Nirbhaya Case: मुनिरका बस स्टॉप पर कैण्डल जलाकर निर्भया को श्रद्धांजलि, जानिए 9 साल बाद कितना बदला दिल्ली का वो बस स्टैंड
16 दिसंबर साल 2012 कि उस रात को हुए निर्भया कांड को 9 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन वहां के लोग उस घटना को अभी भी नहीं भूले हैं
Nirbhaya Case: 16 दिसंबर साल 2012 कि उस रात को हुए निर्भया कांड को 9 साल पूरे हो चुके हैं. उस रात की वह डरावनी कहानी जिसकी शुरुआत दक्षिणी दिल्ली स्थित मुनिरका बस स्टॉप से हुई थी, जब 23 साल की छात्रा ने अपने घर जाने के लिए इसी बस स्टॉप से बस ली थी. जब वह उस बस में सवार हुई थी तो उसे यह मालूम नहीं था कि इस बस का सफर उसकी जिंदगी का आखरी और सबसे खौफनाक सफर बन जाएगा. आज उस घटना को 9 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन वहां के लोग उस घटना को अभी भी नहीं भूले हैं
निर्भया को श्रद्धांजलि दी
हर साल 16 दिसंबर के दिन निर्भया को याद करते हुए लोग उसे इसी जगह पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इसी कड़ी में स्कूली छात्राओं और स्थानीय लोगों ने मुनिरका बस स्टॉप पर कैंडल जलाकर निर्भया को श्रद्धांजलि दी, और देश में रोजाना अपराधों का शिकार होने वाली तमाम निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए नारेबाजी की.
महिलाओं की सुरक्षा बड़ा मुद्दा
बस स्टॉप पर मौजूद स्थानीय लोगों ने कहा कि इतने साल बीत जाने के बाद भी यहां का माहौल बिल्कुल नहीं बदला है. खासतौर से महिलाओं ने कहा कि बदलते वक्त के साथ इसकी तस्वीर जरूर बदल गई है, लेकिन महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं. इस बस स्टॉप से जब वह अपने गंतव्य तक जाने के लिए बस लेती हैं तो आज भी वह खौफनाक मंजर उन्हें याद आ जाता है. बस स्टॉप से बस लेकर स्कूल जा रही छात्राओं ने कहा कि निर्भया कांड को 9 साल पूरे हो गए हैं लेकिन दिल्ली में कुछ नहीं बदला है आज भी महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है.
महिलाओं ने क्या कहा
स्थानीय लोगों ने मुनिरका बस स्टॉप पर निर्भया कांड की बरसी पर मोमबत्ती जलाकर निर्भया को श्रद्धांजलि दी. लोगों ने कहा कि देश में ना जाने रोजाना महिलाओं और बच्चियों के साथ कितने जघन्य अपराध होते हैं लेकिन अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं. अपराधियों को सजा मिलनी में ही इतना वक्त निकल जाता है ऐसे में जल्द से जल्द सजा का प्रावधान होना चाहिए जिससे कि अपराधियों के मन में अपराध करने से पहले खौफ हो. इसके साथ ही स्कूल जाने वाली छात्राओं ने कहा कि बस स्टॉप से लेकर सड़कों पर भी लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. सरकार भले ही कितने दावे करें लेकिन लड़कियों के साथ छेड़छाड़ दुष्कर्म जैसी घटनाएं होती हैं. बस में चढ़ने में भी डर लगता है घर से अकेले निकल नहीं सकते.
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