PM-CM वाले बिल की JPC में AAP भी नहीं होगी शामिल, संजय सिंह बोले, 'किसी भी सदस्य को...'
Sanjay Singh News: आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने की मांग वाले विधेयकों पर विचार करने के लिए जेपीसी में शामिल नहीं होगी. AAP सांसद संजय सिंह ने विधेयक पर सवाल उठाए.

टीएमसी और समाजवादी पार्टी के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने रविवार (24 अगस्त) को घोषणा की है कि वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने की मांग वाले तीन विधेयकों पर विचार करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में शामिल नहीं होगी. AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित विधेयकों का मकसद विपक्षी सरकारों को गिराना है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, ''उनकी पार्टी ने जेपीसी में किसी भी सदस्य को नामित नहीं करने का फैसला किया है. भ्रष्टाचारियों का नेता भ्रष्टाचार के खिलाफ विधेयक कैसे ला सकता है? नेताओं को फर्जी मामलों में फंसाना और उन्हें जेल में डालना, सरकारें गिराना, यही इस विधेयक का उद्देश्य है.''
जेपीसी मूल्यहीन- डेरेक ओ ब्रायन
इस बीच, राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने रविवार को कहा कि जेपीसी मूल्यहीन है. ज्यादातर दलों ने एनडीए गठबंधन द्वारा संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने के स्टंट की आलोचना की. ओ ब्रायन ने एक्स पर कहा, ''मूल्यहीन जेपीसी.''
TMC और SP का जेपीसी में शामिल नहीं होने का फैसला
इससे पहले टीएमसी ने शनिवार (23 अगस्त) को घोषणा की थी कि वह संविधान के 130वें संशोधन विधेयक पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में किसी सदस्य को नामित नहीं करेगी. पार्टी ने इस समिति को एक दिखावा बताया था. पार्टी के एक सूत्र के अनुसार, समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से भी जेपीसी में किसी सदस्य को नामित करने की संभावना नहीं है.
पीटीआई के मुताबिक शनिवार को प्रकाशित एक ब्लॉगपोस्ट में, टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ''उनकी पार्टी और सपा दोनों ने जेपीसी में किसी सदस्य को नामित नहीं करने का फैसला किया है.'' उन्होंने दावा किया कि संसद के दोनों सदनों में सत्तारूढ़ दल की संख्या अधिक होने के कारण ये समितियां सत्तारूढ़ दल के पक्ष में झुकी हुई हैं.
विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक-2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक-2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2025 20 अगस्त को लोकसभा में पेश किए गए. जब गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पेश करने का प्रस्ताव रखा, तो सदन में हंगामा मच गया, विधेयकों की कॉपी फाड़ी गईं और फेंकी गईं. सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन के सदस्य आमने-सामने आ गए.
क्या है विधेयक का कानूनी ढांचा?
ये विधेयक गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने का क़ानूनी ढांचा प्रदान करता है. दोनों सदनों ने इन विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं. इस समिति को शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, जो नवंबर के तीसरे हफ्ते में शुरू होने की संभावना है.
Source: IOCL





















