक्रमण मुक्त किया जाए तथा विभिन्न विभागों द्वारा समयबद्ध अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
जिला कौशल समिति को सक्रिय कर युवाओं को कौशल प्रशिक्षण, अप्रेंटिसशिप और वैकल्पिक रोजगार अवसरों से जोड़ा जाए. उद्योगों को पीएम विश्वकर्मा और अप्रेंटिसशिप पोर्टल पर ऑनबोर्ड किया जाए. कलेक्टर्स से यह भी कहा गया कि एक जिला-एक उत्पाद के तहत उत्पादों की पहचान, ब्रांडिंग और विपणन पर प्रभावी कार्य किया जाए.
टैग किए गए उत्पादों को योजनाओं जैसे PMFME और DEH-OSOP से जोड़ा जाए और एमएसएमई इकाइयों को डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा ई-कॉमर्स माध्यमों से जोड़ा जाए. बंद रेशम केंद्रों का पुनर्जीवन कर खादी, हस्तशिल्प और रेशम उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय मेलों और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाए.
विश्वकर्मा योजना के उपकरण स्वीकृति और वितरण की मॉनिटरिंग हो- मोहन यादव
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत उपकरण स्वीकृति और वितरण की सतत मॉनिटरिंग की जाए. इसके साथ ही, वित्तीय समावेशन और बैंकिंग सहयोग के क्षेत्र में DLCC एवं DLRC बैठकों का समय पर आयोजन करने, जन धन, मुद्रा और अटल पेंशन योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं में अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने तथा वार्षिक लक्ष्य पूर्ति हेतु बैंकों की सक्रिय भूमिका तय करने के निर्देश भी दिए गए.
Source: IOCL






















