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पहाड़ों पर तो हमेशा चलती है ठंडी हवा, वहां क्यों नहीं जारी होती शीत लहर की चेतावनी?
No Cold Wave On Mountains: पहाड़ों की हड्डियां जमा देने वाली ठंड भी शीत लहर नहीं कहलाती, क्योंकि वह वहां की सामान्य पहचान है. जबकि मैदानी इलाकों में तापमान की मामूली गिरावट भी खतरा बन जाती है.
मैदानी इलाकों में ठंड का मौसम आ चुका है. यहां शीतलहर की हल्की आशंका भी लोगों की धड़कनें बढ़ा देती है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जहां सालभर बर्फ जैसी ठंड चलती है, उन्हीं पहाड़ों पर कभी शीत लहर की चेतावनी जारी नहीं होती है, आखिर ऐसा क्यों है? क्या ऊंचाई पर ठंडी हवा कोई सामान्य मौसम नहीं बल्कि कोई अलग वैज्ञानिक रहस्य छुपाए बैठी है? इसके पीछे कोई ऐसा क्या नियम है जो आम लोगों को पता ही नहीं?
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सर्दियों का नाम आते ही उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में शीत लहर की चर्चा शुरू हो जाती है. मौसम विभाग लगातार अलर्ट जारी करता है, शहरों में ठंड से बचाव के इंतजाम होते हैं और स्कूलों के समय में बदलाव तक किया जाता है.
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वहीं दूसरी तरफ, उत्तराखंड, हिमाचल या कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों में जहां तापमान कई बार -10 डिग्री तक पहुंच जाता है, वहां शायद ही कभी शीत लहर की चेतावनी सुनने को मिलती है. इससे यह सवाल उठता है कि जब पहाड़ों में इतनी ठंड है, तो वहां शीत लहर क्यों घोषित नहीं होती? इसका जवाब विज्ञान में छिपा है.
Published at : 25 Nov 2025 05:32 PM (IST)
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