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कप और गिलास दोनों ड्रिंक्स पीने के काम आते हैं, लेकिन कप में हैंडल होता है, गिलास में क्यों नहीं?

भारत में चाय अधिकांश लोगों को पसंद है. घरों में अक्सर चाय कप में और पानी गिलास में पिया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चाय के कप में हैंडल क्यों लगा होता है. आज हम बताएंगे इसका कारण.

भारत में चाय अधिकांश लोगों को पसंद है. घरों में अक्सर चाय कप में और पानी गिलास में पिया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चाय के कप में हैंडल क्यों लगा होता है. आज हम बताएंगे इसका कारण.

चाय कप

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लेकिन जब अंग्रेज़ों ने चाय पीना  जानकारी के मुताबिक शुरूआती समय में चाय के कप में भी हैंडल नहीं होता था. पहले चाय भी गिलास की तरह बने मिट्टी के छोटे बर्तनों में पिया जाता था.शुरू किया, तो वे चाहते थे कि उनकी चाय गरमागरम परोसी जाए. लेकिन चाय के कटोरे इतने गर्म थे कि उन्हें पकड़ना मुश्किल होता था. इसलिए वे तश्तरियों का उपयोग करना शुरू कर दिए थे. जिसके बाद अंग्रेजों ने चाय पीने से पहले उसको ठंडा करने के लिए तश्तरी में डालते थे.
लेकिन जब अंग्रेज़ों ने चाय पीना जानकारी के मुताबिक शुरूआती समय में चाय के कप में भी हैंडल नहीं होता था. पहले चाय भी गिलास की तरह बने मिट्टी के छोटे बर्तनों में पिया जाता था.शुरू किया, तो वे चाहते थे कि उनकी चाय गरमागरम परोसी जाए. लेकिन चाय के कटोरे इतने गर्म थे कि उन्हें पकड़ना मुश्किल होता था. इसलिए वे तश्तरियों का उपयोग करना शुरू कर दिए थे. जिसके बाद अंग्रेजों ने चाय पीने से पहले उसको ठंडा करने के लिए तश्तरी में डालते थे.
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लेकिन जब अंग्रेज़ों ने चाय पीना शुरू किया, तो वे चाहते थे कि उनकी चाय गरमागरम परोसी जाए. लेकिन चाय के कटोरे इतने गर्म थे कि उन्हें पकड़ना मुश्किल होता था. इसलिए वे तश्तरियों का उपयोग करना शुरू कर दिए थे. जिसके बाद अंग्रेजों ने चाय पीने से पहले उसको ठंडा करने के लिए तश्तरी में डालते थे.
लेकिन जब अंग्रेज़ों ने चाय पीना शुरू किया, तो वे चाहते थे कि उनकी चाय गरमागरम परोसी जाए. लेकिन चाय के कटोरे इतने गर्म थे कि उन्हें पकड़ना मुश्किल होता था. इसलिए वे तश्तरियों का उपयोग करना शुरू कर दिए थे. जिसके बाद अंग्रेजों ने चाय पीने से पहले उसको ठंडा करने के लिए तश्तरी में डालते थे.
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1810 तक आमतौर पर चाय के कपों में हैंडल नहीं होते थे. लेकिन उसके बाद चाय को ठंडा करने के लिए तश्तरी का उपयोग करना अच्छा नहीं माना जाता था. फिर धीरे-धीरे चाय के कप में हैंडल आने का चलन शुरू हो गया.
1810 तक आमतौर पर चाय के कपों में हैंडल नहीं होते थे. लेकिन उसके बाद चाय को ठंडा करने के लिए तश्तरी का उपयोग करना अच्छा नहीं माना जाता था. फिर धीरे-धीरे चाय के कप में हैंडल आने का चलन शुरू हो गया.
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जानकारी के मुताबिक शुरूआत से ही लोग पेय पदार्थ को छोटे बर्तनों के जरिए पीते थे. जिसके बाद धीरे-धीरे अलग-अलग पेय पदार्थ के लिए अलग-अलग गिलास का उपयोग किया जाता है. जैसे पानी पीने के सिंपल गिलास होता है.
जानकारी के मुताबिक शुरूआत से ही लोग पेय पदार्थ को छोटे बर्तनों के जरिए पीते थे. जिसके बाद धीरे-धीरे अलग-अलग पेय पदार्थ के लिए अलग-अलग गिलास का उपयोग किया जाता है. जैसे पानी पीने के सिंपल गिलास होता है.
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वाइन को पीने के एक खास तरीके का गिलास होता है. क्योंकि निश्चित टेंपरेचर पर ही पिया जाता है, ऐसे में इसके लिए ग्लास भी अलग ही बनाया गया है. जैसे वाइन से भरे ग्लास को हाथ से पकड़ा जाएगा, तो हाथ की गर्मी से उसका तापमान बदल जायेगा और वह जल्दी गर्म हो जायेगी.
वाइन को पीने के एक खास तरीके का गिलास होता है. क्योंकि निश्चित टेंपरेचर पर ही पिया जाता है, ऐसे में इसके लिए ग्लास भी अलग ही बनाया गया है. जैसे वाइन से भरे ग्लास को हाथ से पकड़ा जाएगा, तो हाथ की गर्मी से उसका तापमान बदल जायेगा और वह जल्दी गर्म हो जायेगी.
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इसी तरीके से बियर कभी भी आम ग्लास में नहीं पिया जाता है. इसके ग्लास को मग कहा जाता है, क्योंकि यह आकार में बड़ा होता है. वहीं इसको पकड़ने के लिए हैंडल होता है. इसकी वजह ये है कि सीधे हाथ से पकड़ने पर बियर हाथ की गर्माहट से जल्दी गर्म हो जाएगी.
इसी तरीके से बियर कभी भी आम ग्लास में नहीं पिया जाता है. इसके ग्लास को मग कहा जाता है, क्योंकि यह आकार में बड़ा होता है. वहीं इसको पकड़ने के लिए हैंडल होता है. इसकी वजह ये है कि सीधे हाथ से पकड़ने पर बियर हाथ की गर्माहट से जल्दी गर्म हो जाएगी.

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