बिहार चुनाव का असर राज्यसभा तक, 5 साल में सूपड़ा साफ? अभी से बढ़ी तेजस्वी यादव की टेंशन!
Bihar Election 2025: 2030 तक RJD के राज्यसभा में शून्य होने की संभावना बढ़ गई है. 2026 और 2028 में होने वाले चुनावों में NDA को बढ़त मिलने से RJD अपनी सभी सीटें खो सकता है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने जहां एनडीए को भारी बहुमत दिया है, वहीं आरजेडी के लिए यह सिर्फ विधानसभा की हार नहीं, बल्कि एक बड़ी संसदीय चुनौतियों का संकेत भी है. ताजा समीकरणों के अनुसार, 2030 तक आरजेडी का राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं बच सकता और यह स्थिति पार्टी के 30 साल के इतिहास में पहली बार बन रही है.
वर्तमान में आरजेडी के 5 राज्यसभा सांसद प्रेम चंद गुप्ता (दल के नेता), ए. डी. सिंह, फैज अहमद, मनोज झा और संजय यादव हैं. लेकिन इनके कार्यकाल अलग-अलग वर्षों में समाप्त हो रहे हैं.
2026 में दो सांसद होंगे रिटायर
वर्ष 2026 में दो सांसद प्रेम चंद गुप्ता और ए.डी सिंह रिटायर होंगे. इनकी जगह होने वाले चुनाव में आरजेडी के पास पर्याप्त विधायक नहीं होंगे, कि वह एक भी सीट बचा सके. यहां तक कि अगर AIMIM (जिसके पास इस बार 5 MLA हैं) का समर्थन भी मिल जाए, तब भी समीकरण एनडीए के पक्ष में ही रहेगा.
2028 में तीन और सीटें होंगी खाली
वर्ष 2028 में तीन एनडीए सांसद (बीजेपी और जेडीयू) की सीटें खाली होंगी. इन पांच सीटों पर भी विधानसभा की मौजूदा संरचना के आधार पर सभी सीटें एनडीए ही जीतेगा. आरजेडी के पास आवश्यक संख्या नहीं है.
2030 में मनोज झा और संजय यादव का कार्यकाल पूरा होगा
इस साल जो चुनाव होंगे, उनमें भी आरजेडी के पास अपनी किसी एक सीट को बचाने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या नहीं होगी. AIMIM का समर्थन मिलने पर एक सीट बच सकती है, लेकिन राजनीति में छोटे दल वक्त की परिस्थितियों और अपने हितों के अनुसार निर्णय लेते हैं. ऐसे में AIMIM का साथ मिलना भी बेहद अनिश्चित माना जा रहा है
एनडीए का बिहार में हुआ दबदबा
2025 के परिणामों में एनडीए की 200 से अधिक सीटों की मजबूती ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि आने वाले राज्यसभा चुनावों में भी वही निर्णायक भूमिका निभाएगा. आरजेडी के पास इतनी कम सीटें हैं कि वह किसी भी स्थिति में राज्यसभा में अपनी मौजूदगी कायम नहीं रख पाएगी.
2020 से 2025 तक की गिरावट ने बढ़ाया खतरा
2020 में सबसे बड़ी पार्टी बनने वाली आरजेडी 2025 में सिर्फ 25 सीटों तक सिमट गई है. यही विधानसभा में संख्या का गिरना राज्यसभा में उसके भविष्य को लगभग खत्म कर रहा है.
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