BJP Reaction: विशेष राज्य दर्जा की मांग को सुशील मोदी ने बताया CM नीतीश का राजनीतिक प्रोपेगेंडा, गिनाई केंद्र की मदद
Sushil Kumar Modi Statement: सीएम नीतीश कुमार इन दिनों विशेष राज्य दर्जा को लेकर केंद्र को घेर रहे हैं. वहीं, सीएम नीतीश की इस मांग पर सुशील मोदी ने गुरुवार को प्रतिक्रिया दी है.

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने गुरुवार को कहा कि 14 वें वित्त आयोग ने 'विशेष राज्य' की अवधारणा को ही अमान्य कर दिया है और अब किसी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बिहार को विशेष आर्थिक पैकेज देकर विशेष दर्जा से कई गुणा अधिक मदद कर रहे हैं. स्वयं नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पहल पर कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जो रघुरामराजन कमेटी गठित कराई थी, उसने भी 'विशेष राज्य' की मांग को खारिज कर दिया था.
नीतीश कुमार जब केंद्र के विरोधी खेमे में रहते हैं, तब केंद्र की परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने में अड़ंगेबाजी करते हैं और चुनाव निकट देख कर केंद्र को बदनाम करने के लिए विशेष दर्जे की मांग पर राजनीति शुरू कर देते हैं.
जब नीतीश और लालू केंद्र सरकार में ताकतवर मंत्री रहे'
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद केंद्र सरकार में ताकतवर मंत्री रहे, तब इन लोगों ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिलवाया? एक लाख करोड़ से अधिक राशि खर्च कर बिहार में जो आधा दर्जन से ज्यादा मेगा ब्रिज और 4-लेन, 6- लेन सड़कों का नेटवर्क तैयार हो रहा है, वह क्या केंद्रीय मदद नहीं है? बिहार में जो भी बड़ा ढांचागत विकास हुआ, वह विशेष आर्थिक पैकेज और केंद्र की सहायता से संभव हुआ. इससे बिहार के हजारों परिवारों को रोजगार मिला.
केंद्रीय मदद पर बोले सुशील मोदी
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि क्या बिना केंद्रीय मदद के राज्य के 2.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए? केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में बिहार को उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 1.02 लाख करोड़ की राशि मिलती है. क्या यह केंद्रीय सहायता नहीं है?केंद्र सरकार ने 8,500 करोड़ रुपये खर्च कर बरौनी खाद कारखाना का आधुनिकीकरण कर इसे फिर चालू कराया.
बीजेपी ने सीएम नीतीश को घेरा
आगे बीजेपी नेता ने कहा कि यदि विकास की चिंता होती तो नीतीश कुमार उनके साथ नहीं जाते, जिनके शासन में बरौनी सहित कई कारखाने बंद हुए, बेरोजगारी तेजी से बढ़ी और पलायन की नौबत आई. दरभंगा, बिहटा और पटना एयरपोर्ट का विस्तार क्या बिना केंद्रीय सहायता के संभव था?
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Source: IOCL





















