'स्टूडेंट्स की आत्महत्या रोकनी है तो तुरंत शुरू हो एंटी रैगिंग हेल्पलाइन', दिल्ली HC की अहम टिप्पणी
Delhi High Court News: कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए चेतावनी दी है कि इस प्रक्रिया में देरी की कोई गुंजाइश नहीं है, अन्यथा हम और अधिक युवाओं की जिंदगियां इस गंभीर समस्या के कारण खो सकते हैं.

देशभर में छात्रों की सुसाइड के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि एक सही मायनों में काम करने वाली, प्रभावी और भरोसेमंद एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन की स्थापना तत्काल जरूरी है.
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए चेतावनी दी है कि इस प्रक्रिया में देरी की कोई गुंजाइश नहीं है, अन्यथा हम और अधिक युवाओं की जिंदगियां इस गंभीर समस्या के कारण खो सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीके उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच अमन सत्य कच्छू ट्रस्ट द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में ट्रस्ट नहीं है मुद्दा उठाया था कि यूजीसी और सेंटर फॉर यूथ सोसायटी एंटी रैगिंग प्रोग्राम को ठीक से नहीं चला पा रहे हैं. जिसके कारण यह हेल्पलाइन निष्क्रिय हो गई है और छात्रों को मदद नहीं मिल पा रही है.
'सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी काम मे तेजी नहीं'
साल 2009 में प्रोफेसर राजेंद्र कच्छू ने अपने बेटे अमन की रैगिंग के चलते हुई मौत के बाद एक नेशनल रैगिंग प्रिवेंशन प्रोग्राम तैयार किया था. इस योजना में 24 घंटे हेल्पलाइन, छात्रों और उनके अभिभावकों का डेटाबेस, देशभर के 50 हजार कॉलेज की एंटी रैगिंग समितियां की जानकारी और कॉल सेंटर आधारित निगरानी तंत्र शामिल था.
सुप्रीम कोर्ट ने उसी साल इस योजना को लागू करने का आदेश दिया और यूजीसी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी. काफी समय तक यह व्यवस्था ट्रस्ट और प्रोफेसर कच्छू की देखरेख में चली लेकिन साल 2021 में यूजीसी ने नया टेंडर निकाला और 2022 से यह काम सेंटर फॉर यूथ सोसायटी को सौंप दिया. ट्रस्ट का आरोप है कि नए प्रबंधन ने पूरे कार्यक्रम को ढीले ढाले तरीके से चलाया जिससे हेल्पलाइन लगभग बंद जैसी हो गई और स्टूडेंट आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती चली गई.
दिल्ली हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा यह केवल एक प्रशासनिक मामला नहीं है. बल्कि छात्रों की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल है. दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ शब्दों में कहा एंटी रैगिंग हेल्पलाइन अब और इंतजार नहीं कर सकती . इस प्रक्रिया में जरा भी देरी का मतलब है हम और मासूम जिंदगी खो देंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने टेंडर रद्द करने से किया इंकार
हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट में फिलहाल सेंटर फॉर यूथ सोसायटी का टेंडर रद्द करने से इनकार कर दिया क्योंकि यह अनुबंध 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो जाएगा. लेकिन मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के संकेत दिए कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स इस पूरी व्यवस्था की समीक्षा करेगी और जरूरी बदलाव की सिफारिश भी करेगी.
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