Delhi Crime News: सावधान! पॉल्युशन सर्टिफिकेट बनवाने को लेकर चल रहा बड़ा स्कैम, पुलिस ने किया खुलासा
Fake Pollution Certificate: शातिर चीटर व्यवसायिक जरूरत के लिए लोगों को प्रदूषण सर्टिफिकेट बना कर देता था, जो ऑरिजिनल न हो कर फेक होता था और उसके बदले वह लोगों से मोटी रकम की वसूली करता था.
Delhi News: दिल्ली की क्राइम ब्रांच पुलिस ने एक ऐसे शातिर चीटर को गिरफ्तार किया है, जो व्यावसायिक जरूरत के लिए लोगों को प्रदूषण सर्टिफिकेट बना कर देता था, जो ऑरिजिनल न हो कर फेक होता था और उसके बदले वह लोगों से मोटी रकम की वसूली करता था. इस मामले में गिरफ्तार आरोपी की पहचान मनीष पोद्दार के रूप में हुई है. इसे पुलिस ने ग्रेटर नोएडा के यूनिटेक हाईट्स, सेक्टर 3 से दबोचा है. आरोपी ने बीटेक के बाद एमबीए किया था और मल्टीनेशनल बैंक में जॉब कर चुका है.
DPCC के सर्टिफिकेट बनवाने के नाम पर ठगे दो लाख रुपये
इसकी जालसाजी का खुलासा तब हुआ, जब नारायणा इंडस्ट्रियल एरिया स्थित ग्रोवर स्वीट्स के मालिक ने 23 जुलाई को इसकी शिकायत क्राइम ब्रांच पुलिस को दी. पुलिस को दी गई शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें अपनी नई वर्कशॉप और आउटलेट्स के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के सर्टिफिकेट की जरूरत थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात आरोपी मनीष से हुई, जिसने उन्हें सर्टिफिकेट बनवा कर देने का भरोसा दिया. उसने 4 सर्टिफिकेट उन्हें बना कर दिया, जिसके लिए उसने दो लाख एक हजार छह सौ रुपये उनसे लिए थे.
लोगों की जरूरत को देखते हुए साजिशन बनाई ठगी की योजना
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने अकेले ही साजिश रच कर इस वारदात को अंजाम दिया था. इसके लिए उसने फेक DPCC सर्टिफिकेट का फॉरमेट तैयार करने लिए एक लैपटॉप एवं अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया था. उसने बताया कि वह व्यवसाय संघों का दौरा करता था. जहां वह विभिन्न व्यवसायों, कारखानों और दुकान मालिकों के संपर्क में आया, जो आसानी से DPCC सर्टिफिकेट बनवाना चाहते थे. इसका फायदा उठाते हुए उसने खुद को उनके सामने एक कमीशन एजेंट सह सलाहकार के रूप में प्रस्तुत किया और उन्हें नकली पीसीसी सर्टिफिकेट देना शुरू कर दिया. उसे रेफरेंस के कारण और भी काम मिलने लगे. जिसका फायदा उठा कर उसने कई व्यवसायियों को चुना लगाया. वो लोगों से वैसे लेकर उन्हें फर्जी सर्टिफिकेट देता था, जो सभी के लिए भिन्न होता था.
DPCC का सलाहकार बता कर लेता था लोगों को झांसे में
आरोपी ने बताया कि उसने बीटेक के बाद एमबीए किया था. उसके बाद उसने क्रमशः एचएसबीसी और बार्कलेज बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में काम किया. लेकिन बाद में उसमें जॉब छोड़ दी और नारायणा और गुरुग्राम के उद्योग विहार में छोटे उद्योगों के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सप्लाई करने की फर्म की शुरुआत की. इसी दौरान उसे प्रदूषण प्रमाणपत्र और इसे प्राप्त करने की औपचारिकताओं के बारे में पता चला. चूंकि वह अपने काम से संतुष्ट नहीं था. इसलिए उसने खुद को DPCC के सलाहकार के रूप में प्रस्तुत कर के लोगों को धोखा देना शुरू कर दिया. पुलिस के मुताबिक अब तक छह ऐसे पीड़ितों के बारे में जानकारी मिली है, जिनसे आरोपी ने DPCकि सर्टिफिकेट के नाम पर ठगी की है.
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