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'ससुराल गेंदा फूल' में गेंदा का ही फूल क्यों होता है, इसमें क्या खास है?
सास गारी देवे, देवर समझा लेवे…'ससुराल गेंदा फूल'... यह गाना तो सभी ने सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं इसमें ससुराल की तुलना गेंदे के फूल से क्यों की जाती है?

गेंदे का फूल
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ससुराल की तुलना गेंदे के फूल से करने को लेकर लोगों के कई मत हैं, जिनमें से सबसे मुख्य और सटीक के बारे में हमने आगे बताया है. आइए पहले गेंदे के फूल के बारे में जान लेते हैं. गेंदा एक बारहमासी फूल है यानी यह सालभर खिला रहता है. यह गमले में भी उतने ही अच्छे से फलता-फूलता है, जितना कि भूमि पर और यह सदैव गुच्छों में खिला-खिला होता है.
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देखा जाए तो गेंदे का फूल सिर्फ एक फूल नहीं, बल्कि कई फूलों का एक गुच्छा होता है. उसमें बहुत सारी पंखुड़ियां होती है, जो अपने आप में एक फूल होती हैं. ये सभी एकजुट होकर एक फूल का निर्माण करते हैं.
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ऐसे ही गीत में ससुराल को कहे गेंदा फूल की उपमा दी है अर्थात “ ससुराल को गेंदा फूल“ बताया गया है. अपने देश में विवाह होने पर विदेश की भांति केवल दो व्यक्ति नहीं जुड़ते, बल्कि विवाह के बाद बहुत सारे नए रिश्ते बनते हैं. विवाह के बाद पत्नि के लिए नई जगह, ससुराल में इतने सारे नए रिश्तों के साथ रहना होता है, जिसमें वो पत्नि के अलावा, बहू, भाभी, देवरानी, मामी, चाची जैसे अनेक रिश्तों में बंध जाती है.
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ससुराल में सभी गेंदे के फूल की भांति मजबूती से बंधे रहते हैं. जिस प्रकार से गेंदे के फूल में अलग-अलग पंखुड़ी मिलकर फूल बनाती है, उसी तरह ससुराल में कई रिश्ते मजबूती से एक दूसरे के साथ बंधे होते हैं और यही आपस में जुड़कर गेंदे का एक गुच्छा (ससुराल) बनाते हैं.
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इतने सारे नए रिश्तों के बीच रहना नव विवाहिता के लिए इतना भी सरल नहीं होता है. यह बात ससुराल वाले भी समझते हैं, इसलिए वो भी नई बहू को परिवार रूपी फूल की खुशबू में समेटने की कोशिश करते हैं.
Published at : 10 Mar 2023 08:12 PM (IST)
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