एक्सप्लोरर

बिहार में लालू यादव के साए से बाहर निकलना चाहती है कांग्रेस? कैबिनेट विस्तार को लेकर मचे घमासान की इनसाइड स्टोरी

1998 से लालू यादव के साथ मिलकर कांग्रेस लोकसभा का चुनाव लड़ रही है. बावजूद पार्टी का परफॉर्मेंस लगातार गिरा है. कांग्रेस कैबिनेट विस्तार में बवाल मचा कर एक तीर से कई निशान साधने की कोशिश में है.

बिहार में नीतीश सरकार के कैबिनेट विस्तार को लेकर कांग्रेस और आरजेडी में लड़ाई छिड़ गई है. कांग्रेस की हिस्सेदारी वाली मांग पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा है कि पहले कांग्रेस मंत्रियों की लिस्ट लेकर आएं, फिर बात की जाएगी.

तेजस्वी के इस बयान पर बिहार कांग्रेस के मुखिया अखिलेश प्रसाद सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. सिंह ने कहा कि नीतीश कैबिनेट का विस्तार होना है, ना कि तेजस्वी कैबिनेट का. बिहार सरकार में कांग्रेस कोटे से अभी अफाक आलम और मुरारी गौतम मंत्री हैं. 

हालिया विवाद कब और कैसे शुरू हुआ?
अगस्त 2022 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर महागठबंधन की सात पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई. सरकार में नीतीश-तेजस्वी समेत 31 मंत्री बनाए गए. इनमें राजद से 17, जेडीयू से 12, कांग्रेस से 2 और हम-निर्दलीय कोटे से एक-एक मंत्री बनाए गए. 

कांग्रेस ने यहीं से विद्रोह का बिगुल फूंक दिया. पार्टी का तर्क था कि 80 सीटों वाली राजद को 17 पद और 19 सीटें वाली कांग्रेस को सिर्फ 2 पद दिए गए हैं. सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों को भी कमजोर विभाग दिया गया. उस वक्त गुलाम नबी आजाद जैसे दिग्गज नेताओं ने भी इसको लेकर सवाल उठाए.

विवाद बढ़ा तो कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने ऐलान कर दिया कि कांग्रेस कोटे से 2 और मंत्री अगले विस्तार में बनाए जाएंगे. जनवरी में जब विस्तार की सुगबुगाहट तेज हो गई तो कांग्रेस ने 2 पद की मांग कर दी, जिसे नीतीश कुमार ने तेजस्वी से सुलझाने के लिए कह दिया. 

कांग्रेस की मांग- 5 विधायक पर हो एक मंत्री
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में महागठबंधन के पास अभी 145 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. कांग्रेस का तर्क है कि बिहार में नियमानुसार 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. ऐसे में 5 विधायक पर एक मंत्री पद का फॉर्मूला आसानी से लागू किया जा सकता है, जिससे आनुपातिक हिस्सेदारी पूरा हो सकता है.

इस हिसाब से राजद को 16, जदयू को 9 और कांग्रेस को 5 मंत्री पद मिलेंगे. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि महागठबंधन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद उसके पास कोई महत्वपूर्ण और बड़ा विभाग नहीं है. कांग्रेस आरजेडी को झारखंड का भी उदाहरण देती है, जहां आरजेडी के एक विधायक को ही सरकार में मंत्री बना दिया गया. 

एक से ज्यादा पद देने को तैयार नहीं आरजेडी
दिल्ली में पिता लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर पटना लौटे तेजस्वी यादव ने कहा कि कैबिनेट विस्तार में कांग्रेस को एक सीट देने की बात हुई थी. उन्होंने कहा कि सरकार में 4 पार्टियां शामिल है. बाकी के 3 पार्टियां अपनी मर्जी से सरकार में शामिल नहीं हुई हैं.

तेजस्वी के बयान के बाद साफ माना जा रहा है कि वो कांग्रेस को कैबिनेट में एक से ज्यादा मंत्री पद नहीं देना चाहती है. ऐसे में इस स्टोरी में जानते हैं कि किन वजहों से कैबिनेट विस्तार को लेकर राजद और कांग्रेस में घमासान मचा है?

पहले 2 बयान को पढ़िए...

लालू यादव और उनके परिजन अपने सहयोगी दलों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करते हैं. लालू यादव कभी भी कांग्रेस के प्रति ईमानदार नहीं रहे हैं. आरजेडी को मुस्लिम वोट खिसकने का डर हमेशा रहता है. अफसोस की बात है कि कांग्रेस भी लालू के साए से बाहर नहीं निकलना चाहती है. (2018 में कांग्रेस छोड़ते वक्त कद्दावर नेता अशोक चौधरी)

कांग्रेस के पास अब वोट ही नहीं है. बिहार चुनाव में ज्यादा सीटें ले ली और हार गई. 2020 के चुनाव में आरजेडी नहीं बल्कि कांग्रेस हारी. भविष्य में गठबंधन का क्या होगा, ये तो भविष्य में ही तय करेंगे. (2022 में एक इंटरव्यू के दौरान लालू यादव)

आरजेडी के साए से बाहर निकलना चाहती है कांग्रेस?
1998 में सीताराम केसरी के समय कांग्रेस ने आरजेडी के साथ मिलकर लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस को 4 सीटों पर आरजेडी को 17 सीटों पर जीत मिली थी. भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 

उसके बाद कांग्रेस 7 चुनाव आरजेडी के साथ मिलकर लड़ी है. आरजेडी जैसे बड़े सहयोगी दल होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में लगातार कांग्रेस का ग्राफ गिरा है. 1999 में कांग्रेस को दो, 2004 में 3, 2014 में 2 और 2019 में 1 लोकसभा सीटों पर जीत मिली. 

एक ओर कांग्रेस की सीटें घट रही है, तो दूसरी ओर आरजेडी भी बंटवारे के दौरान उसकी की सीटों में कटौती कर दे रही है. 2014 में कांग्रेस बिहार में 12 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि 2019 में यह संख्या घटकर 9 पर पहुंच गई.

कैबिनेट विस्तार को लेकर हो रही कहासुनी के पीछे भी सबसे बड़ी वजह 2024 चुनाव ही है. कांग्रेस की कोशिश है कि प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए अधिक से अधिक सीटों पर दावा ठोक दें. साथ ही उन समीकरण को भी मजबूत करें, जिसकी बदौलत कभी कांग्रेस बिहार की सत्ता में थी. 

कलह क्यों, इनसइड स्टोरी..

1. अधिक सीटों की दावेदारी भांप गई है आरजेडी- कांग्रेस अगर अधिक सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ती है, तो चुनाव बाद तीसरे मोर्चे की संभावनाएं लगभग खत्म हो जाएगी. बिहार के सियासी गलियारों में आरजेडी और जेडीयू के बीच एक 'खास डील' की भी चर्चा होती है. इसके मुताबिक आरजेडी नीतीश कुमार को दिल्ली पहुंचाना चाहती है. बदले में जेडीयू तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचाएगी. 

इस कथित डील को पूरा करने के लिए कई बार तेजस्वी यादव कांग्रेस से क्षेत्रीय दलों को ड्राइविंग सीट देने की मांग कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस उनकी इस रणनीति पर पानी फेरने की कोशिश में है. 

आरजेडी और जेडीयू के कथित डील को नाकाम करने के लिए कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि अधिक से अधिक सीटों की मांग रख कर चुनाव बाद बनने वाले तीसरे मोर्चे पर लगाम कसा जाए. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी बेगूसराय, किशनगंज, बेतिया, समस्तीपुर, सासाराम, कटिहार, सुपौल, औरंगाबाद, मधुबनी और गोपालगंज सीट पर चुनावी तैयारी शुरू कर दी है. 

कांग्रेस की इस रणनीति को आरजेडी भांप गई है. अगर ऐसा करने में कांग्रेस सफल होती है, तो इसका सीधा नुकसान आरजेडी को उठाना पड़ सकता है. 

2. दलित और मुस्लिम समीकरण को मजबूती- अगस्त में जब बिहार कैबिनेट का विस्तार हुआ तो कांग्रेस ने सारे कयास को धत्ता बताते हुए दलित मुरारी गौतम और मुसलमान अफाक आलम को कैबिनेट मंत्री बनवा दिया. इसके पीछे की रणनीति पार्टी के दलित और मुस्लिम समीकरण को मजबूत करने तौर पर देखा गया. 

कांग्रेस की इस रणनीति ने आरजेडी की ही टेंशन बढ़ा दी. पार्टी को उम्मीद थी कि 2015 की तरह कांग्रेस अगड़े को आगे कर बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगाएगी, लेकिन कांग्रेस ने पुराने रणनीति को अपनाते हुए नया दांव चल दिया है. बिहार में सीमांचल और मिथिलांचल के करीब 10 सीटों पर मुसलमान प्रभावी हैं. 

इन इलाकों में आरजेडी मजबूत स्थिति में है. ऐसे में कांग्रेस अल्पसंख्यक वोटों के सहारे खुद मजबूत हो गई तो राजद को भविष्य में नुकसान हो सकता है. राजद हाईकमान ऐसा कभी नहीं चाहेगा.

3. नेताओं का पलायन रोकना भी वजह - पिछले 10 सालों में बिहार कांग्रेस के कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. इनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महबूब अली कैसर, अशोक चौधरी, दिलीप चौधरी, अमिता भूषण जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं. अधिकांश नेता जाते-जाते लालू परिवार और कांग्रेस के गठबंधन को ही जिम्मेदार ठहरा चुके हैं.

ऐसे में अब कांग्रेस आरजेडी के मुकाबले कमजोर नहीं दिखना चाहती है, जिससे संगठन से और नेताओं का पलायन शुरू हो. यही वजह है कि कांग्रेस मजबूती से अपनी हिस्सेदारी मांग रही है.

कांग्रेस जमीन पर दिखावे की लड़ाई शुरू कर दी है. पार्टी के नेता हाथ से हाथ जोड़ो मिशन के तहत बिहार में अब तक 1000 किमी की पैदल यात्रा भी कर चुके हैं. 

बयान की वजह से जब टूट गया था गठबंधन
2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बिहार की कमान दिग्विजय सिंह को सौंपी. आरजेडी ने इसी बीच ऐलान कर दिया कि बिहार में कांग्रेस को सिर्फ जीती हुई सीटें यानी की 3 सीट ही देंगे. दिग्विजय जब लालू यादव से इसको लेकर बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने मीडिया में बड़ा बयान दे दिया. लालू यादव ने कहा कि कांग्रेस के मुंशी और मैनेजर से सीटों पर बात नहीं करेंगे. 

कांग्रेस ने इसके बाद 37 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया. कांग्रेस और आरजेडी-एलजेपी के अलग-अलग लड़ने का फायदा एनडीए को हुआ. 2009 में 13 सीटें ऐसी थी, जहां आरजेडी और कांग्रेस के अलग लड़ने से एनडीए को जीत मिली. 2009 में एनडीए को 32, आरजेडी को 4, कांग्रेस को 2 और निर्दलीय को 2 सीटों पर जीत मिली थी.

गठबंधन टूटने का नुकसान सबसे ज्यादा राजद को ही हुआ. कांग्रेस की केंद्र में तो सरकार बन गई, लेकिन लालू फिर मंत्री बनने से चूक गए. हालांकि, उन्होंने बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर दिया.

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी की लंदन में बेइज्जती! पुलिस ने कार की ली तलाशी, जानें क्या है मामला
पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी की लंदन में बेइज्जती! पुलिस ने कार की ली तलाशी, जानें क्या है मामला
कोडीन कफ सिरप मामले में एक्शन में योगी सरकार, SIT गठित, ये 3 अफसर करेंगे जांच
कोडीन कफ सिरप मामले में एक्शन में योगी सरकार, SIT गठित, ये 3 अफसर करेंगे जांच
जम्मू-कश्मीर के आकिब नबी से यूपी के आकिब खान तक, 5 अनकैप्ड तेज गेंदबाज जो IPL ऑक्शन में बन सकते हैं करोड़पति
जम्मू-कश्मीर के आकिब नबी से यूपी के आकिब खान तक, 5 अनकैप्ड तेज गेंदबाज जो IPL ऑक्शन में बन सकते हैं करोड़पति
Tere Ishk Mein Box Office Collection Day 12: 'तेरे इश्क में' ने वसूला बजट, फिर भी हिट होने के लिए कमाने होंगे इतने करोड़
'तेरे इश्क में' ने वसूला बजट, फिर भी हिट होने के लिए कमाने होंगे इतने करोड़

वीडियोज

UP Election 2027: सदन में अखिलेश..27 पर फोकस विशेष | CM Yogi | Akhilesh| Bharat Ki Baat with Pratima
Sandeep Chaudhary: वोट चोरी विवाद बढ़ा… चुनाव आयोग पर उठ रहे बड़े सवाल! | Seedha Sawal | ABP News
ABP Report: इंडिगो कोहराम का असली सच! | Indigo Flight Crisis | Viral Video | ABP News
Parliament Vande Mataram Debate: राष्ट्रगीत वाले विवाद का असली विलेन कौन? | Mahadangal
Goa Night Club fire Case: अग्निकांड के विलेन, बड़ा खुलासा...बड़ा एक्शन |ABP News | Khabar Gawah Hai

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी की लंदन में बेइज्जती! पुलिस ने कार की ली तलाशी, जानें क्या है मामला
पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी की लंदन में बेइज्जती! पुलिस ने कार की ली तलाशी, जानें क्या है मामला
कोडीन कफ सिरप मामले में एक्शन में योगी सरकार, SIT गठित, ये 3 अफसर करेंगे जांच
कोडीन कफ सिरप मामले में एक्शन में योगी सरकार, SIT गठित, ये 3 अफसर करेंगे जांच
जम्मू-कश्मीर के आकिब नबी से यूपी के आकिब खान तक, 5 अनकैप्ड तेज गेंदबाज जो IPL ऑक्शन में बन सकते हैं करोड़पति
जम्मू-कश्मीर के आकिब नबी से यूपी के आकिब खान तक, 5 अनकैप्ड तेज गेंदबाज जो IPL ऑक्शन में बन सकते हैं करोड़पति
Tere Ishk Mein Box Office Collection Day 12: 'तेरे इश्क में' ने वसूला बजट, फिर भी हिट होने के लिए कमाने होंगे इतने करोड़
'तेरे इश्क में' ने वसूला बजट, फिर भी हिट होने के लिए कमाने होंगे इतने करोड़
RTI से वेतन और पेंशन वाले 'खुलासे' पर उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, 'प्रावधान भी यही है कि…'
RTI से वेतन और पेंशन वाले 'खुलासे' पर उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, 'प्रावधान भी यही है कि…'
Dhurandhar OTT Release: ओटीटी पर कहां रिलीज होगी धुरंधर, धुरंधर की ओटीटी रिलीज डेट और धुरंधर की ओटीटी डील
ओटीटी पर कहां रिलीज होगी धुरंधर, धुरंधर की ओटीटी रिलीज डेट और धुरंधर की ओटीटी डील
Mobile Call Process: मोबाइल पर कैसे आता है किसी का फोन? टॉवर से लेकर हेलो तक, जाने पूरी जर्नी
मोबाइल पर कैसे आता है किसी का फोन? टॉवर से लेकर हेलो तक, जाने पूरी जर्नी
Kidney Disease Skin Signs: ड्राई या इची हो रही स्किन तो तुरंत भागें डॉक्टर के पास, वरना डैमेज हो जाएगी आपकी किडनी
ड्राई या इची हो रही स्किन तो तुरंत भागें डॉक्टर के पास, वरना डैमेज हो जाएगी आपकी किडनी
Embed widget