CM उमर अब्दुल्ला बोले, 'शेख अब्दुल्ला की जयंती पर छुट्टी हो या न हो, वो लोगों के दिल में हैं'
Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला ने शेख अब्दुल्ला की जयंती पर छुट्टी रद्द करने पर केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने राज्य का दर्जा वापस करने की मांग की ताकि ऐसे फैसले खुद लिए जा सकें.

जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने दादा शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के जन्मदिन पर छुट्टी की घोषणा के मुद्दे पर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिनकी 120वीं जयंती 5 दिसंबर को मनाई जाएगी. 2019 में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद 2020 में उपराज्यपाल प्रशासन ने छुट्टी रद्द कर दी थी.
सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पब्लिक हॉलिडे घोषित करने का अधिकार केंद्र के पास है. केंद्र शासित प्रदेश की चुनी हुई सरकार के पास नहीं और इसलिए J&K को अपना पूर्ण राज्य का दर्जा वापस चाहिए. उन्होंने कहा कि शेख अब्दुल्ला की जयंती पर छुट्टी घोषित हो या न हो, दिवंगत नेता की जगह लोगों के दिलों में है.
'सरकारी नोटिफिकेशन पर निर्भर नहीं करता शेख अब्दुल्ला का कद'
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, "शक्तियों के बंटवारे के तहत, यहां की चुनी हुई सरकार को छुट्टी घोषित करने या हटाने का अधिकार नहीं दिया गया है. वह शक्ति केंद्र सरकार के पास है. इसलिए हम कहते हैं कि हमें राज्य का दर्जा वापस दो ताकि हम बड़े और छोटे दोनों तरह के फैसले खुद ले सकें." सीएम ने कहा कि शेख अब्दुल्ला का कद सरकारी नोटिफिकेशन पर निर्भर नहीं करता, शेर-ए-कश्मीर को याद करने के लिए छुट्टी की कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, "लोग उन्हें दिल से याद करते हैं," और आगे कहा कि पासिंग-आउट परेड में सबसे अच्छे कैडेट को भी शेर-ए-कश्मीर स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया गया, जो उनके नाम से जुड़े सम्मान को दिखाता है. रिपोर्टर्स से बात करते हुए, सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अग्नि वीर स्कीम भर्ती का एक नया मॉडल है, और उम्मीद है कि इसके ज़रिए शामिल होने वाले लोग रेजिमेंट की एकता, अनुशासन और देश सेवा की लंबी परंपरा को बनाए रखेंगे.
'देश में भाईचारे और एकता की भावना को करेंगे मज़बूत'
उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि उनसे पहले सेवा करने वालों की तरह, नए रंगरूट भी पूरे देश में भाईचारे और एकता की भावना को मज़बूत करेंगे." सरकारी संस्थानों में नाम बदलने के बारे में पूछे जाने पर, सीएम उमर अब्दुल्ला ने शेक्सपियर के रेफरेंस से जवाब दिया. उन्होंने कहा, “गुलाब किसी भी दूसरे नाम से हो, उसकी खुशबू उतनी ही मीठी होगी,” और समझाया कि लोग गवर्नेंस और सर्विस की परवाह करते हैं, लेबल की नहीं.
उन्होंने कहा, “चाहे आप इसे राजभवन कहें या लोकभवन, मकसद एक ही है कि लोगों को आराम और समय पर सर्विस मिले.” उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कदम तभी काम के हैं जब उनसे लोगों की सुविधा बेहतर हो.
सीएम उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि सरकार रिहैबिलिटेशन असिस्टेंस स्कीम (RAS) के लिए कमिटेड है, जिसे पहले SRO-43 के नाम से जाना जाता था, जिसके तहत सर्विस के दौरान मरने वाले सरकारी कर्मचारी के परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाती है ताकि उन्हें पैसे की तंगी से उबरने में मदद मिल सके.
उन्होंने कहा कि एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसेस में समय लगता है लेकिन सरकार ने काफी सारे केस निपटाए हैं और हाल ही में कश्मीर में करीब 60 अपॉइंटमेंट ऑर्डर बांटे हैं. उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट्स को रियलिस्टिक शेड्यूल तय करने और उनका सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है.
Source: IOCL






















