Delhi Pollution: प्रदूषण का सेहत पर बुरा प्रभाव, अस्पतालों में सांस संबंधी दिक्कत वाले मरीजों की संख्या बढ़ी
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण सफदरजंग, एम्स, सर गंगा राम, मैक्स, आकाश सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में सांस संबंधी दिक्कतों की वजह से भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है.

Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण लोगों को बीमार-बहुत बीमार करने लगा है. लोग सीने में जकड़न की शिकायत लेकर अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. इस प्रदूषित वातावरण में खांसी और सांस की समस्या से भी लोग परेशान हैं. कई मरीजों की हालत ऐसी हो जा रही है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ जाता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अपोलो हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी का कहना है कि इमरजेंसी में हमें रोजाना 12-14 मरीज मिल रहे हैं, ज्यादातर को नींद और घबराहट की दिक्कत हो रही है. वहीं फोर्टिस गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ मनोज गोयल के अनुसार, लगभग 70% आईसीयू बेड पर सांस की समस्या वाले लोग हैं. उनमें से अधिकांश को पहले से सांस की समस्या है, लेकिन प्रदूषण की वजह से और बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि "हमारे पास ऐसे मरीज भी आए हैं, जिनमें सांस की बीमारी का कोई इतिहास नहीं है, लेकिन तेज ब्रोंकाइटिस, सांस फूलना जैसे दिक्कतों से पीड़ित हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत तक आ जाती है.
वहीं सफदरजंग, एम्स, सर गंगा राम, मैक्स, आकाश सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में सांस संबंधी दिक्कतों की वजह से भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है. वहीं जिन्हें सांस संबंधी परेशानियां पहले से ही हैं, वे अब घर से बाहर निकलने से भी डर रहे हैं और खुद को घर में बंद कर रहे हैं. साथ ही प्रदूषण के प्रभाव को कम करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
खराब हवा हृदय रोगियों और श्वसन तंत्र की परेशानी झेल रहे लोगों को भी प्रभावित कर रही है. एक अध्ययन से पता चलता है कि वातावरण में उच्च स्तर के प्रदूषक तंत्रिका संबंधी विकारों वाले लोगों में स्ट्रोक को ट्रिगर कर सकते हैं. खराब वायु गुणवत्ता से हृदय गति रुकने और कोरोनरी धमनी की बीमारी से पीड़ित मरीजों की स्थिति भी खराब हो सकती है. डॉक्टर ऐसे लोगों को घर के अंदर रहने और हवा की गुणवत्ता में सुधार होने तक मॉर्निंग वॉक से बचने की सलाह दे रहे हैं.
इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में श्वसन चिकित्सा विभाग के डॉ (कर्नल) विजय दत्ता का कहना है "हर दिन छह-सात मरीज ओपीडी में आंखों में जलन और पानी और प्रदूषण के कारण सांस लेने में समस्या की शिकायत कर रहे हैं।" अक्टूबर के मध्य में संख्या कम थी, लेकिन नवंबर के शुरुआत में ही इस तरह के केस बढ़ने लगे. विजय दत्ता का कहना है कि दमा के लोगों को घर के अंदर रहना चाहिए और अगर उन्हें बाहर जाने की जरूरत है, तो जहरीली हवा से बचने के लिए मास्क पहनना चाहिए.
शनिवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' स्तर पर
आपको यहां बता दें कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है. आज भी वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर स्तर पर है. दिल्ली में एक्यूआई 439 दर्जी किया गया है. जबकि 2.5 पीएम अपने मानक से ज्यादा 452.63 घनमीटर है. जो शुक्रवार की तुलना में ज्यादा है.
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Source: IOCL





















