Delhi Politics: 'LG पलट सकता है कैबिनेट का फैसला,' अरविंद केजरीवाल का दावा- भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ
Arvind Kejriwal: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल को अधिकार दे दिया गया है कि कि वो कैबिनेट का कोई भी फैसला पलट सकता है. इस दौरान उन्होंने साथ देने के सीपीआई का शुक्रिया अदा किया.

Delhi News: दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान केंद्र सरकार और एलजी विनय कुमार सक्सेना (Vinay Kumar Saxena) पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि केंद्र के अध्यादेश में यह प्रावधान है कि प्रदेश का मुख्य सचिव तय करेगा कि दिल्ली कैबिनेट का कौन सा निर्णय कानूनी (Legal) है और कौन सा गैर कानूनी (Illegal).
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल को अधिकार दे दिया गया है कि कि वो कैबिनेट का कोई भी फैसला पलट सकता है. उन्होंने कहा कि आज तक भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ. ऐसा नहीं कि दिल्ली अर्धशासी राज्य है, इसलिए ये अध्यादेश दिल्ली के लिए आया है. यह अध्यादेश राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और अन्य राज्यों के लिए भी आ सकता है. यह सिर्फ दिल्ली का मामला नहीं है. दिल्ली से इसकी शुरुआत हुई है. इसलिए सब पार्टियों को मिलकर इसका विरोध करना चाहिए.
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सीएम केजरीवाल ने सीपीआई का जताया आभार
दिल्ली के सीएम और आप आदमी पार्टी के संयोजक सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के 2 करोड़ लोगों ने सरकार को चुना है, तो सरकार को काम करने का भी अधिकार होना चाहिए. उन्होंने इस दौरान सीपाआई (CPI) नेताओं का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि इस अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के लोगों का साथ देने का निर्णय लिया है. दिल्ली के सीएम ने आज सीपाआई महासचिव डी राजा और अन्य नेताओं से भी मुलाकात की.
केंद्र का अध्यादेश लोकतंत्र पर हमला- डी राजा
इस मुद्दे पर सीपाआई नेता डी राजा ने कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार का तानाशाही अध्यादेश लोकतंत्र और संविधान पर हमला है. वो इस अध्यादेश के खिलााफ संसद में दिल्ली की जनता का साथ देंगे. यही वजह है कि मोदी सरकार के गैर संवैधानिक अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता को सभी पार्टियों का साथ मिल रहा है. बता दें कि दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 11 मई को आया था. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में आया था. इसके आठ दिन बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर शीर्ष अदालत के फैसले को पलट दिया था.
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Source: IOCL






















