पानीपत में फैक्ट्री पर बुलडोजर, मालिक ने कहा, 'राजनीतिक साजिश से तोड़ी फैक्ट्री'
Panipat Factory Demolition: पानीपत के संजय चौक स्थित एक 40-50 साल पुरानी फैक्ट्री पर बुलडोजर चला दिया गया, जिसके मालिक का आरोप है कि वैध दस्तावेज होने के बावजूद राजनीतिक दबाव में यह कार्रवाई की गई है.

पानीपत शहर के संजय चौक के नज़दीक स्वास्तिका रोड पर स्थित लगभग 40-50 साल पुरानी एक फैक्ट्री पर बुलडोजर चला दिया गया. फैक्ट्री मालिक का आरोप है कि बिना किसी ठोस कारण के प्रशासन ने उनकी फैक्ट्री को ध्वस्त कर दिया, जबकि उनके पास जमीन की दशकों पुरानी वैध रजिस्ट्री मौजूद है.
फैक्ट्री मालिक के अनुसार, उन्हें सबसे पहले कमेटी की ओर से नोटिस मिला था कि उन्होंने बाहर छज्जे और शेड बनाकर अतिक्रमण किया है. इस पर जब उन्होंने स्वयं अवैध निर्माण हटाने की बात कही, तो अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि “प्रशासन अपने स्तर पर कार्रवाई करेगा.” लेकिन इसके बाद अचानक शाम को फैक्ट्री पर बुलडोज़र चला दिया गया और 15-20 फुट तक लेंटर व ढांचा ढहा दिया गया.
एडीसी को दिखाएं दस्तावेज़
मामले की शिकायत एडीसी कार्यालय तक पहुंची. फैक्ट्री मालिक ने सभी रजिस्ट्री और दस्तावेज़ अधिकारियों को दिखाए. एडीसी ने दस्तावेज़ देखने के बाद संतोष जताया कि कागजात में कोई खामी नहीं है और प्लॉट की रजिस्ट्री 30-50 साल पुरानी है.
राजनीतिक दबाव का आरोप
फैक्ट्री मालिक ने आरोप लगाया कि उनकी फैक्ट्री के पीछे लगभग दो एकड़ जमीन कुछ राजनीतिक लोगों ने हाल ही में खरीदी है. उस ज़मीन तक सड़क चौड़ीकरण के ज़रिए पहुँच बनाई जा रही है. उनका कहना है कि इसी वजह से उनकी फैक्ट्री तोड़ी गई और रात 12 बजे बुलडोजर, जेसीबी और टाइलों से भरे ट्रक तक भेजे गए ताकि उनकी ज़मीन से सड़क निकाली जा सके.
फैक्ट्री मालिक का कहना है, “हमने इसका विरोध किया और मौके पर जाकर सड़क निर्माण रुकवाया. लेकिन यह पूरा खेल उनकी जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.”
विधायक से की थी शिकायत
फैक्ट्री मालिक का कहना है कि फैक्ट्री तोड़े जाने के बाद वे स्थानीय विधायक से भी मिले थे और घंटों अपनी समस्या रखी थी. विधायक ने आश्वासन दिया था कि आगे किसी प्रकार की नाजायज कार्रवाई नहीं होगी. लेकिन इसके बावजूद रात में दोबारा से सड़क बनाने की कोशिश की गई.
प्रशासन और राजनीति पर सवाल
फैक्ट्री मालिक ने कहा कि जिन राजनीतिक लोगों की जमीन है और जिनसे यह मामला जुड़ा हुआ है, वह प्रशासन भी जानता है और शहर के लोग भी. हालांकि उन्होंने किसी विधायक या नेता का नाम सीधे तौर पर लेने से इनकार किया.
स्वास्तिका रोड को चौड़ा करने के लिए गोल्डन फैक्ट्री की दीवार तोड़ने का मामला बड़ा विवाद बन गया. इस मुद्दे पर शहर के 200 से अधिक उद्योगपति विधायक प्रमोद विज के घर पहुँचे तो विधायक के साथ तीखी नोकझोंक हुई
उद्योगपतियों का आरोप
उद्योगपतियों ने कहा कि उनके साथ सीधा अन्याय हो रहा है. उनका कहना था कि फैक्ट्री 40-50 साल से चल रही है और सरकार से सभी मंजूरी लेकर जमीन खरीदी गई थी. बिजली, पानी कनेक्शन और सीलिंग पास तक दिए गए थे. फिर अचानक इसे अवैध बताकर नोटिस जारी कर दिया गया और कमिश्नर की टीम ने फैक्ट्री की दीवार गिरा दी.
हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विनोद धमीजा ने कहा कि आपके पास हल निकालने के लिए आए हैं, आप इसे राजनीति का मुद्दा क्यों बना रहे हैं?”
निगम ने दी सफाई: तीन नोटिस के बाद हुई कार्रवाई
नगर निगम ने फैक्ट्री तोड़ने की कार्रवाई पर उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मालिक को विधिवत तीन नोटिस दिए गए थे. कार्रवाई शाम 4–5 बजे हुई, जबकि मलबा हटाने का काम रात में किया गया.
अधिकारियों ने माना कि नोटिस पहुँचने में कम्युनिकेशन गैप हो सकता है, लेकिन डिमोलिशन के बाद जब मालिक ने रजिस्ट्री दिखाई, तो उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिया गया. निगम ने स्पष्ट किया कि उसका कामकाज 24x7 चलता है और सफाई, मलबा हटाने व सीवेज जैसे कार्य अक्सर रात में होते हैं ताकि जनता को परेशानी न हो.
शिकायतकर्ता की रजिस्ट्री 917 या 911 गज की है, जबकि कब्जा 870 गज पर मिला. निगम का कहना है कि पैमाइश के बाद मालिक को पूरा वैध कब्जा दिलाया जाएगा. अधिकारियों ने यह भी बताया कि निगम की कई जमीनों का रिकॉर्ड वर्ष 1980 में आग लगने से नष्ट हो गया था, जिससे दस्तावेज़ स्थापित करने में दिक्कत आती है.
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Source: IOCL






















