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क्या होता है गोल्डन आवर? ऑनलाइन फ्रॉड के बाद शिकायत दर्ज कराना पड़ सकता है भारी, जानें क्या है नियम
Online Fraud: आजकल ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और डिजिटल पेमेंट का चलन जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उतना ही तेजी से साइबर अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं.
आजकल ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और डिजिटल पेमेंट का चलन जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उतना ही तेजी से साइबर अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं. लोग एक क्लिक में पैसे भेजते हैं, बिल भरते हैं और खरीदारी करते हैं लेकिन कई बार इसी सुविधा के नाम पर फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में एक बेहद अहम शब्द सामने आता है "गोल्डन आवर" (Golden Hour).
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गोल्डन आवर का मतलब होता है वो शुरुआती समय जब कोई ऑनलाइन फ्रॉड हुआ है और अगर उसी समय पर सही कदम उठाए जाएं, तो आपका पैसा वापस मिल सकता है या फिर नुकसान को रोका जा सकता है. "गोल्डन आवर" आमतौर पर पहले एक से दो घंटे का समय माना जाता है, जब आप किसी साइबर फ्रॉड की जानकारी तुरंत संबंधित बैंक, साइबर सेल या हेल्पलाइन को देते हैं.
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यही समय ऐसा होता है जब पैसा ट्रांजेक्शन चैनल में होता है यानी वह फ्रॉड करने वाले के हाथ में पूरी तरह से नहीं पहुंचा होता. इस समय पर की गई कार्रवाई से उस ट्रांजेक्शन को रोका जा सकता है या पैसे को फ्रीज़ किया जा सकता है.
Published at : 23 Jun 2025 03:42 PM (IST)
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