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सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं मिलेगा घर पर मालिकाना हक, बदल गए नियम
Property Registry Rule: अब सिर्फ रजिस्ट्री से ही किसी प्रॉपर्टी पर आपका मालिकाना हक तय नहीं होगा. जानें किन प्रॉपर्टी आपकी है साबित करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की होगी जरूरत.
घर खरीदना हर इंसान का सपना होता है. लोग सालों की कमाई जोड़कर एक छोटा-सा आशियाना लेते हैं. घर खरीदने के लिए एक पूरी प्रक्रिया से गुजरना होता है. जिसमें कई जरूरी दस्तावेज भी शामिल होते हैं. कई लोगों का मानना होता है कि रजिस्ट्री होते ही प्रॉपर्टी पर उनका मालिकाना हक मिल जाता है. लेकिन क्या वाकई रजिस्ट्री होने से ही घर आपका हो जाता है. तो आपको बता दें कि इसको लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक सिर्फ रजिस्ट्री से ही किसी प्रॉपर्टी पर आपका मालिकाना हक तय नहीं होगा. अगर किसी प्रॉपर्टी की पहली खरीद ही अनरजिस्टर्ड सेल एग्रीमेंट के तहत हुई है, तो उस पर की गई आगे की रजिस्टर्ड डील्स को लीगल ओनरशिप नहीं माना जाएगा. सरल शब्दों में कहें तो अगर आपने किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवा भी ली है, तो सिर्फ इसी आधार पर आप उसके मालिक नहीं कहलाएंगे. उस प्रॉपर्टी को अपनी बताने के लिए आपके पास अन्य जरूरी दस्तावेज और ठोस सबूत भी होने चाहिए. किसी भी प्रॉपर्टी पर अपना ओनरशिप साबित करने के लिए आपके पास सेल डीड, टाइटल डीड, एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, म्युटेशन सर्टिफिकेट, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें, पजेशन लेटर, अलॉटमेंट लेटर, सक्सेशन सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज होना जरूरी है. हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि रजिस्ट्री एक गैर जरूरी दस्तावेज बन जाती है. रजिस्ट्री यह साबित करती है कि प्रॉपर्टी का लेन-देन ऑफिशियल तरीके से हुआ है. यदि बाद में कोई कानूनी विवाद होता है, तो यह दस्तावेज आपके पक्ष में काम आता है. इसके अलावा अगर भविष्य में आपकी प्रॉपर्टी पर कोई फर्जी दावा करता है, तो रजिस्ट्री उस स्थिति में भी आपके लिए सहायक साबित होती है. लेकिन सिर्फ इसके आधार पर मालिकाना हक साबित नहीं किया जा सकता. आपके पास बाकी जरूरी दस्तावेज भी होने चाहिए. इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें.
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कई लोगों का मानना होता है कि रजिस्ट्री होते ही प्रॉपर्टी पर उनका मालिकाना हक मिल जाता है. लेकिन क्या वाकई रजिस्ट्री होने से ही घर आपका हो जाता है. तो आपको बता दें कि इसको लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है.
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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक सिर्फ रजिस्ट्री से ही किसी प्रॉपर्टी पर आपका मालिकाना हक तय नहीं होगा. अगर किसी प्रॉपर्टी की पहली खरीद ही अनरजिस्टर्ड सेल एग्रीमेंट के तहत हुई है. तो उस पर की गई आगे की रजिस्टर्ड डील्स को लीगल ओनरशिप नहीं माना जाएगा.
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सरल शब्दों में कहें तो अगर आपने किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवा भी ली है. तो सिर्फ इसी आधार पर आप उसके मालिक नहीं कहलाएंगे. उस प्रॉपर्टी को अपनी बताने के लिए आपके पास अन्य जरूरी दस्तावेज और ठोस सबूत भी होने चाहिए.
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किसी भी प्रॉपर्टी पर अपना ओनरशिप साबित करने के लिए आपके पास सेल डीड, टाइटल डीड, एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, म्युटेशन सर्टिफिकेट, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें, पजेशन लेटर, अलॉटमेंट लेटर, सक्सेशन सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज होना जरूरी है.
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हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि रजिस्ट्री एक गैर जरूरी दस्तावेज बन जाती है. रजिस्ट्री यह साबित करती है कि प्रॉपर्टी का लेन-देन ऑफिशियल तरीके से हुआ है. यदि बाद में कोई कानूनी विवाद होता है. तो यह दस्तावेज आपके हक में काम आता है.
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इसके अलावा अगर भविष्य में आपकी प्रॉपर्टी पर कोई फर्जी दावा करता है, तो रजिस्ट्री उस स्थिति में भी आपके लिए सहायक साबित होती है. लेकिन सिर्फ इसके आधार पर मालिकाना हक साबित नहीं किया जा सकता. आपके पास बाकी जरूरी दस्तावेज भी होने चाहिए. इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें.
Published at : 27 Jun 2025 12:43 PM (IST)
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