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In-depth Report: आप पर क्यों फिरी झाड़ू और कैसे खिला कमल? 13 पॉइंट में समझें दिल्ली की सियासी दास्तां

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों का ऐलान हो चुका है. बीजेपी ने 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की है और इंद्रप्रस्थ के कुरुक्षेत्र में एक दशक से लगातार कायम आम आदमी पार्टी को उखाड़ फेंका.

उन्होंने दिल्ली के चुनावी मैदान में ऐसे दस्तक दी कि सभी राजनीतिक दलों के मंसूबों पर झाड़ू लगा दी. फिर 12 साल तक दिल्ली के दिल पर उन्होंने इस कदर राज किया कि उन्हें हटाना नामुमकिन जैसा हो चला. हालांकि, अब उनकी झाड़ू ने उन्हें ही अपना शिकार बना लिया और दिल्ली ने 27 साल बाद भगवा रंग को अपना लिया है. बात हो रही है आम आदमी पार्टी की, जिसे दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि पिछले दो चुनावों में सियासी सुनामी लाने वाली आम आदमी पार्टी महज 22 सीटों पर ही सिमट गई. आइए जानते हैं कि किस पार्टी को कितने फीसदी वोट मिले? कौन-कौन से बड़े नेता हार गए तो किसने किसका खेल बिगाड़ा और छोटी-बड़ी जीत से जुड़ी हर बात. महज 13 पॉइंट्स में समझते हैं दिल्ली की पूरी सियासी दास्तां.

कैसे रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे?

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर पांच फरवरी को मतदान हुआ था और आठ फरवरी को नतीजों का ऐलान किया गया. इनमें 48 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की तो 22 सीटें आम आदमी पार्टी की झोली में गईं. आम आदमी पार्टी ने 2015 में 67 तो 2020 में 62 सीटें जीती थीं. अहम बात यह है कि कांग्रेस पार्टी लगातार तीसरी बार दिल्ली में एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत सकी. वहीं, महज दो सीटों पर ताल ठोंकने वाली असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने अपना दमखम काफी अच्छी तरह दिखाया. 

किस पार्टी को मिले कितने फीसदी वोट?

वोट शेयर की बात करें तो दिल्ली का सियासी मैदान मारने वाली बीजेपी को 45.61 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि लगातार दो बार सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी सिर्फ 43.55 पर्सेंट वोट शेयर ही हासिल कर सकी. वोट शेयर के हिसाब से पांच बड़ी पार्टियों को देखें तो बीजेपी (45.56%), आप (43.57%), कांग्रेस (6.35%), जेडीयू (1.05%) और एआईएमआईएम (0.77%) हैं.


In-depth Report: आप पर क्यों फिरी झाड़ू और कैसे खिला कमल? 13 पॉइंट में समझें दिल्ली की सियासी दास्तां

वोट शेयर में किसे फायदा, किसे नुकसान?

2015 के विधानसभा चुनाव में आप को 54.5 पर्सेंट तो 2020  के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 53.8 पर्सेंट वोट मिले थे. यानी पार्टी की न सिर्फ सीटें काफी ज्यादा घट गईं, बल्कि उन्हें वोट शेयर में भी तगड़ा झटका लगा है. उधर, बीजेपी को 2020 के विधानसभा चुनाव में 38.51 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस के लिए राहत की बात यह है कि वह भले ही तीसरी बार एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन उसके वोट शेयर में इजाफा हुआ है. 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 4.26 पर्सेंट था, जो 2025 के विधानसभा चुनाव में बढ़कर 6.35 पर्सेंट हो गया. 

किसे कितनी सीट का फायदा और किसे कितना नुकसान?

2020 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले आम आदमी पार्टी को सीधे तौर पर 40 सीटों का नुकसान हुआ है. पार्टी को 2020 में 62 सीटें मिली थीं और इस बार वह सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई. वहीं, 2020 में सिर्फ आठ सीटें जीतने वाली बीजेपी की झोली में 48 सीटें आई हैं. इसका मतलब यह है कि आम आदमी पार्टी जितनी भी सीटों पर हारी है, उन सभी पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

साख नहीं बचा पाए ये बड़े चेहरे

2025 के विधानसभा चुनाव में कई बड़े चेहरे अपनी साख नहीं संभाल पाए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. खास बात यह है कि इस लिस्ट में सिर्फ आम आदमी पार्टी ही नहीं, बल्कि बीजेपी के नेता भी शामिल हैं. आम आदमी पार्टी से शुरू करें तो पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से हार गए. वहीं, सीट बदलने के बाद भी उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जीत हासिल नहीं कर सके. इनके अलावा आप सरकार में हेल्थ मिनिस्टर रह चुके सत्येंद्र जैन और कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज को भी हार का कड़वा घूंट पीना पड़ा. साथ ही, आम आदमी पार्टी में कानून मंत्री रह चुके सोमनाथ भारती और राखी बिड़लान को भी जीत नहीं नसीब हुई. बीजेपी की बात करें तो पार्टी के दिग्गज नेता रमेश बिधूड़ी को हार का सामना करना पड़ा. उन्हें सीएम आतिशी ने कालकाजी सीट पर मात दी.

इन बड़े नेताओं को मिली जीत

2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए अच्छा नहीं रहा. पार्टी के कई बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कई बड़े चेहरे अपनी साख बचाने में कामयाब रहे. इनमें आतिशी ने कालकाजी सीट से जीत दर्ज की तो गोपाल राय ने बाबरपुर सीट पर बाजी मारी. इसके अलावा तिलक नगर सीट से जरनैल सिंह, ओखला से अमानतुल्ला खान और बल्लीमारान से इमरान हुसैन ने जीत हासिल की. बीजेपी के बड़े चेहरों की बात करें तो प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को हराया. वहीं, कपिल मिश्रा ने करावल नगर सीट पर आप के मनोज त्यागी को मात दी. इनके अलावा बीजेपी के अरविंदर सिंह लवली, विजेंद्र गुप्ता, मनजिंदर सिंह सिरसा जीत हासिल  करने में कामयाब रहे. 

कांग्रेस ने कैसे बिगाड़ा आप का खेल?

वैसे तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप का हाल बेहद खराब रहा, लेकिन इसके पीछे कांग्रेस का हाथ काफी ज्यादा जिम्मेदार है. दरअसल, दिल्ली की कम से कम 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को सीधे तौर पर तगड़ा झटका दिया है. सबसे पहले नई दिल्ली सीट की बात करें तो यहां अरविंद केजरीवाल को 4089 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. वहीं, तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 4568 वोट हासिल हुए. अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन होता तो इस मार्जिन का फायदा आप को मिल सकता था. इसी तरह जंगपुरा में मनीष सिसोदिया की हार का अंतर 675 वोट रहा. यहां कांग्रेस के फरहद सूरी को 7350 वोट मिले. ग्रेटर कैलाश में सौरभ भारद्वाज 3188 वोटों से हारे, जहां कांग्रेस के गर्वित सिंघवी को 6711 वोट हासिल हुए. मालवीय नगर में सोमनाथ भारती 2131 वोटों से हारे. यहां कांग्रेस के जितेंद्र कोचर को 6770 वोट मिले हैं. 


In-depth Report: आप पर क्यों फिरी झाड़ू और कैसे खिला कमल? 13 पॉइंट में समझें दिल्ली की सियासी दास्तां

राजेंद्र नगर में आप के दुर्गेश पाठक 1231 वोटों से हार गए. यहां कांग्रेस प्रत्याशी को 4015 वोट मिले. संगम विहार में आप उम्मीदवार दिनेश मोहनिया महज 344 वोटों से हार गए, जहां कांग्रेस के हर्ष चौधरी को 15863 वोट हासिल हुए. तिमारपुर में आप के सुरेंद्र पाल को 1168 वोटों से मात मिली, जबकि कांग्रेस कैंडिडेट को 8361 वोट हासिल हुए. महरौली में आप के महेंद्र चौधरी 1782 वोटों से हार गए. यहां कांग्रेस प्रत्याशी को 9731 वोट हासिल हुए. उधर, त्रिलोकपुरी में आप की अंजना सिर्फ 392 वोटों से हार गईं. यहां कांग्रेस के अमरदीप को 6147 वोट मिले. अगर इन सभी सीटों पर आप को कांग्रेस का साथ मिला होता तो नतीजे अलग हो सकते थे.

यहां AIMIM ने बीजेपी को तोहफे में दी सीट

कांग्रेस ही नहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई. आलम यह रहा कि आईएमआईएम की वजह से ही दिल्ली की मुस्लिम बाहुल्य सीट मुस्तफाबाद बीजेपी की झोली में आ गिरी. दरअसल, यहां बीजेपी को मोहन सिंह बिष्ट ने 17578 वोटों से जीत हासिल की. मोहन सिंह को 85215 वोट मिले, जबकि आप के अदील अहमद खान को  67637 वोट हासिल हुए. अदील का काम बिगाड़ा एआईएमआईएम के मोहम्मद ताहिर हुसैन ने, जिन्होंने मुस्लिम वोटों को इस कदर बांट दिया कि उनकी झोली में 33434 वोट आ गए. ऐसे में आप के आदिल को हार का सामना करना पड़ा.

इन सीटों पर जीत का अंतर रहा सबसे ज्यादा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के सबसे बड़े अंतर की बात करें तो मटिया महल विधानसभा सीट पर आप आदमी पार्टी के आले मोहम्मद इकबाल को नसीब हुई. आले मोहम्मद को 58120 वोट मिले और उन्होंने 42724 वोटों से जीत दर्ज की. दूसरे नंबर पर रही बीजेपी की दीप्ति इंदौरा को 15396 वोट ही मिले. दूसरी सबसे बड़ी जीत की बात करें तो वह भी आप आदमी पार्टी के चौधरी जुबैर अहमद ने 42477 वोटों से जीत हासिल की. चौधरी जुबैर अहमद को सीलमपुर विधानसभा सीट पर 79009 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के अनिल कुमार शर्मा (गौड़) को 36532 वोट ही मिल सके. आले मोहम्मद इकबाल को नसीब हुई. आले मोहम्मद को 58120 वोट मिले और उन्होंने 42724 वोटों से जीत दर्ज की. दूसरे नंबर पर रही बीजेपी की दीप्ति इंदौरा को 15396 वोट ही मिले.

इन सीटों पर जीत का अंतर रहा बेहद कम

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे कम अंतर वाली जीत की बात करें तो संगम विहार सीट पर बीजेपी उम्मीदवार चंदन कुमार चौधरी महज 344 वोटों से जीत हासिल कर पाए. उधर, त्रिलोकपुरी सीट पर बीजेपी के रविकांत ने सिर्फ 392 वोटों से जीत दर्ज की. इसके अलावा जंगपुरा विधानसभा सीट पर तरविंदर सिंह मारवाह को सिर्फ 675 वोटों से जीत मिली. उन्होंने आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया को हराया.

इन विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने दिया अपना बेस्ट

वोट हासिल करने के हिसाब से देखें तो मटियाला विधानसभा सीट पर बीजेपी को सबसे ज्यादा वोट हासिल हुए. यहां बीजेपी के संदीप सहरावत को 146295 वोट मिले और उन्होंने 28723 वोटों से जीत दर्ज की. वहीं, वोटों के अंतर से जीत की बात करें तो बीजेपी को बवाना विधानसभा सीट पर वोटों के अंतर से सबसे बड़ी जीत मिली. यहां बीजेपी के रविंदर इंद्राज सिंह को 119515 वोट मिले और उन्होंने 31475 वोटों से जीत दर्ज की.

मुस्लिम सीटों पर ऐसा रहा हाल

दिल्ली की मुस्लिम बाहुल्य सीटों की बात करें तो सीलमपुर, ओखला, मटिया महल, मुस्तफाबाद और बल्लीमारान सीटों का जिक्र होता है. सीलमपुर में आप के जुबैर अहमद, ओखला में आप के अमानतुल्लाह खान, मटिया महल में आप के आले मोहब्बत इकबाल और बल्लीमारान में आप के इमरान हुसैन ने जीत दर्ज की. हालांकि, मुस्तफाबाद विधानसभा सीट के नतीजे चौंकाने वाले रहे. मुस्लिम बाहुल्य सीट होने के बावजूद यहां बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने बड़ी जीत दर्ज की.

यह भी पढ़ें: दिल्ली में आए सभी 70 सीटों के नतीजे, BJP की प्रचंड जीत, AAP को मिली शिकस्त

खबर कोई भी हो... कैसी भी हो... उसकी नब्ज पकड़ना और पाठकों को उनके मन की बात समझाना कुमार सम्भव जैन की काबिलियत है. मुहब्बत की नगरी आगरा से मैंने पत्रकारिता की दुनिया में पहला कदम रखा, जो अदब के शहर लखनऊ में परवान चढ़ा. आगरा में अकिंचन भारत नाम के छोटे से अखबार में पत्रकारिता का पाठ पढ़ा तो लखनऊ में अमर उजाला ने खबरों से खेलना सिखाया. 

2010 में कारवां देश के आखिरी छोर यानी राजस्थान के श्रीगंगानगर पहुंचा तो दैनिक भास्कर ने मेरी मेहनत में जुनून का तड़का लगा दिया. यहां करीब डेढ़ साल बिताने के बाद दिल्ली ने अपने दिल में जगह दी और नवभारत टाइम्स में नौकरी दिला दी. एनबीटी में गुजरे सात साल ने हर उस क्षेत्र में महारत दिलाई, जिसका सपना छोटे-से शहर से निकला हर लड़का देखता है. साल 2018 था और डिजिटल ने अपना रंग जमाना शुरू कर दिया था तो मैंने भी हवा के रुख पकड़ लिया और भोपाल में दैनिक भास्कर पहुंच गया. 

झीलों के शहर की खूबसूरती ने दिल और दिमाग पर काबू तो किया, लेकिन जरूरतों ने वापस दिल्ली ला पटका और जनसत्ता में काफी कुछ सीखा. यह पहला ऐसा पड़ाव था, जिसकी आदत धारा के विपरीत चलना थी. इसके बाद अमर उजाला नोएडा में करीब तीन साल गुजारे और अब एबीपी न्यूज में बतौर फीचर एडिटर लोगों के दुख-दर्द और तकलीफ का इलाज ढूंढता हूं. करीब 18 साल के इस सफर में पत्रकारिता की दुनिया के हर कोने को खंगाला, चाहे वह रिपोर्टिंग हो या डेस्क... प्रिंटिंग हो या मैनेजमेंट... 

काम की बात तो बहुत हो चुकी अब अपने बारे में भी चंद बातें बयां कर देता हूं. मिजाज से मस्तमौला तो काम में दबंग दिखना मेरी पहचान है. घूमने-फिरने का शौकीन हूं तो कभी भी आवारा हवा के झोंके की तरह कहीं न कहीं निकल जाता हूं. पढ़ना-लिखना भी बेहद पसंद है और यारों के साथ वक्त बिताना ही मेरा पैशन है. 

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