'10 सेकेंड में सब बर्बाद, अंधेरा छा गया', किश्तवाड़ में बादल फटने पर बोले चश्मदीद | ग्राउंड रिपोर्ट
Kishtwar Cloudburst News: जम्मू कश्मीर में माता मचेल के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गए थे और इस आपदा में फंस गए, उन्हें वैकल्पिक पुल बनाकर निकालने का काम किया जा रहा है.

जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चुशोती इलाके में बादल फटने की घटना के बाद भारी तबाही हुई है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर राहत और बचाव कार्य लगातार चला रही है. एबीपी न्यूज की टीम ने भी चुशौती इलाके में पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया. डेड बॉ़डी के साथ लापता लोगों को भी तलाशने का काम जारी है. माता मचेल के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गए थे और इस आपदा में फंस गए, उन्हें वैकल्पिक पुल बनाकर निकालने का काम किया जा रहा है.
एसडीआरएफ, जम्मू कश्मीर पुलिस और पैरा मिलिट्री की टीम तैनात वहां थी. जब ये हादसा हुआ तो सबसे पहले रिस्पॉन्स करने वाली SDRF की टीम थी. उन्ही टीम के कॉस्टेबल अब्दुल गिनी ने बताया, ''मैं मौके पर तैनात था. जिस रूम में मैं था, वहां बिल्डिंग में अब कुछ नहीं रहा. सबकुछ खत्म हो गया. मैं सिर्फ 10 मिनट पहले जो पुल बना था, उसके ऊपर गया था. वहां बहुत सारे लोग थे, सेल्फी ले रहे थे. हम हर रोज बोलते थे कि यहां सेल्फी मत लो लेकिन लोग मानते ही नहीं थे. लेकिन हम भी अपनी तरफ से उन्हें इधर से निकालने की कोशिश करते थे.

'फ्लड आया तो अंधेरा छा गया था'
उन्होंने आगे बताया, ''महज 10-15 मिनट हुए थे, हम खाना खाने के लिए ऊपर गए थे. 10 सेकंड लगे हैं फ्लड आने में, सारा कुछ नष्ट हो गया. जब फ्लड आया तो अंधेरा छा गया था, कुछ नजर नहीं आ रहा था. कहां कौन जा रहा है, कुछ पता नहीं चल रहा था. 10 मिनट के बाद पता चल रहा था कि यहां क्या हुआ है. हमने 20-25 जख्मी लोगों को इधर से उठाया था. एसडीआरएफ ने 10 की डेड बॉडी उठाई.''
डेड बॉडी और लापता लोगों को ढूंढने का काम जारी
जब उनसे पूछा गया कि ऐसे वक्त में ऑपरेशन कितना मुश्किल होता है? इस पर उन्होंने कहा, ''उस वक्त ऑपरेशन बहुत मुश्किल होता है, उस टाइम समझ में आता है कि क्या करना है? हर कोई बोल रहा था मुझे बचाओं, मुझे बचाओ. हमने लोगों को बचाने की बहुत कोशिश की. अपने आप को भी सेफ करना है और लोगों को भी सुरक्षित रखना है. एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम भी लगी है. हम लोगों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. कहीं डेड बॉडी है या जो लोग लापता हैं, उन्हें ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं.''

माता मचेल के दर्शन के लिए गए लोगों को निकाला जा रहा
किश्तवाड़ के चिशौती में बादल फटने के बाद यहां से जो लोग माता मचेल के दर्शन के लिए गए थे, उस यात्रा को वहीं रोका गया था. करीब 20 घंटे के लिए उन यात्रियों को मचेल माता में ही रोका गया क्योंकि बादल फटने के बाद जो तबाही हुई थी, उसे संभालने में प्रशासन को थोड़ा वक्त लगा. फिलहाल लोगों को वहां से निकाला जा रहा है. वैकल्पिक पुल बनाया गया है. यहां पहले स्टील का ब्रिज था, जो बादल फटने की घटना के बाद टूट गया. अब जो माता मचेल में फंसे यात्रियों को निकाला जा रहा है.''
हम बहुत डर गए थे- श्रद्धालु
एबीपी न्यूज से बातचीत में मचेल माता के दर्शन करने गए एक श्रद्धालु ने प्राकृतिक आपदा को लेकर बताया, ''हमें कहा गया कि वापस चले जाओ, रूम ले लो, आगे नहीं जाने दे रहे. तो हमने रूम लिया और रात को उधर ही रहे. हमें पता लगा कि बादल फटा है तो हम फिर वापस चले गए.'' माता के दर्शन के लिए गए एक दूसरे यात्री ने बताया, ''हम आ रहे थे और ऐसे ही 10 मिनट के लिए बैठ गए थे. जैसे से बैठे तो पता लगा कि बादल फट गया है. हम बहुत डर गए थे. कल 12 बजे से वहां हम फंसे हुए थे, बहुत ही डरावनी रात निकाली है.

हम अब घर से ही माता को प्रणाम कर देंगे- श्रद्धालु
उन्होंने बताया, ''उस समय कुछ पता नहीं चल रहा था, लाइट भी नहीं थी. फोन भी नहीं चल रहे थे. सभी की चेहरे रोने वाली बनी हुई थी. हम अब घर से ही माता को प्रणाम कर दिया करेंगे, हम बहुत डर गए हैं.''
एबीपी न्यूज की टीम लंगर वाली जगह पर भी पहुंची
एबीपी न्यूज की टीम किश्तवाड़ के चशौती गांव के उसी लंगर के पास भी पहुंची, जहां बादल फटने के दौरान बड़ी संख्या में लोग खाना खा रहे थे. आपदा के बाद लंगर का सामान कई फीट आगे तक आ गया. खाना बनाने की लकड़ी, बिस्तर, गैस सिलेंडर, गाड़ियां सभी इधर से उधर हो गए. लंगर के पास तबाही को लेकर एक शख्स ने बताया, ''कई सामान मलबे के नीचे दब गए. अंदर तक पानी चला गया. पीछे से भी पानी आ गया. हम बहुत ही मुश्किल से यहां से भाग पाए. सामान की परवाह न करते हुए किसी तरह से अपनी जान बचाई.''

60 साल की उम्र में ऐसी आपदा नहीं देखी- स्थानीय
कृष्णा नाम की एक स्थानीय महिला ने बताया, ''जब बादल फटने की घटना हुई थी तो मैं घर में थी. बच्चों को आवाज लगाई तो सारे भाग गए. इलाका मलबा से भरा हुआ है. 60 साल की उम्र में इस तरह का आपदा नहीं देखा. एक और स्थानीय निवासी बौद्धराज ने बताया, ''मैं कुंदल गांव का हूं लेकिन तीन-चार दिन से इधर ही थी. लोकल लोगों ने जो ढाबे बनाए थे, मैं वहीं पर था. एंट्री गेट का नामो निशान हीं नहीं है. लंगर में तकरीबन डेढ़-दो सौ के करीब लोग खाना खा रहे थे. इस जगह पर गाड़ियों की भी काफी तादाद थी. जैसे ही बादल फटा तो इसके चपेट में बहुत सारे लोग आ गए. कई गाड़ियां भी इसकी चपेट में आ गई.
प्रशासन से डेड बॉडी निकालने की गुहार
उन्होंने कहा, ''इस आफत में काफी नुकसान हुआ है लेकिन हम आपके माध्यम से गुहार लगाते हैं कि प्रशासन को डेड बॉडी रिकवर करने की जरूरत है. बहुत सारे लोग मिसिंग हैं. 12-13 स्थानीय लोगों की डेड बॉडी मिली है. बादल फटने के बाद लोग भाग रहे थे, अपनी जान बचा रहे थे. लोगों को ये बात समझ नहीं आ रही थी कि किस तरफ जाएं. दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए काफी मुश्किल भरा वक्त रहा. यहां करीब 10 फुट मलबा आया है.

बचाव दल का ऑपरेशन लगातार जारी
फिलहाल बचाव दल लगातार सर्च ऑपरेशन कर रहे हैं. सामान और कुछ साक्ष्य भी खोजे जा रहे हैं. सुरक्षाबलों की प्राथमिकता है कि जो लोग मारे गए हैं उनकी डेड बॉडी निकाल लिया जाए. मलबे में बड़े-बड़े बोल्डर और पेड़ के तने भी हैं. सुरक्षाबलों के जवान मलबे में लोगों को ढूंढ रहे हैं. करीब 10 फुट मलबा है. 60 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं जबकि 100 से अधिक लोग जख्मी हैं. कई घरों के नामो निशान मिट गए हैं.
Source: IOCL





















