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लोकसभा चुनाव परिणाम 2024

UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

Kanataka Election 2018: आज़ादी से अब तक कर्नाटक की सत्ता और मुख्यमंत्रियों की पूरी कहानी

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कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. 224 सीटों में से 222 पर हुए चुनाव में से 104 पर बीजेपी, 78 पर कांग्रेस, 38 जेडीएस गठबंधन ने बाजी मारी है. अन्य के खाते में 2 सीटें गई हैं. कोई भी पार्टी बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई है. अब तक साफ नहीं है कि सूबे का अगला सीएम कौन होगा. लेकिन ऐसे मौके पर हम इतिहास के पन्ने को पलट सकते हैं. इसी सिलसिले में आज हम आपको कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों की कहानी बताने जा रहे हैं. अब तक कर्नाटक में 22 मुख्यमंत्रियों का शासन रहा है.
कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. 224 सीटों में से 222 पर हुए चुनाव में से 104 पर बीजेपी, 78 पर कांग्रेस, 38 जेडीएस गठबंधन ने बाजी मारी है. अन्य के खाते में 2 सीटें गई हैं. कोई भी पार्टी बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई है. अब तक साफ नहीं है कि सूबे का अगला सीएम कौन होगा. लेकिन ऐसे मौके पर हम इतिहास के पन्ने को पलट सकते हैं. इसी सिलसिले में आज हम आपको कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों की कहानी बताने जा रहे हैं. अब तक कर्नाटक में 22 मुख्यमंत्रियों का शासन रहा है.
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9 अक्टूबर 2007 से 11 नवंबर 2007 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा. राष्ट्रपति शासन के हटते ही साल 2008 में 13वें असेंबली इलेक्शन हुए और देश की सत्ता से दूर हुई बीजेपी ने दक्षिण भारत में पहली बार कमल खिलाकर अपनी बड़ती शख्सियत का संदेश दे दिया. साल 2008 में हुए चुनावों में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई. बीजेपी ने जातीय दांव खेलते हुए बीएस येदुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने में कोई देर नहीं की और सत्ता का समीकरण सही दिखा में बैठा दिया. लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते येदुरप्पा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. 3 साल 62 दिन के बाद उन्हें अपने पद को छोड़ना पड़ा. येदुरप्पा के हटने के बाद बीजेपी ने 2011 में पार्टी के वरिष्ठ नेता सदानंद गौड़ा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. उनका यह कार्यकाल 343 दिन का रहा. लेकिन दबाव के चलते जल्दी ही उन्हें भी अपना तख्त-ओ-ताज खोना पड़ा. सदानंद गौड़ा के स्थान बीजेपी ने जगदीश शेट्टार को सीएम पद सौंपा.
9 अक्टूबर 2007 से 11 नवंबर 2007 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा. राष्ट्रपति शासन के हटते ही साल 2008 में 13वें असेंबली इलेक्शन हुए और देश की सत्ता से दूर हुई बीजेपी ने दक्षिण भारत में पहली बार कमल खिलाकर अपनी बड़ती शख्सियत का संदेश दे दिया. साल 2008 में हुए चुनावों में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई. बीजेपी ने जातीय दांव खेलते हुए बीएस येदुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने में कोई देर नहीं की और सत्ता का समीकरण सही दिखा में बैठा दिया. लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते येदुरप्पा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. 3 साल 62 दिन के बाद उन्हें अपने पद को छोड़ना पड़ा. येदुरप्पा के हटने के बाद बीजेपी ने 2011 में पार्टी के वरिष्ठ नेता सदानंद गौड़ा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. उनका यह कार्यकाल 343 दिन का रहा. लेकिन दबाव के चलते जल्दी ही उन्हें भी अपना तख्त-ओ-ताज खोना पड़ा. सदानंद गौड़ा के स्थान बीजेपी ने जगदीश शेट्टार को सीएम पद सौंपा.
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आज कर्नाटक में हुए 222 सीटों के चुनाव के नतीजे आ गए हैं. रुझानों से साफ है कि कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा. इसी सिलसिले में आज हम आपको कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों की कहानी बताने जा रहे हैं. अब तक कर्नाटक में 22 मुख्यमंत्रियों का शासन रहा है और आज के नतीजों के बाद कर्नाटक को नया किंग मिल जाएगा.
आज कर्नाटक में हुए 222 सीटों के चुनाव के नतीजे आ गए हैं. रुझानों से साफ है कि कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा. इसी सिलसिले में आज हम आपको कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों की कहानी बताने जा रहे हैं. अब तक कर्नाटक में 22 मुख्यमंत्रियों का शासन रहा है और आज के नतीजों के बाद कर्नाटक को नया किंग मिल जाएगा.
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 लेकिन लगातार हो रही उथल-पुथल की वजह से साल 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी हो गई. खासकर तब जब पार्टी के कद्दावर नेता और लिंगायत जाति के वोटों पर खासी पकड़ रखने वाले येदुरप्पा ने पार्टी छोड़ी दी और एक अलग दल बना लिया और उन्होंने पार्टी का नाम रखा गया कर्नाटक जनता पक्ष. लेकिन उनकी पार्टी 2013 के आम चुनावों में कुछ भी खास नहीं कर सकी. बता दें कि 14वें विधानसभा के लिए 2013 में चुनाव हुए थे. राज्य में जनता बीजेपी से त्रस्त हो गई थी जिसके कारण साल 2013 में कांग्रेस को जीत मिली. इस चुनाव में कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम बनाया. जिन्होंने 2013 से 2018 तक अपना कार्यकाल पूरा किया. लेकिन 15वीं विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही. 104 सीटों के साथ बीजेपी पहले स्थान पर है वहीं जेडीएस तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. अभी सरकार बनाने के लिए सस्पेंस बना हुआ क्योंकि राज्यपाल के पास दोनों ही पार्टियों ने अपना-अपना दावा किया है. अब देखने वाली बात है कि किस पार्टी की सरकार बनती है.
लेकिन लगातार हो रही उथल-पुथल की वजह से साल 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी हो गई. खासकर तब जब पार्टी के कद्दावर नेता और लिंगायत जाति के वोटों पर खासी पकड़ रखने वाले येदुरप्पा ने पार्टी छोड़ी दी और एक अलग दल बना लिया और उन्होंने पार्टी का नाम रखा गया कर्नाटक जनता पक्ष. लेकिन उनकी पार्टी 2013 के आम चुनावों में कुछ भी खास नहीं कर सकी. बता दें कि 14वें विधानसभा के लिए 2013 में चुनाव हुए थे. राज्य में जनता बीजेपी से त्रस्त हो गई थी जिसके कारण साल 2013 में कांग्रेस को जीत मिली. इस चुनाव में कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम बनाया. जिन्होंने 2013 से 2018 तक अपना कार्यकाल पूरा किया. लेकिन 15वीं विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही. 104 सीटों के साथ बीजेपी पहले स्थान पर है वहीं जेडीएस तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. अभी सरकार बनाने के लिए सस्पेंस बना हुआ क्योंकि राज्यपाल के पास दोनों ही पार्टियों ने अपना-अपना दावा किया है. अब देखने वाली बात है कि किस पार्टी की सरकार बनती है.
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10वीं विधानसभा के बाद 11वें असेंबली इलेक्शन में एक बार फिर से कांग्रेस ने धमाकेदार वापसी की. लेकिन इस बार वीरप्पा मोइली की जगह मुद्दूर से आने वाले एस. एम. कृष्णा को को सीएम बनाया गया. उनका यह कार्यकाल 4 साल 230 दिन का रहा. इसके बाद साल 2004 में 12वीं विधानसभा के चुनावों में फिर कांग्रेस ने परचन लहराया. इस बार राज्य के सीएम बने धर्म सिंह. लेकिन ये सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 2006 की शुरूआत में ही ये सरकार गिर गई. बहुमत ना होने की वजह से गिरी कांग्रेस की सरकार के बाद जेडीएस ने अपना दम दिखाया और जोड़-तोड़ कर सत्ता कुर्सी हासिल कर ली. सत्ता चाबी मिलते ही पूर्व पीएम एचडी डेवेगौड़ा ने अपने बेटे एचडी कुमारसामी को राज्य का प्रभार सौंप दिया. कुमारसामी ने 3 फरवरी 2006 को पद संभाला. खास बात यह रही कि वो सिर्फ 1 साल 253 दिन का कार्यकाल ही पूरा कर पाएं और किसी के पास भी पूर्ण बहुमत नहीं होने की वजह से कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.
10वीं विधानसभा के बाद 11वें असेंबली इलेक्शन में एक बार फिर से कांग्रेस ने धमाकेदार वापसी की. लेकिन इस बार वीरप्पा मोइली की जगह मुद्दूर से आने वाले एस. एम. कृष्णा को को सीएम बनाया गया. उनका यह कार्यकाल 4 साल 230 दिन का रहा. इसके बाद साल 2004 में 12वीं विधानसभा के चुनावों में फिर कांग्रेस ने परचन लहराया. इस बार राज्य के सीएम बने धर्म सिंह. लेकिन ये सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 2006 की शुरूआत में ही ये सरकार गिर गई. बहुमत ना होने की वजह से गिरी कांग्रेस की सरकार के बाद जेडीएस ने अपना दम दिखाया और जोड़-तोड़ कर सत्ता कुर्सी हासिल कर ली. सत्ता चाबी मिलते ही पूर्व पीएम एचडी डेवेगौड़ा ने अपने बेटे एचडी कुमारसामी को राज्य का प्रभार सौंप दिया. कुमारसामी ने 3 फरवरी 2006 को पद संभाला. खास बात यह रही कि वो सिर्फ 1 साल 253 दिन का कार्यकाल ही पूरा कर पाएं और किसी के पास भी पूर्ण बहुमत नहीं होने की वजह से कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.
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नौवीं विधानसभा के लिए कांग्रेस के ही एस. बंगारप्पा सीएम बने. उन्होंने राज्य की सोराब सीट से विधानसभा का चुनाव जीता था. बंगारप्पा का कार्यकाल महज़ 2 साल 33 दिन का रहा. इसके बाद कांग्रेस के बड़े नेता एम. विरप्पा मोइली को राज्य का नया सीएम बनाया गया. उनका कार्यकाल 2 साल 22 दिन का रहा. इसके बाद 10वें विधानसभा चुनाव हुए. जिसमें कर्नाटक की जनता दल के नेता एच. डी. देवेगौड़ा 14वें सीएम बने. उन्होंने 11 दिसंबर 1994 से 31 मई 1996 तक इस जिम्मेदारी को संभाला. बता दें कि एच.डी. देवेगौड़ा बाद में देश के 11वें पीएम भी बने. उनके पीएम बनकर दिल्ली जाने के बाद उनकी पार्टी के जेएच पटेल को राज्य की बागडोर सौंपी गई. जेएच पटेल कर्नाटक की चिन्नादिरी सीट से विधायक चुनकर आए थे.
नौवीं विधानसभा के लिए कांग्रेस के ही एस. बंगारप्पा सीएम बने. उन्होंने राज्य की सोराब सीट से विधानसभा का चुनाव जीता था. बंगारप्पा का कार्यकाल महज़ 2 साल 33 दिन का रहा. इसके बाद कांग्रेस के बड़े नेता एम. विरप्पा मोइली को राज्य का नया सीएम बनाया गया. उनका कार्यकाल 2 साल 22 दिन का रहा. इसके बाद 10वें विधानसभा चुनाव हुए. जिसमें कर्नाटक की जनता दल के नेता एच. डी. देवेगौड़ा 14वें सीएम बने. उन्होंने 11 दिसंबर 1994 से 31 मई 1996 तक इस जिम्मेदारी को संभाला. बता दें कि एच.डी. देवेगौड़ा बाद में देश के 11वें पीएम भी बने. उनके पीएम बनकर दिल्ली जाने के बाद उनकी पार्टी के जेएच पटेल को राज्य की बागडोर सौंपी गई. जेएच पटेल कर्नाटक की चिन्नादिरी सीट से विधायक चुनकर आए थे.
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 फिर जल्द ही राज्य में आठवें विधानसभा के लिए चुनाव हुए इस बार भी जनता पार्टी जीती. इस बार फिर से उनके नेता रामाकृष्णा हेगड़े को राज्य का सीएम बनाया गया. बता दें कि उनका दूसरा कार्यकाल 3 साल 153 दिन का रहा. इनके बाद पार्टी के दूसरे नेता एस.आर.बोम्मई को नया सीएम (11वें) बनाया गया. बता दें कि वो कर्नाटक की Hubli Rural सीट से जीते थे. उनका यह कार्यकाल 281 दिन का रहा. फिर कुछ दिन बीतने के बाद ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया.  राष्ट्रपति शासन हटने के बाद नौवीं विधानसभा के लिए चुनाव हुए और इस बार कांग्रेस के जीतने के साथ ही वीरेंद्र पाटिल को राज्य का (11वां) सीएम बनाया गया. बता दें कि उनका कार्यकाल 314 दिन का था. फिर राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लग गया. उनका यह शासन 10 अक्टूबर से 17 नवंबर 1990 तक रहा.
फिर जल्द ही राज्य में आठवें विधानसभा के लिए चुनाव हुए इस बार भी जनता पार्टी जीती. इस बार फिर से उनके नेता रामाकृष्णा हेगड़े को राज्य का सीएम बनाया गया. बता दें कि उनका दूसरा कार्यकाल 3 साल 153 दिन का रहा. इनके बाद पार्टी के दूसरे नेता एस.आर.बोम्मई को नया सीएम (11वें) बनाया गया. बता दें कि वो कर्नाटक की Hubli Rural सीट से जीते थे. उनका यह कार्यकाल 281 दिन का रहा. फिर कुछ दिन बीतने के बाद ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया. राष्ट्रपति शासन हटने के बाद नौवीं विधानसभा के लिए चुनाव हुए और इस बार कांग्रेस के जीतने के साथ ही वीरेंद्र पाटिल को राज्य का (11वां) सीएम बनाया गया. बता दें कि उनका कार्यकाल 314 दिन का था. फिर राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लग गया. उनका यह शासन 10 अक्टूबर से 17 नवंबर 1990 तक रहा.
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इसके बाद छठी असेंबली में भी जीत कांग्रेस के नाम रही क्योंकि उनके सामने कोई बड़ी पार्टी नहीं थी. राज्य में छठी विधानसभा के लिए चुनाव हुआ जिसमें डी.देवराज यूआरएस को सीएम बनाया गया लेकिन वो सिर्फ 1 साल 313 दिन के लिए बने. उनके बाद 12 जनवरी 1980 को आर.गुंडू. राव राज्य का नौवें सीएम बनाया गया. बता दें कि उनका यह कार्यकाल 2 साल 359 दिन का था. इसके तुरंत बाद साल 1983 सांतवे विधानसभा चुनाव हुए. लेकिन इस बार हवा ने करवट मोड़ी और जनता पार्टी की सरकार बनी. जनता पार्टी का उदय इंदिरा गांधी के लगाए हुए इमरजेंसी के खिलाफ हुआ था. बता दें कि यह उदय जेपी नारायण, मोरारजी देशाई जैसे नेताओं के नेतृत्व में हुआ था. सांतवी विधानसभा का कार्यकाल 10 जनवरी 1983 से 29 दिसंबर 1984 का रहा. इस कार्यकाल में जनता पार्टी के नेता 10वें रामाकृष्णा हेगड़े सीएम बने. उनका पहला कार्यकाल 1 साल 354 दिन का रहा.
इसके बाद छठी असेंबली में भी जीत कांग्रेस के नाम रही क्योंकि उनके सामने कोई बड़ी पार्टी नहीं थी. राज्य में छठी विधानसभा के लिए चुनाव हुआ जिसमें डी.देवराज यूआरएस को सीएम बनाया गया लेकिन वो सिर्फ 1 साल 313 दिन के लिए बने. उनके बाद 12 जनवरी 1980 को आर.गुंडू. राव राज्य का नौवें सीएम बनाया गया. बता दें कि उनका यह कार्यकाल 2 साल 359 दिन का था. इसके तुरंत बाद साल 1983 सांतवे विधानसभा चुनाव हुए. लेकिन इस बार हवा ने करवट मोड़ी और जनता पार्टी की सरकार बनी. जनता पार्टी का उदय इंदिरा गांधी के लगाए हुए इमरजेंसी के खिलाफ हुआ था. बता दें कि यह उदय जेपी नारायण, मोरारजी देशाई जैसे नेताओं के नेतृत्व में हुआ था. सांतवी विधानसभा का कार्यकाल 10 जनवरी 1983 से 29 दिसंबर 1984 का रहा. इस कार्यकाल में जनता पार्टी के नेता 10वें रामाकृष्णा हेगड़े सीएम बने. उनका पहला कार्यकाल 1 साल 354 दिन का रहा.
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कांग्रेस का मैसूर में सीएम बदलने का सिलसिला तीसरी विधानसभा में भी जारी रहा. छठे सीएम के रूप में  एस. निजालंगाप्पा को एक बार फिर राज्य का सीएम बनाया गया. उनका यह कार्यकाल 21 जून 1962 से शुरू हुआ और यह कार्यकाल पूरे 5 साल 342 दिन का था. इसके बाद सातवें मुख्यमंत्री के रूप में 29 मई 1968 को कांग्रेस की ओर से वीरेंद्र पाटिल को राज्य का सीएम बनाया गया. वीरेंद्र पाटिल का यह कार्यकाल करीब 2 साल 293 दिन का रहा. इसके बाद एक साल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा रहा. राष्ट्रपति शासन खत्म होते ही पांचवी असेंबली के लिए चुनाव हुए जिसमें आठवें सीएम के तौर पर डी.देवराज यूआरएस को 20 मार्च 1972 को सीएम बनाया गया. उनका यह कार्यकाल 5 साल 286 दिन का था जिसमें उन्होंने छठी विधानसभा का भी कुछ हिस्सा था. इस दौरान कुछ दिन बाद ही राष्ट्रपति शासन 59 दिन तक लगा.
कांग्रेस का मैसूर में सीएम बदलने का सिलसिला तीसरी विधानसभा में भी जारी रहा. छठे सीएम के रूप में एस. निजालंगाप्पा को एक बार फिर राज्य का सीएम बनाया गया. उनका यह कार्यकाल 21 जून 1962 से शुरू हुआ और यह कार्यकाल पूरे 5 साल 342 दिन का था. इसके बाद सातवें मुख्यमंत्री के रूप में 29 मई 1968 को कांग्रेस की ओर से वीरेंद्र पाटिल को राज्य का सीएम बनाया गया. वीरेंद्र पाटिल का यह कार्यकाल करीब 2 साल 293 दिन का रहा. इसके बाद एक साल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा रहा. राष्ट्रपति शासन खत्म होते ही पांचवी असेंबली के लिए चुनाव हुए जिसमें आठवें सीएम के तौर पर डी.देवराज यूआरएस को 20 मार्च 1972 को सीएम बनाया गया. उनका यह कार्यकाल 5 साल 286 दिन का था जिसमें उन्होंने छठी विधानसभा का भी कुछ हिस्सा था. इस दौरान कुछ दिन बाद ही राष्ट्रपति शासन 59 दिन तक लगा.
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पहली विधानसभा के पांच साल के कार्यकाल में एक बार फिर से तीसरी बार कांग्रेस ने अपना सीएम बदला और आखिर में एस. निजालिंगाप्पा को सीएम बनाया. बता दें कि एस.निजालिंगाप्पा Molakalmuru सीट से जीते थे और उनका कार्यकाल 1 साल 197 दिन का रहा. इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में बाजी एक बार फिर कांग्रेस के हाथ लगी. इस बार कांग्रेस के एस. निजलिंगाप्पा को राज्य के चौथे सीएम बने. लेकिन कांग्रेस ने एक बार फिर अपना सीएम बदल दिया और बी.डी.जाट्टी राज्य के पांचवे मुख्यमंत्री बने. बी.डी.जाट्टी राज्य की Jamkhandi सीट से विधायक रहे थे और उनका कार्यकाल 3 साल 297 दिन का था. राज्य में तीसरी बार हुए विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस जीतने में कामयाब रही, लेकिन इस बार सीएम बदलते हुए कांग्रेस ने छठे मुख्यमंत्री एस.आर.कांथी को चुना. बता दें कि एस.आर.कांथी मैसूर की Hungund सीट से चुनाव जीते थे. उन्होंने 14 मार्च 1962 को राज्य के सीएम पद की शपथ ली थी. बता दें कि उनका यह कार्यकाल 98 दिन का ही था.
पहली विधानसभा के पांच साल के कार्यकाल में एक बार फिर से तीसरी बार कांग्रेस ने अपना सीएम बदला और आखिर में एस. निजालिंगाप्पा को सीएम बनाया. बता दें कि एस.निजालिंगाप्पा Molakalmuru सीट से जीते थे और उनका कार्यकाल 1 साल 197 दिन का रहा. इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में बाजी एक बार फिर कांग्रेस के हाथ लगी. इस बार कांग्रेस के एस. निजलिंगाप्पा को राज्य के चौथे सीएम बने. लेकिन कांग्रेस ने एक बार फिर अपना सीएम बदल दिया और बी.डी.जाट्टी राज्य के पांचवे मुख्यमंत्री बने. बी.डी.जाट्टी राज्य की Jamkhandi सीट से विधायक रहे थे और उनका कार्यकाल 3 साल 297 दिन का था. राज्य में तीसरी बार हुए विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस जीतने में कामयाब रही, लेकिन इस बार सीएम बदलते हुए कांग्रेस ने छठे मुख्यमंत्री एस.आर.कांथी को चुना. बता दें कि एस.आर.कांथी मैसूर की Hungund सीट से चुनाव जीते थे. उन्होंने 14 मार्च 1962 को राज्य के सीएम पद की शपथ ली थी. बता दें कि उनका यह कार्यकाल 98 दिन का ही था.
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ये सिलसिला शुरू होता है आज़ादी के बाद 25 अक्टूबर, 1947 से जब नेहरू की शासान में देश में कई जगह कांग्रेस के नेतृत्व में राज्य सरकार बनी. आज़ादी के बाद कांग्रेस नेता K. Chengalaraya Reddy राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. बता दें कि वो कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक थे. के. रेड्डी राज्य सरकार में 30 मार्च, 1952 तक रहें. इनका कार्यकाल 4 साल 157 दिन का था. फिर इसके बाद मैसूर में 30 मार्च, 1952 को पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतने में कामयाब रही और के हनुमंत्या के सीएम पद की कमान मिली और वो राज्य के दूसरे सीएम बने. इनका कार्यकाल 4 साल 142 दिन का था. इस बीच कुछ बातों को लेकर कांग्रेस ने के हनुमंत्या की जगह Kadidal Manjappa को सीएम बनाया. उनका कार्यकाल 73 दिन का रहा. वहीं Kadidal Manjappa प्रदेश के तीसरे सीएम बने.
ये सिलसिला शुरू होता है आज़ादी के बाद 25 अक्टूबर, 1947 से जब नेहरू की शासान में देश में कई जगह कांग्रेस के नेतृत्व में राज्य सरकार बनी. आज़ादी के बाद कांग्रेस नेता K. Chengalaraya Reddy राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. बता दें कि वो कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक थे. के. रेड्डी राज्य सरकार में 30 मार्च, 1952 तक रहें. इनका कार्यकाल 4 साल 157 दिन का था. फिर इसके बाद मैसूर में 30 मार्च, 1952 को पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतने में कामयाब रही और के हनुमंत्या के सीएम पद की कमान मिली और वो राज्य के दूसरे सीएम बने. इनका कार्यकाल 4 साल 142 दिन का था. इस बीच कुछ बातों को लेकर कांग्रेस ने के हनुमंत्या की जगह Kadidal Manjappa को सीएम बनाया. उनका कार्यकाल 73 दिन का रहा. वहीं Kadidal Manjappa प्रदेश के तीसरे सीएम बने.

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