ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण न देने पर HC ने जताई नाराजगी, केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए सार्वजनिक नौकरियों में आरक्षण नीति लागू न करने पर फटकार लगाई है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण नीति लागू न करने पर केंद्र और दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए NALSA जजमेंट में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए थे कि ट्रांसजेंडर्स को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग मानते हुए उन्हें आरक्षण दिया जाए परंतु अब तक सरकारों ने इस पर कोई ठोस नीति नहीं बनाई.
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अर्जी एक ट्रांसजेंडर उम्मीदवार की याचिका से जुड़ा है जिसमें उसने दिल्ली हाईकोर्ट में कोर्ट अटेंडेंट के पद पर भर्ती में आरक्षण की मांग की थी. चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने इस याचिका को जनहित याचिका में बदलते हुए कहा कि यह मुद्दा केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण से जुड़ा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक आरक्षण लागू नहीं होना गंभीर लापरवाही है. सरकारों को तुरंत नीति बनाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार की 2021 की अधिसूचना में केवल 5 साल की आयु सीमा में छूट और पांच प्रतिशत अंकों की राहत दी गई थी. जबकि आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं किया गया. याचिकाकर्ता ने बताया कि अधिसूचना में दी गई छूट भी लागू नहीं की गई, जिसके कारण कई ट्रांसजेंडर उम्मीदवार आवेदन नहीं कर सके. अदालत ने कहा कि समावेश और समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार को ठोस नीति अपनानी होगी.
दिल्ली हाई कोर्ट का अहम आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह दस दिनों के भीतर हाईकोर्ट से परामर्श कर आवश्यक फैसला ले. यदि ट्रांसजेंडर्स को छूट दी जाती है. तो आवेदन की अंतिम तिथि एक माह तक बढ़ाई जाए और इसकी सूचना व्यापक रूप से सार्वजनिक की जाए.
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