अमित शाह, उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात के बाद पवन सिंह की पहली प्रतिक्रिया, दिए ये सियासी संकेत
Pawan Singh News: बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है ऐसे में पवन सिंह की बीजेपी में दोबारा एंट्री से पार्टी को फायदा हो सकता है. जानिए पवन सिंह ने क्या कुछ कहा है.

भोजपुरी इंडस्ट्री के पावरस्टार कहे जाने वाले पवन सिंह ने मंगलवार (30 सितंबर, 2025) को दिल्ली में एनडीए के नेताओं से मुलाकात की. बिहार चुनाव के बीच पार्टी से अपने रिश्ते को वो ठीक कर रहे हैं. राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से दिल्ली में मिलने के साथ-साथ उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की. इस दौरान जेपी नड्डा और उपेंद्र कुशवाहा भी मौजूद रहे. मीटिंग के बाद पवन सिंह ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सब बढ़िया होगा.
उधर दूसरी ओर मुलाकात की तस्वीरों को उपेंद्र कुशवाहा ने अपने एक्स हैंडल से शेयर किया है. उन्होंने लिखा, "आज मेरे दिल्ली आवास पर भाजपा नेता श्री विनोद तावड़े जी और ऋतुराज सिन्हा की उपस्थिति में भोजपुरी स्टार श्री पवन सिंह जी से शिष्टाचार मुलाकात."
आज मेरे दिल्ली आवास पर भाजपा नेता श्री विनोद तावड़े जी और ऋतुराज सिन्हा की उपस्थिति में भोजपुरी स्टार श्री पवन सिंह जी से शिष्टाचार मुलाकात। pic.twitter.com/QolvUDQ5Us
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushRLM) September 30, 2025
आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने किया हमला
सियासी गलियारे में राजनीति भी शुरू हो गई है. भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह के आरएलएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के घर जाने पर आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने कहा, "उपेंद्र कुशवाहा जो बिहार के कुशवाहा समाज के एक स्थापित नेता थे, बीजेपी ने उनके नेतृत्व को चुनौती दी और राजनीतिक ताकत को लगभग समाप्त करने के उद्देश्य से उन्होंने पवन सिंह को भाजपा की बी टीम के रूप में चुनावी मैदान में उतारा है."
दिल्ली: राजद सांसद सुधाकर सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा और पवन सिंह की मुलाकात पर कहा, "यह स्पष्ट है कि उपेंद्र कुशवाहा, जो बिहार के कुशवाहा समाज के एक स्थापित नेता थे, उनकी नेतृत्व क्षमता को चुनौती देने और उनकी राजनीतिक ताकत को लगभग समाप्त करने के उद्देश्य से भाजपा ने पवन सिंह को उनकी… pic.twitter.com/FL0rSK75r7
— IANS Hindi (@IANSKhabar) September 30, 2025
सुधाकर सिंह ने कहा, "उपेंद्र कुशवाहा आज की तारीख में बिहार की राजनीति में अप्रासंगिक हो चुके हैं. उनकी सौदेबाजी की ताकत भी खत्म हो गई है. पवन सिंह अब किससे मिलते हैं, इसका कोई खास मतलब नहीं है, लेकिन भाजपा उनका इस्तेमाल करके कुशवाहा को किनारे लगाने में कामयाब रही."
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