दिल्ली: वाहनों की फिटनेस फीस में 10 गुना वृद्धि, ट्रांसपोर्टर्स में हड़कंप, जनता पर पड़ेगा ये सीधा असर
Delhi News: वाहनों की फिटनेस टेस्ट फीस में दस गुना वृद्धि से ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों में हड़कंप है. मंदी से जूझ रहे छोटे ट्रांसपोर्टरों पर इसका बुरा असर पड़ेगा.

वाहनों की फिटनेस टेस्ट फीस में अचानक की गई दस गुना बढ़ोतरी ने देशभर के ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों में हड़कंप मचा दिया है. पहले से ही मंदी, बढ़ते खर्च और नियमों की जटिलताओं से जूझ रहा यह क्षेत्र अब इस नए बोझ के चलते खुद को अस्तित्व के संकट में देख रहा है. ट्रांसपोर्ट यूनियन चेतावनी दे रही हैं कि यदि वृद्धि वापस नहीं ली गई तो इसका सीधा असर न केवल माल ढुलाई बल्कि देशभर की आम जनता तक पहुंचने वाली आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर पड़ेगा.
सरकार ने नई आयु-श्रेणियों—10–15 वर्ष, 15–20 वर्ष और 20 वर्ष से अधिक—के आधार पर फिटनेस टेस्ट फीस में भारी उछाल कर दिया है. खासकर 20 साल से पुराने ट्रक और बसों की फीस 2,500 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई है. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि यह वृद्धि न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि ऐसे वक्त में आई है जब उद्योग पहले से ही गिरावट के दौर से गुजर रहा है.
छोटे और मझोले ट्रांसपोर्टरों पर पड़ेगा सबसे अधिक असर
डीजल की लगातार बढ़ती कीमतें, टोल टैक्स, ई-वे बिल की जटिलताएं और चालान प्रणाली ने पहले ही ट्रांसपोर्टरों की कमर तोड़ रखी है. ऐसे में फिटनेस फीस में दस गुना इजाफा उन्हें आर्थिक रूप से और कमजोर करेगा. छोटे और मझोले ऑपरेटर, जो देश के 80% ट्रांसपोर्ट की रीढ़ माने जाते हैं, सबसे अधिक प्रभावित होंगे.
पुरानी गाड़ियां सड़क से हटने से प्रभावित होगी सप्लाई चेन
फ़ीस बढ़ोतरी का सबसे बड़ा झटका उन लोगों को लगेगा जो पुरानी गाड़ियां खरीदकर लोकल परिवहन या सीमित दूरी की ढुलाई करते हैं. ये ज्यादातर छोटे ट्रांसपोर्टर और चालक होते हैं. इतनी भारी फीस चुकाना उनके लिए संभव नहीं होगा, जिसका मतलब है कि लाखों वाहन सड़कों से बाहर हो सकते हैं. नतीजन लॉजिस्टिक लागत बढ़ेगी, सप्लाई चेन धीमी पड़ेगी और आम जनता के लिए जरूरी सामान महंगा हो जाएगा.
उद्योग की राय बिना लिए लिया गया फैसला बढ़ रहा नाराज़गी
ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने यह भी सवाल उठाया है कि इतनी बड़ी वृद्धि से पहले न कोई परामर्श लिया गया, न कोई ड्राफ्ट जारी किया गया और न ही कोई व्यवहार्यता अध्ययन किया गया. उनका कहना है कि यह निर्णय न सिर्फ असमय है बल्कि जमीनी हकीकत से दूर भी है.
सीधा असर किसानों, व्यापारियों और आम परिवारों पर
फीस बढ़ोतरी को लेकर ट्रांसपोर्ट यूनियनों का कहना है कि इसका असर सिर्फ ट्रक मालिकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि किसान, व्यापारी, छोटे उद्योग और आम परिवार—सभी इसकी मार झेलेंगे. माल ढुलाई महंगी होगी तो बाजार तक पहुंचने वाली हर वस्तु का दाम बढ़े बिना नहीं रहेगा.
सरकार से फीस वृद्धि तुरंत रोकने की अपील
आल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र कपूर ने सरकार से आग्रह किया है कि इस निर्णय को तुरंत स्थगित किया जाए और उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर एक व्यावहारिक समाधान निकाला जाए.
सरकार के सामने रखी ये प्रमुख मांगें
• फीस वृद्धि पर रोक लगाई जाए.
• ट्रांसपोर्ट सेक्टर से चर्चा कर नई फ़ीस संरचना तय की जाए.
• फिटनेस सेंटरों की पारदर्शिता और क्षमता को बेहतर किया जाए.
• 15 वर्ष से पुराने लेकिन अच्छी स्थिति वाले वाहनों को रियायत मिले.
• राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के अनुरूप, उद्योग हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाएं.
ट्रांसपोर्ट सेक्टर देश की आर्थिक धमनियां, नियमों के बोझ से पड़ेगा असर
कपूर का कहना है कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर देश की आर्थिक धमनियों में से एक है. यदि इसे ऐसे भारी-भरकम नियमों का बोझ सहना पड़ा, तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था तक पर दिखेगा. इसलिए सरकार से उम्मीद है कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करेगी.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL






















