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योगी आदित्यनाथ: संन्यासी जो लगातार दूसरी बार संभालेंगे उत्तर प्रदेश की कमान, तोड़े कई मिथक
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
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उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत के बाद योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद के लिए एक अप्रत्याशित पसंद थे. हिंदुत्व के लिए एक ‘पोस्टर बॉय’, भगवा वस्त्र पहनने वाले आदित्यनाथ को एक तेजतर्रार नेता माना जाता है.
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उनके आलोचक मानते हैं कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने अपनी इस ‘फायर ब्रांड’ नेता की छवि को थोड़ा संतुलित भले ही किया लेकिन उनमें बहुत ज्यादा बदलाव आया हो, ऐसा नहीं है.
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विश्लेषकों के अनुसार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की जीत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सियासी कद को और बड़ा कर दिया है. योगी ने यह भी मिथक तोड़ दिया कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है उसकी कुर्सी चली जाती है और कई बार नोएडा जाने के बावजूद वह उत्तर प्रदेश में लगातार पिछले पांच वर्ष से मुख्यमंत्री बने हुए हैं.
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योगी के संन्यासी होने से पहले के जीवन पर नजर डालें तो पांच जून 1972 को पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में उनका जन्म हुआ. योगी के पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट था. अपने माता-पिता के सात बच्चों में योगी शुरू से ही सबसे तेज तर्रार थे. बचपन में उनका नाम अजय सिंह बिष्ट था.
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जानकार बताते हैं कि स्नातक की पढ़ाई करते हुए योगी 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए और 1992 में उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी किया.
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राम मंदिर आंदोलन के दौर में उनका रुझान आंदोलन की ओर हुआ और इसी बीच वह गुरु गोरखनाथ पर शोध करने के लिए वर्ष 1993 में गोरखपुर आए. गोरखपुर में उन्हें महंत और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के अगुवा महंत अवैद्यनाथ का स्नेह मिला और 1994 में योगी पूर्ण रूप से संन्यासी हो गये. योगी को महंत अवैद्यनाथ ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और दीक्षा लेने के बाद अजय सिंह बिष्ट योगी आदित्यनाथ हो गये.
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12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद योगी गोरक्षपीठ के महंत घोषित किये गये. वह तब भाजपा से टकराव के भी गुरेज नहीं रखते थे, और उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी नामक स्वयंसेवकों के अपने एक संगठन की स्थापना भी की थी.
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योगी का राजनीतिक सफर उपब्धियों से भरा है. राजनीति में योगी गोरक्षपीठ की तीसरी पीढ़ी हैं. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ भी गोरखपुर से विधायक और सांसद रहे . इसके बाद महंत अवैद्यनाथ ने भी विधानसभा और लोकसभा दोनों में प्रतिनिधित्व किया. योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ की विरासत को आगे बढ़ाते हुए 1998 में महज 26 वर्ष की उम्र में पहली बार गोरखपुर से भाजपा के सांसद बने और लगातार पांच बार उनकी जीत का सिलसिला बना रहा.
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मार्च 2017 में लखनऊ में भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी को विधायक दल का नेता चुना गया. इसके बाद योगी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और विधान परिषद के सदस्य बने और 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
Published at : 10 Mar 2022 06:47 PM (IST)
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