Bihar Jamin Survey: बिहार में जमीन अधिग्रहण और सर्वे को लेकर गाइडलाइन जारी, मिली बड़ी राहत, पढ़ें काम की खबर
Bihar Land Survey: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को ओर से नई गाइडलाइन जारी की गई है. इसके तहत जमीन मालिकों को बड़ी राहत मिलने वाली है. पढ़िए यह पूरी खबर.

Bihar News: केंद्र या राज्य सरकार की तरफ से नई योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण में होने वाले परेशानियां अब नहीं होंगी. बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से नई गाइडलाइन जारी की गई है. इसके तहत जमीन मालिकों को बड़ी राहत मिलने वाली है. नई गाइडलाइन से न सिर्फ जमीन मालिकों को सुविधा होगी बल्कि संबंधित विभाग को भी जमीन अधिग्रहण में आसानी होगी.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने राज्य के सभी प्रमंडल आयुक्त और सभी जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से निर्देश दिया है कि जो उचित प्रावधान है उसके तहत भविष्य में जमीन अधिग्रहण करके उस पर कार्रवाई करें. बीते 15 जनवरी को पत्र जारी किया गया है.
'पुराने खतियान पर मुआवजा देना उचित नहीं'
कहा गया है कि आम तौर पर देखा जाता है कि खतियान के आधार पर जमीन अधिग्रहण में दर निर्धारित की जाती है और सभी जमीन मालिकों के पास पुराने सर्वे का खतियान है जो 60 साल, 70 साल या किसी के पास 100 साल पुराना है. उसके आधार पर मुआवजा देना उचित नहीं है. यही वजह होती है कि जमीन अधिग्रहण में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.
उपाय बताया गया कि निबंधन विभाग के निर्देश में हर तीन वर्ष की अवधि पर जमीन का वर्गीकरण अपडेट करने का प्रावधान है. इसलिए अधिग्रहण की अधिसूचना से पहले निबंधन विभाग के प्रावधान के अनुसार जमीन की प्रकृति का निर्धारण किया जाए. क्योंकि जमीन दर का निर्धारण जमीन की प्राकृतिक आधार पर ही किया जाता है. पहले जिस भूमि की रूपरेखा कुछ और थी वह अब कुछ और हो गई है. ऐसे में खतियान पर सिर्फ दर निर्धारित करना उचित नहीं है.
निर्देश दिया गया है कि अधिग्रहित जमीन की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी भी हो और उसमें तिथि भी अंकित हो ताकि भविष्य में यह प्रमाण हो सके कि अधिग्रहण के बाद जमीन की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं किया गया है. फोटोग्राफी का खर्च भी जमीन अधिग्रहण करने वाले विभाग से ही लिया जाए. अधिग्रहित जमीन का रिकॉर्ड दो महीने के भीतर दुरुस्त कर लिया जाए.
निर्देशों का पालन होगा तो नहीं होगा विवाद
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने पत्र में लिखा है कि अक्सर जमीन अधिग्रहण में जो विवाद होते हैं वह दर निर्धारण के लिए ही होता है. दिए गए निर्देशों को अनुपालन करने पर विवाद समाप्त होगा. उन्होंने लिखा है कि निबंधन विभाग जमीन का न्यूनतम मूल्य निर्धारित करता है. यह राज्य में कई वर्षों से नहीं हुआ है. इसके लिए बताया गया कि सभी जिलाधिकारी को भूमि अर्जन की कार्रवाई के लिए जमीन के दर निर्धारण का अधिकार मिला हुआ है. वे बाजार मूल्य को पुनरीक्षित और अद्यतन करके आवश्यक कदम उठाएंगे. भू अर्जन के मामले में जिलाधिकारी इस अधिकार का उपयोग करें.
राज्य में अवितरित भूदान की जमीन का स्वामित्व राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नाम से दर्ज होगा. इससे पहले इस जमीन पर भूदान यज्ञ समिति का को स्वामित्व होता था .अभी यह समिति विघटित है .इस अवधि में भूदान यज्ञ समिति का अधिकार राजस्व परिषद को दिया गया है. इसी के तहत भूदान की अवतरित जमीन का स्वामित्व राजस्व एवं भूमि सुधार को दिया जा रहा है.
अंचलाधिकारी को मिला अधिकार
इसके साथ ही राजस्व भूमि सुधार विभाग ने डिजिटाइजेशन के क्रम में लॉक जमाबंदी को अनलॉक करने का अधिकार अब अंचलाधिकारी को दे दिया है. पहले अधिकार भूमि सुधार उप समाहर्ता (डीसीएलआर) के पास था. लेकिन समीक्षा क्रम में पाया गया कि यह व्यवस्था प्रभावी नहीं है. नई व्यवस्था के तहत लॉक जमाबंदी में सरकारी जमीन शामिल होने पर अभिलेख का संधारण करते हुए अंचलाधिकारी जांच करेंगे. गलत जमाबंदी पाए जाने पर उसे रद्द करने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
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Source: IOCL






















