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जब कैप्टन अकेले उड़ा सकता है हवाई जहाज तो क्यों होता है को-पायलट, क्या होता है इनका काम?
Co Pilot Duty In Flight: जिन लोगों ने फ्लाइट से यात्रा की होगी, उनके मन में एक सवाल तो आया होगा कि अगर एक पायलट फ्लाइट को आसानी से उड़ा सकता है, तो फिर दूसरे पायलट का विमान में क्या काम.
हवाई जहाज वह साधन है जो हमारा समय तो बचाता ही है साथ ही साथ यह कई मायनों में सुरक्षित भी माना जाता है. आज अगर दुनिया के किसी भी कोने में पहुंचना है तो इसके लिए हवाई जहाज की सुविधा आसानी से मिल जाती है. कई लोग सिर्फ लंबी यात्रा के लिए प्लेन का इस्तेमाल करते हैं. अगर आपने भी कभी फ्लाइट से सफर किया होगा तो आपने दो पायलट को जरूर देखा होगा. एक पायलट तो फ्लाइट उड़ाता है तो फिर दूसरे का क्या काम होता है? चलिए आज यही जानते हैं.
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जब कभी भी हवाई जहाज उड़ान भरने के लिए तैयार होते हैं तो उनके साथ पायलट और को-पायलट जरूर होते हैं. दोनों फ्लाइट के संचालन में पूरी तरह से प्रशिक्षित होते हैं.
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इन दोनों पायलटों को हर परिस्थिति में फ्लाइट उड़ाने का अनुभव होता है. हालांकि दोनों के बीच में अनुभव में बड़ा अंतर होता है. पायलट अपने को-पायलट से ज्यादा अनुभवी होता है.
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उड़ान के दौरान कैप्टन को किसी भी तरह की सहायता के लिए को-पायलट मौजूद होता है. को-पायलट यात्रियों के लिए एक्स्ट्रा सिक्योरिटी लेयर के जैसे काम करते हैं.
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को-पायलट उड़ान के दौरान अन्य चीजों को लेकर एक्स्ट्रा निगरानी करते हैं. वे देखते हैं कि विमान में सबकुछ ठीक है या नहीं.
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वे एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के साथ संपर्क स्थापित करते हैं और नेविगेशन की भी जिम्मेदारी संभालते हैं. हवाई जहाज में को-पायलट की मौजूदजी विमान को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने की होती है.
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अगर बीच यात्रा में पायलट को किसी तरह की कोई इमरजेंसी होती है तो सारा चार्ज को-पायलट के हाथों में आ जाता है और लोगों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाता है.
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फ्लाइट में को-पायलट मौसम की जानकारी और रूट की जानकारी भी लेता है, साथ ही फ्यूल का लेवल, वजन और बैलेंस की भी जांच करता है.
Published at : 14 Jul 2025 06:46 AM (IST)
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