गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी-तेजस्वी यादव पर लगाया ध्रुवीकरण का आरोप, 'झटका मीट' की अपील की
Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस और आरजेडी पर धार्मिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया है.

बिहार में जैसे जैसे चुनाव कि तारीख़ नज़दीक आ रही है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की ‘वोट बचाओ यात्रा’ पर सीधा हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी की यात्रा में मुस्लिम समुदाय की बड़ी भागीदारी साफ इशारा है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे हैं.
गिरिराज सिंह ने कहा कि एक तरफ राहुल गांधी और तेजस्वी यादव 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने पर सवाल खड़े करते हैं, जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस खुद 89 लाख लोगों के नाम कटवाने की मांग कर रही है. उन्होंने दावा किया कि जिनके नाम कटवाने की बात कांग्रेस कर रही है, उनमें बड़ी संख्या में हिन्दू समुदाय के लोग हैं जबकि बांग्लादेशी और रोहिंग्या के नाम जुड़वाने की कोशिश कि जा रही है.
गिरिराज सिंह ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा, “कांग्रेस 89 लाख हिंदुओं के वोट कटवाना चाहती है, क्योंकि उसका मकसद हर हाल में हिंदू वोटों को कमजोर करना है.”
'झटका मीट ही अपनाएं'
हालांकि, गिरिराज सिंह का एक और बयान सामने आया जिसको लेकर विवाद खड़ा हो सकता है, यह बयान झटका मीट को लेकर है. उन्होंने कहा कि मीट का मसला भी सनातन धर्म से गहराई से जुड़ा है. उनके मुताबिक, हिंदू परंपरा में बलि के समय झटका मीट का प्रचलन है, जिसमें जानवर को बलि देकर एक झटके में मारा जाता है. जबकि मुस्लिम समुदाय का तरीका अलग है, जिसमें जानवर को धीरे-धीरे काटा जाता है. उन्होंने हिंदुओं से अपील की कि वे केवल झटका मीट ही खाएं. “मुसलमानों को जो खाना है खाएं, लेकिन हिंदू अपने धर्म और परंपरा का पालन करते हुए झटका मीट ही अपनाएं”.
धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा फिर हो गया है खड़ा
गिरिराज सिंह के इन बयानों से बिहार की सियासत में धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा फिर खड़ा हो गया है. विपक्ष बीजेपी पर हिंदू मुसलमान और ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगता रहा ह, जबकि बीजेपी समर्थक इसे सनातन परंपरा की रक्षा का सवाल बता रहे हैं. कुल मिलाकर गिरिराज सिंह के इस बयान को लेकर आने वाले दिनों में राजनीति और तेज होती नजर आ सकती है और बिहार चुनावों से पहले ध्रुवीकरण की राजनीति एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बन सकता है.
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Source: IOCL
























